आज दिन और रात बराबर…उज्जैन में यहां प्रत्यक्ष देख सकते हैं खगोलीय घटना, जानिए क्या है खास

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शुभम मरमट/उज्जैन. धार्मिक नगरी उज्जैन काल गणना की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. खगोलशास्त्रियों की मान्यता है कि यह उज्जैन नगरी पृथ्वी और आकाश की सापेक्षता में ठीक मध्य में स्थित है. कालगणना के शास्त्र के लिए इसकी यह स्थिति सदा उपयोगी रही है. इसलिए इसे पूर्व से ग्रीनविच के रूप में भी जाना जाता है. यहां लगे प्राचीन यंत्रों के माध्यम से ग्रहों की चाल, सूर्य और चंद्र ग्रहण और सूर्य की चाल से समय की गणना की जाती है.

इसी भौगोलिक स्थिति के कारण इसे कालगणना का केंद्र बिंदु कहा जाता है.यहां लगे प्राचीन यंत्रों के माध्यम से ग्रहों की चाल, सूर्य और चंद्र ग्रहण और सूर्य की चाल से समय की गणना की जाती है. हर साल आज ही के दिन यानी 20 मार्च को दिन व रात बराबर होते हैं. ऐसा क्यों आइए जानते हैं.

क्यों होंगे आज दिन और बराबर जानिए
इस वर्ष सूर्य 20 मार्च को विषुवत रेखा पर लम्बवत् होगा. इसे वसन्त सम्पात कहते हैं. सूर्य को विषुवत् रेखा पर लम्बवत् होने के कारण दिन और रात बराबर-बराबर अर्थात् 12-12 घण्टे के होंगे. सायन गणना के अनुसार 20 मार्च को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा. इस दिन सूर्य की स्थिति (भोग) मेष राशि में शून्य अंश, 8 कला, 25 विकला होगी. 20 मार्च को सूर्य की उत्तरी गोलाद्र्ध में स्थिति (क्रान्ति) शून्य अंश, 8 कला उत्तर रहेगी. सूर्य के उत्तरी गोलाद्र्ध में प्रवेश के कारण अब उत्तरी गोलाद्र्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे और रात छोटी. यह क्रम 21 जून तक जारी रहेगा.

जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक ने बताया
डॉ. राजेंद्र गुप्त ने बताया कि सूर्य उत्तरी गोलाद्र्ध में प्रवेश के कारण सूर्य की किरणों की तीव्रता उत्तरी गोलाद्र्ध में धीरे-धीरे बढऩे लगेगी, जिससे ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ होती है. शा.जीवाजी वेधशाला उज्जैन में 20 मार्च को यह खगोलीय घटना को शंकु यन्त्र तथा नाड़ी वलय यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं.

क्या है वेधशाला का प्राचीन इतिहास
इस वेधशाला को जयपुर के महाराजा जयसिंह ने 300 साल पहले 1733 ईस्वी में बनवाया था. जैसा कि भारत के खगोलशास्त्री तथा भूगोलवेत्ता यह मानते आये हैं कि देशांतर रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है. यहां के प्रेक्षाग्रह का भी विशेष महत्व रहा है.

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