अलीगढ़ का मुस्लिम परिवार, जो मंदिर भी जाता है और मस्जिद भी, पिता ने किया था निर्माण


अलीगढ़: बाबू खान को आज के समय में याद करना बेहद जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि आज के समय में जब आस्थाएं अलगाव की दीवारें खड़ी कर रही हैं और लोगों के बीच दूरी बढ़ा रही हैं, बाबू खान अपने जीवन में प्रेम और सौहार्द का एक उदाहरण बन चुके थे. वो भाईचारे और एकजुटता के प्रेरणास्रोत बने. हालांकि आज बाबू खान हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जो कौमी एकता की इमारत खड़ी की थी, वह आज भी मजबूती से खड़ी है.

बाबू खान खुद करते थे देखरेख
लोग इस इमारत के जरिए बाबू खान को श्रद्धा के साथ याद करते हैं. दरअसल, 2013 में बाबू खान ने अपने गांव से बाहर एक शिव मंदिर का निर्माण कराया था, जिसकी देखभाल वो खुद करते थे. आज भी दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं और बाबू खान की प्रशंसा करना नहीं भूलते.

बाबू खान, जो अलीगढ़ से लगभग 7 किमी दूर जवा थाना क्षेत्र के गांव मिर्जापुर सिया के प्रधान पति थे, वो बचपन से ही भगवान शिव की पूजा करते आ रहे थे. एक दिन उनके मन में मंदिर बनाने का विचार आया और 17 जुलाई 2013 को, उन्होंने अपनी आधी पूंजी और आसपास के लोगों के सहयोग से शिव मंदिर का निर्माण कराया. यह मंदिर मिर्जापुर के पास सीडीएफ पुलिस चौकी के निकट बनाया गया था. मंदिर की सफाई और मूर्तियों पर जल चढ़ाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था.

गंगा-जमुनी तहजीब अवॉर्ड से सम्मानित
बाबू खान के बेटे मोहम्मद शोएब ने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि उनके पिता हमेशा से भगवान शिव की भक्ति करते आए हैं. उनके दादा भी भगवान शिव की पूजा करते थे. गांव में कोई मंदिर न होने के कारण लोगों को पूजा के लिए दूर जाना पड़ता था. इसी वजह से बाबू खान ने मंदिर बनाने का फैसला लिया. इस मंदिर की स्थापना प्रयागराज से आए पंडित विशाल पांडेय जी ने की थी. 2013 में अलीगढ़ जिलाधिकारी ने बाबू खान को राम-रहीम और गंगा-जमुनी तहजीब अवॉर्ड से भी सम्मानित किया था.

पूरा परिवार करता है शिव पूजा
आज के समय में, जहां सामाजिक सौहार्द एक बड़ी चिंता का विषय हो गया है, ऐसे में बाबू खान जैसे लोगों का उदाहरण सच में एक मिसाल है. शोहेब ने ये भी बताया कि अब उनका पूरा परिवार मंदिर के कामों में सहयोग करता है. वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और दीपावली तथा ईद दोनों त्योहार भी मनाते हैं. उनका मानना है कि धर्म को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए.

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