आपने मेरी बेटी का जीवन खराब कर दिया… मुझे गांधी जी का सपना पूरा करना है, ‘सुलभ मैन’ बिंदेश्वर पाठक की कहानी
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दरअसल, सुलभ शौचालय की शुरुआत बिंदेश्वर पाठक ने तत्कालीन कालखंड की कुव्यवस्था एवं कुप्रथा को देखकर की थी. एक ओर जहां महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता था, वहीं उस दौर में सिर पर मैला ढोने की समस्या और खुले में शौच की समस्या समाज में हावी थी. दोनों ही क्षेत्र में बिंदेश्वर पाठक ने काम करना शुरू किया. लेकिन, यह इतना आसान भी नहीं था.