आरा में बाल गृह बंद होने से बाल बंदियों के परिजनों को होती है परेशानी, पटना और औरंगाबाद भेज दिया जाता है बच्चे


भोजपुर : बिहार के आरा में बाल गृह घर को आखिरकार बंद कर ही दिया गया. अब यहां के बाल कैदियों को पटना व दूर के जिलों में जाना पड़ रहा है. पर्यवेक्षन गृह के बारे में कई बार वरीय अधिकारियों को लिखा गया था, लेकिन समय रहते किसी का ध्यान नहीं गया और अंत में धनुपरा में मौजूद बाल गृह घर को बंद कर दिया गया अब बाल कैदियों को पटना के अलावा अन्य जिलों में भेजा जा रहा है.

बता दें कि पर्यवेक्षक गृह आरा के दिसंबर 2023 से बंद रहने के कारण यहां के बाल बंदियों को पटना और औरंगाबाद जिला भेजा जा रहा है. इससे भोजपुर और बक्सर जिले के बाल बंदियों और उनके अभिभावकों को परेशानी हो रही है,क्योंकि पहले इन दोनों जिलों के बाल बंदियों को आरा के पर्यवेक्षण गृह में ही रखा जाता था. पर्यवेक्षण गृह (रिमांड होम) बंद होने के समय यहां 50 बाल बंदियों के रहने की क्षमता थी. उस समय यहां 39 बाल बंदी थे.

आरा के पर्यवेक्षण गृह को चालू करने की उठने लगी है मांग
भोजपुर और बक्सर जिला आस-पास होने के कारण बाल बंदियों से उनके परिजन सुविधापूर्वक मिल लेते थे. बाल बंदियों को भी यहां अपना माहौल महसूस होता था. बाल मन पर अपवाद छोड़कर इसका सकारात्मक असर पड़ता था. लेकिन, अब जिला से बाहर होने के कारण उन्हें पटना या औरंगाबाद में सही माहौल महसूस नहीं हो रहा है.

आरा के पर्यवेक्षण गृह को जल्द बनाकर बाहर भेजे गये बाल बंदियों को बुलाकर यहां रखने की मांग जोर पकड़ रहा है. आरा में पर्यवेक्षण गृह बंद करने के बाद यहां किसी भी बाल बंदी की इंट्री नहीं की जा रही है. बक्सर जिले से बाल बंदियों के लाने के बाद वहां की पुलिस आरा के जुबेनाईल कोर्ट में पेश करती है. इसके बाद भोजपुर पुलिस को सौंप देती है. वहीं भोजपुर पुलिस अपनी गाड़ी से औरंगाबाद पहुंचाती है. यही प्रक्रिया जिले के बाल बंदियों के साथ अपनाई जाती है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में होती है सुनवाई
आरा टाउन थाना क्षेत्र के धनुपरा में पर्यवेक्षण गृह है. भवन जर्जर होने का कारण बताकर समाज कल्याण विभाग के निदेशक के निर्देश पर दिसम्बर 2023 में इसके बंद कर दिया गया. जिसके बाद इस पर्यवेक्षण गृह के बाल बंदियों को पटना जिला के गायघाट और बक्सर के बाल बंदियों को औरंगाबाद पर्यवेक्षण गृह भेज दिया गया था. दिसंबर के बाद भोजपुर और बक्सर जिले के जो भी बाल कैदी आते हैं, उनको आरा के जुबेनाइल कोर्ट में पेश किया जाता है.

इसके बाद सीधे गायघाट (पटना) और औरंगाबाद भेज दिया जाता. वहां के पर्यवेक्षण गृह में उनकी रजिस्टर में इंट्री की जाती है. वहींमुकदमा चलने के दौरान पटना या औरंगाबाद के पर्यवेक्षण गृह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आरा के जुबेनाइल कोर्ट में बाल बंदियों की पेशी होती है. कोर्ट के आदेश के बाद पेशी के लिए कभी-कभी बाल कैदियों को विशेष सुरक्षा व्यवस्था के साथ लाया जाता है. पर्यवेक्षण गृह से बाल कैदियों के स्थानांतरण के बाद भी सुरक्षा कर्मी पर्यवेक्षण गृह की सुरक्षा में लगे हुए है.

जल्द शुरू होने वाला है टेंडर वर्क
पर्यवेक्षन गृह के प्रभारी रविशंकर ने बताया कि पर्यवेक्षण गृह को तोड़कर फिर से बनाने के लिए भवन निर्माण निगम का आदेश आया है. हाल ही में पटना भवन निर्माण विभाग से इंजीनियर आये थे. जब यहां का निरीक्षण किया तो बताया कि बहुत जल्द टेंडर वर्क भी होने वाला है. जर्जर पर्यवेक्षण गृह में बाल बंदी व सुरक्षाकर्मी हमेशा डरे और सहमे रहते थे. बरसात में बहुत परेशानी होती थी.यहां से 33 बाल बंदियों को पटना और 6 को को औरंगाबाद भेजा गया था.

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