अनोखा प्रयोग : बाघ के हमलों से बचने के लिए मुखौटा लगाएंगी महिलाएं…क्या कम होगा संघर्ष?
हल्द्वानी. उत्तराखंड के तराई के जंगलों में जानवरों और आम इंसान के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है. आबादी की तरफ बढ़ रहे बाघों की संख्या पहले से ज्यादा बढ़ गई है. यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में राज्य में गुलदारों के हमले के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. लेकिन अब मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने के लिए वन विभाग एक ऐसी पहल की शुरुआत करने जा रहा है जिससे आम इंसान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष कम हो सकेगा.
जंगलों में लकड़ियां और चारा लेने जंगल जाने वाली महिलाएं और पुरुष अब सिर के पिछे अलग-अलग तरीके के मुखौटे लगाकर जंगली जानवरों से बचने के लिए इस तरीके को अपनाएंगे. बीते सालों में खटीमा और सुरई रेंज में मानव वन्यजीव संघर्ष की कई घटनाएं हुई थी. इसकी वजह से कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी. वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागरी ने बताया कि मानव वन्यजीव संघर्ष वाले संवेदनशील जंगलों की मैपिंग की जा रही है. उन गावों को चिन्हित किया जा रहा है जो ऐसे संवेदनशील जंगलों के इर्द-गिर्द है.
सभी लोगों को किया जाएगा जागरुक
डीएफओ हिमांशु बागरी ने बताया कि स्कूलों से लेकर आम लोगों को भी जागरुक किया जाएगा. इसके लिए वन कर्मियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा जो बाद में बाम लोगों को जागरुक करेंगे. डीएफओ ने बताया कि बाघ अक्सर पीछे से हमला करते है. सुंदरवन में जंगल में काम करने वाले व वहां से आने जाने वाले लोग अपने सिर के पीछे एक मुखौटा लगा लेते हैं. इससे जानवरों को मनुष्य के चेहरे का आभास होता है और वह इंसान पर हमला करने से बचते हैं. यही प्रयोग तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगल में भी किया जाएगा.
FIRST PUBLISHED : May 28, 2024, 22:02 IST