अपने लोकगीतों से लोगों के दिल पर राज कर रहे हैं बिशन सिंह हरियाला, अब तक गाए हैं 10,000 से भी ज्यादा गाने


रिपोर्ट- रोहित भट्ट


अल्मोड़ा: उत्तराखंड के लोक गायक बिशन सिंह हरियाला आज किसी परिचय के मोहताज नही हैं. अपने लोक गीतों से बिशन सिंह हरियाला आज हर किसी के दिल पर राज भी कर रहे हैं. LOCAL 18 से खास बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी पढ़ाई द्वाराहाट स्कूल से हुई है. जब भी 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी के अलावा कोई भी कार्यक्रम होते थे तो वह प्रतिभाग करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने रामलीला का मंचन भी किया है और कई पात्रों का रोल निभाया है. उन्हें करीब 40 साल कुमाऊंनी इंडस्ट्री में गाना गाते हुए हो चुके हैं.

जब उन्होंने दसवीं पास की और वह दिल्ली गए तब उन्हें राजा राणा और गोपाल बाबू गोस्वामी जी का सानिध्य मिला. उनका सबसे पहले गाना 1987 में आया था जिसका नाम था ‘ठुमका लगा ले हेमा’ इसके बाद उन्होंने कई कुमाऊंनी गाने गए. वर्तमान में वह करीब 10,000 से भी ज्यादा गाने गा चुके हैं. जिसमें भागुली, मईया डोबरी वाली, मेरी दिपुली ईजा, छम छम घुंघरू, पराण, कमरा तेरी, लाली ओ लाली के अलावा ऐसे कई तमाम गाने हैं वह गा चुके हैं.

छोटों से लेकर बड़ों से मिलता है प्यार
बिशन सिंह हरियाला ने बताया कि छोटी उम्र से लेकर बड़े लोग उन्हें काफी प्यार देते हैं और उनके गानों को सुनना पसंद करते हैं. उनका उद्देश्य रहता है कि अपनी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, संस्कार, खान-पान, देव प्रथम, लोक प्रथा और रीति रिवाज अपने गानों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं. अपना काम वह आगे भी करते रहेंगे. बिशन सिंह ने भी बताया कि वहां उत्तराखंड के अलावा विभिन्न राज्यों में भी कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं.

बिशन सिंह हरियाला नाम कैसे पड़ा
लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि उनका असल में नाम बिशन सिंह रावत है. उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला मनाया जाता है. उन्होंने हरेला के ऊपर गाना गया था और उस गाने को कंपनी में भेजा और उसमें बिशन सिंह रावत ब्रैकेट में हरेला लिखा था पर थोड़ा गलती होने के कारण हरेला को हरियाला लिख दिया गया पर वह गाना इतना चला कि इसके बाद लोग उन्हें हरियाला के नाम से जानने लगे और उन्होंने तबसे लेकर आज तक वही नाम लिखा.

युवा कलाकारों को दिया संदेश
उत्तराखंड में कई ऐसे लोक संगीत हैं जिन पर लोग काम कर सकते हैं. कई ऐसे गाने हैं जो पर्यावरण, यहां की हरियाली, देवी देवताओं के अलावा तमाम ऐसे गाने हैं जिन्हें गया जा सकता है. यदि बढ़ावा देना है तो अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाएं जिससे हमारी युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके. उनका मानना है कि कई ऐसे कलाकार हैं जो बेहतरीन कार्य भी कर रहे हैं.

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