‘आप बुल्‍डोजर चलाने की धमकी न दें’, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अपराध में शामिल होना घर को ध्‍वस्‍त करने का आधार नहीं – supreme court strict order do not threat bulldozer action somebody accused in crime no basis for house demolition


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि किसी अपराध में कथित तौर पर शामिल होना संपत्तियों या घर को ध्वस्त करने का आधार नहीं है. शीर्ष अदालत ने गुजरात के एक नगर निकाय को आदेश दिया कि वह यथास्थिति बनाए रखे और आपराधिक मामले के आरोपी के घर पर बुल्‍डोजर चलाने की धमकी न दे. कोर्ट ने कहा कि ऐसे देश में जहां कानून सर्वोच्च है, इस तरह ध्वस्त करने की धमकियां अकल्पनीय हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह ऐसी कार्रवाइयों से बेखबर नहीं रह सकता, जिन्हें देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने के रूप में देखा जा सकता है.

जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा, ‘ऐसे देश में जहां सरकार की कार्रवाई कानून के शासन द्वारा शासित होती है, परिवार के किसी सदस्य द्वारा किया गया अपराध परिवार के अन्य सदस्यों या उनके कानूनी तौर पर निर्मित घर के खिलाफ कार्रवाई को आमंत्रित नहीं करता है. अपराध में कथित संलिप्तता किसी संपत्ति के विध्वंस का आधार नहीं है.’

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‘कानून पर बुल्‍डोजर’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कथित अपराध को अदालत में उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से साबित किया जाना चाहिए. जिस देश में कानून सर्वोच्च है, वहां ध्वस्त करने की ऐसी अल्कपनीय धमकियों को कोर्ट नजरअंदाज नहीं कर सकता. इस तरह की कार्रवाइयों को देश के कानून पर बुल्‍डोजर चलाने के रूप में देखा जा सकता है.’ तीन जजों की पीठ ने प्रस्तावित तोड़फोड़ की कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध करने वाली जावेद अली एम सैयद की याचिका पर गुजरात सरकार और राज्य के खेड़ा जिले के कठलाल के नगर निकाय को नोटिस जारी किया.

चार सप्‍ताह में मांगा जवाब
शीर्ष अदालत ने राज्य और नगर निकाय से 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 1 सितंबर को परिवार के एक सदस्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. वकील ने दावा किया कि नगर निगम के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के परिवार के घर पर बुल्‍डोजर चलाने की धमकी दी है. सुप्रीम कोर्ट मामले की समीक्षा करने पर सहमत हुई और इसे एक महीने के बाद लिस्‍टेड किया.

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