अमेरिका के लिए…तो चीन के लिए अवसर हो सकते हैं ट्रंप, खतरे में बाइडन की विरासत, क्या भारत बनेगा X फैक्टर? – president donald trump biggest opportunity for china joe biden legacy in danger india stand
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USA President Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभालते हुए ताबड़तोड़ ऐसे कई फैसले ले लिए, जिससे दुनियाभर में खलबली मची हुई है. दूसरी तरफ, चीन की नजर अब प्रेसिडेंट ट्रंप के अगले फैसले पर टिकी है…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद सहयोगी देशों में मची है खलबली
- ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन जैसे पार्टनर देश चीन के आ रहे हैं करीब
- बड़े बाजार के चलते भारत की भूमिका पर टिकी हैं सबकी नजरें
बीजिंग. डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर दूसरी बार वापसी कर ली है. ओवल ऑफिस में कदम रखते ही ट्रंप ने ऐसे-ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे आशंकाओं के बादल और काले हो गए हैं. राष्ट्रपति ट्रंप की वापसी चीन के लिए वरदान साबित हो सकती है. इसके संकेत भी मिलने लगे हैं. इसके साथ ही अब पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की विरासत भी खतरे में है. ट्रंप यदि इसी रफ्तार से चुनाव पूर्व किए गए वादों पर अमल करते रहे तो दुनियाभर में अमेरिका के सहयोगी देश अपने रुख पर दोबारा से विचार करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के साथ ही जो बाइडन के समय में अमेरिका के सहयोगी रहे जापान और भारत जैसे देशों के साथ चीन के संबंध बेहतर होने शुरू हो गए हैं. वॉशिंगटन में सोमवार को हुआ नेतृत्व परिवर्तन चीन के लिए एक अवसर हो सकता है. चीन लंबे समय से अपने बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की ‘समान विचारधारा वाले देशों’ के साथ साझेदारी बनाने की रणनीति के खिलाफ आवाज उठाता रहा है.
संकेत को समझें
बाइडन ने QUAD ग्रुप को फिर से मजबूत किया, जिसमें अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. अमेरिका के इन तीनों साझेदारों के साथ चीन के संबंध बेहतर हो रहे हैं. ऐसे में बाइडन की इस विरासत के स्थायित्व पर सवाल पैदा हो गया है. अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने अमेरिका के ट्रेडिशनल फ्रेंड कंट्रीज को चुनौती देने में संकोच नहीं किया था. शंघाई में फुडन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडी सेंटर के डीन वू शिनबो ने कहा, ‘यह संभव है कि ट्रंप अमेरिकी सहयोगियों से अलग हो जाएं, जिससे वे चीन की भूमिका पर अधिक ध्यान देंगे और वास्तव में इसने चीन की कूटनीति को एक मौका दिया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए.’ लेकिन, अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने कहा कि ट्रंप के पास चीन के साथ अधिक कॉम्पीटीटिव रुख की ओर दुनिया को एकजुट करने का रिकॉर्ड है. ट्रंप ने एक फ्री और ओपन इंडो पैसिफिक स्ट्रैटजी पर सहमति व्यक्त की थी. जापान ने डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान इस बाबत प्रस्ताव पेश किया था.
क्या रहेगी ट्रंप की प्राथमिकता?
विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने (शपथ लेने के कुछ घंटे बाद) वॉशिंगटन में ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की थी. इससे पता चलता है कि क्वाड देशों के साथ मिलकर काम करना और चीन के प्रभाव का मुकाबला करना ट्रंप के लिए प्राथमिकता बना रहेगा. ब्रिटेन और जापान के साथ बीजिंग का मेल-मिलाप अभी शुरुआती चरण में है और बड़े मतभेद अभी भी बने हुए हैं. इसकी वजह से द्विपक्षीय संबंध पटरी से उतर सकते हैं. भारत ने पिछले अक्टूबर में चीन के साथ बॉर्डर डिस्प्यूट पर बातचीत शुरू की थी, लेकिन जब बीजिंग ने दोनों देशों के दावे वाले क्षेत्र में दो नए काउंटी बनाए तो भारत ने इसका विरोध किया.
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और जापान का झुकाव
चीन दुनिया का बड़ा प्रोड्यूसर देश है. साथ ही महत्वपूर्ण मिनरल्स का भी बड़ा सोर्स है. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और जापान चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की इच्छा दिखाई है. चीन ने इसपर आंशिक रूप से प्रतिक्रिया व्यक्त की है, क्योंकि वह अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी निवेश चाहता है. चीन को आशंका है कि यदि ट्रंप हाई टैरिफ लगाने के अपने वादे पर अमल करते हैं तो उनकी इकोनोमी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. दूसरी तरफ, भारत दुनिया में उभरता हुआ बाजार है. ऐसे में आने वाले समय में इंडिया X फैक्टर हो सकता है. चीन समेत दुनिया की अन्य इकोनोमी को बड़े बाजार की जरूरत है, ताकि अर्थव्यवस्था का पहिया चलता रहे.
New Delhi,Delhi
January 22, 2025, 17:42 IST