अधिकारी पिता की भाव-भंगिमा सीखी और बन गया शातिर ठग, अफसर बन किया करोड़ों का फ्रॉड, पुलिस भी खाती रही गच्चा, फिर..


हाइलाइट्स

जिसने की करोड़ों की ठगी वह शातिर ठग अब पुलिस की गिरफ्त में. आखिर कैसे पुलिस ने करोड़ों ठगने वाले आरोपी को किया गिरफ्तार?

रांची. कई जिलों की पुलिस के सिरदर्द बना दीपक श्रीवास्तव पुलिस के गिरफ्त में आ गया. दीपक श्रीवास्तव पर रांची के साथ साथ कई जिलों में ठगी के मामले दर्ज हैं तो कई अब भी कई मामले कानून की दहलीज तक नहीं पहुंचे. इसके पीछे वजह है दीपक का वो शातिराना दिमाग जिसे भांप पाना किसी के लिए आसान नहीं. सरकार के द्वारा कोई भी योजना लॉन्च की जाए उस योजना के साथ भले सरकारी अधिकारी आप तक पहुंचा पाने में असमर्थ हो, लेकिन दीपक उन योजनाओं का पिटारा लेकर सुदूर गांवों में पहुंच जाया करता था और लोगों को उस योजना के सब्जबाग दिखा कर पैसे ऐंठ लेता था. कभी कृषि अधिकारी बन कर तो कभी बैंक का अधिकारी बनकर वो लोगों को अपने झांसे में लेता था.

बता दें कि दीपक के पिता रेंजर थे और शुरू से ही अधिकारियों की भाव भंगिमा कैसी होती है, इसकी उसे पूरी जानकारी थी. वहीं, पिता के देहांत के बाद अनुकंपा पर वन विभाग में दीपक की भी नौकरी लगी जिस कारण उसे सरकारी दफ्तर और कम करने के तरीके की भी जानकारी मिल गई, लेकिन ठगी की उसकी आदत के कारण उसे नौकरी से हांथ धोना पड़ा. मूल रूप से आरा का रहनेवाला दीपक बड़े ही शातिराना अंदाज में ठगी किया करता था. हर काम के लिए वो नई टीम बनाता था और बड़े ही प्रोफेशनल तरीके से वो लोगों को भी उसमें चुनता था. जिस कारण वो ठगी की घटना को अंजाम दे पाता था.

वहीं, मामले की जानकारी देते हुए रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि दीपक पूर्व में भी ठगी के मामले में जेल जा चुका है, लेकिन जेल से निकलने के बाद फिर से वो ठगी की वारदात को अंजाम दे रहा था. वहीं, उन्होंने बताया कि आरोपी पर सिर्फ रांची जिले में ही 7 केस दर्ज हैं, जबकि अन्य जिलों का लेखा जोखा फिलहाल पुलिस खंगाल रही है.

वहीं, ऐसी आशंका पुलिस को है कि दीपक के द्वारा कम से कम 25 से 30 करोड़ की ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया होगा. बहरहाल, शातिर की पूरी कुंडली पुलिस निकाल रही है तो वहीं ऐसी भी संभावना है कि जो लोग अबतक  इस शातिर के कारनामे की शिकायत लेकर थानों की दहलीज पर नहीं पहुंचे थे, वो अब पहुंचेंगे और शातिर के कारनामे पूरी तरह से बाहर आ पाएंगे.



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