आजादी के पहले इंदौर में स्थापित हो गया था ये संग्रहालय, यहां एक बार में देख सकेंगे सदियों का इतिहास


इंदौर: कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के समीप स्थित केंद्रीय संग्रहालय में इतनी प्राचीन प्रतिमाएं और शिल्प हैं कि यहां प्रत्येक मूर्ति में मानों सदियों का इतिहास जीवित हो. यहां आने पर आपको अंग्रेजों, मुगलों और होलकर के बारे में जानने का मौका मिलेगा. खास बात यह कि इंदौर में ये केंद्रीय संग्रहालय आजादी के पहले 1923 में स्थापित हो चुका था.

होलकर ने बनवाया था संग्रहालय
पुरातत्व विभाग के प्रकाश परांजपे बताते हैं कि असल में संग्रहालय की शुरुआत होलकर शासकों ने अपने अतीत की यादों को सहेजने से की थी, जिसे नवरत्न मंदिर नाम दिया गया था. वस्तुओं की संख्या के साथ संग्रहालय का आकार बढ़ता गया और 29 नवंबर 1923 में तत्कालीन आयुक्त डॉ. अरुंडले के निर्देशन में देवलालीकर कला वीथिका में तैयार हुआ. कुछ वक्त बाद इसे जीपीओ यानी एबी रोड स्थित नवीन भवन में स्थानांतरित कर दिया, तब से लेकर आज तक यह संग्रहालय आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

संग्रहालय में ये वस्तुएं
परांजपे बताते हैं कि दसवीं सदी की प्रतिमाएं, प्रस्तर अभिलेख, ताम्रपत्र, किताबें मौजूद हैं. जिसे आठ वीथिकाओं में बांटा गया है. वर्तमान में यहां छोटी-बड़ी कुल 500 मूर्तियां प्रदर्शित की जा रही हैं. इनमें उत्खनन से प्राप्त पुरावशेष, सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष, हिंगलाजगढ़ की परमार कालीन प्रतिमाएं आदि से लेकर मुद्रा प्रचलन व होलकर कालीन मुद्राएं प्रदर्शित हैं. यहां रखी प्रत्येक मूर्ति का अपना इतिहास है. इनमें तीसरी-चौथी शताब्दी की मां सरस्वती की प्रतिमा, सातवीं-आठवीं शताब्दी की शिव, हिंगलाजगढ़ से प्राप्त बरेश्वर व कार्तिकेय, भानपुरा से प्राप्त उमा-महेश्वर, वैष्णव सम्प्रदाय की विष्णु, वामन, लक्ष्मीनारायण, शेषशायी विष्णु, सूर्य की स्थानक प्रतिमा, गणेश, सप्त मातृकाएं, महिषासुरमर्दिनी आदि प्रतिमाएं हैं.

प्राचीन सिक्कों का भी संग्रह
संग्रहालय में प्राचीन सिक्कों का भी संग्रह है, जिसमें प्राचीन एवं मध्यकाल के 5000 सिक्के संग्रहित हैं. संग्रहालय में बेटमा का ताम्रपत्र, देपालपुर का ताम्रपत्र, महाराजा मकरसिंह का दानपात्र, महाराजा रायमल का दान पात्र, राजपूतों के ताम्रपत्र भी सहेजे गए हैं. विभिन्न प्रकार की तोपें भी संरक्षित हैं. अधिकांश पर देवनागरी, फारसी, लैटिन वर्णमाला में उत्कीर्ण लेख भी हैं। इनमें से अधिकांश तोपें भूतपूर्व होलकर राज्य के शस्त्रागार विभाग से प्राप्त हुई हैं.

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