इंडिया पर 94% निर्भर है बांग्लादेश; नमक का कर्ज तो छोड़िए, आजादी में भारत की मदद को भूल चुका है
नई दिल्ली:
5 अगस्त, 2024 का दिन पड़ोसी देश बांग्लादेश ही नहीं भारत के लिए भी काफ़ी अहम और चिंता भरा दिन रहा… उसी दिन बांग्लादेश में शेख हसीना का तख़्ता पलटा, वो भागकर भारत आईं जहां उन्हें शरण मिली, और उसी दिन भारत ने बीते 53 साल से अपने क़रीबी मित्र रहे बांग्लादेश को गंवाना शुरू कर दिया… और बांग्लादेश जिस राह पर निकल पड़ा है वो भारत के लिए एक पड़ोसी देश के तौर पर राजनीतिक और सामरिक चिंता की वजह बन गया है.
पाकिस्तान के करीब जा रहा बांग्लादेश
ये तस्वीरें काहिरा में हाल में आठ मुस्लिम बहुल देशों के संगठन D-8 की बैठक के दौरान की हैं. इस बैठक के दौरान बांंग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की दोस्ताना मुलाक़ात की तस्वीर काफ़ी चर्चा में है. मुलाक़ात में मोहम्मद यूनुस ने शहबाज़ शरीफ़ से कहा कि पुराने गिले शिकवे भुला दिए जाएं और 1971 के मुद्दों को दरकिनार कर नए रिश्ते बनाए जाएं. उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों की बेहतरी पर ज़ोर दिया.
मोहम्मद यूनुस जानते हैं कि ये वही पाकिस्तान है जिससे आज़ाद होने के लिए 1971 में उन्होंने अमेरिका में एक नागरिक कमेटी बनाई थी और बांग्लादेश इन्फॉर्मेशन सेंटर चलाया था… ये भी वो भूले नहीं होेेंगे कि जिस पाकिस्तान के साथ वो दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं, उसके ही ज़ुल्मों सितम से तंग आकर बांग्लादेश में मुक्ति का लंबा संग्राम चला और 1971 को पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश बन गया… लेकिन अब वो पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों को रिसेट करना चाहते हैं… एक नई शुरुआत करने की बात कर रहे हैं.
भारत को क्यों भूल रहा है बांग्लादेश?
बांग्लादेश की आज़ादी में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले भारत को भुला कर वो क्यों पाकिस्तान की राह पर चल पड़े हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पाकिस्तान को एक के बाद एक रियायत दे रही है. पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा आसान कर दिया गया है जैसा शेख हसीना के दौर में नहीं था. बांग्लादेश में पाकिस्तान का हाई कमीशन काफ़ी सक्रिय है. सवाल ये है कि भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देेता रहा पाकिस्तान बांग्लादेश को क्या देने जा रहा है.
क्या पाकिस्तान से क़रीबी बांग्लादेश को भी कट्टरपंथ की ओर तेज़ी से नहीं धकेल देगी… वैसे भी जब अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की कमान संभाली और उनकी ही नाक के नीचे लंबे अर्से तक अल्पसंख्यकों ख़ासतौर पर हिंदुओं के ख़िलाफ़ हिंसा का दौर शुरू हो गया. ऐसी हिंसा का विरोध कर रहे पुजारी चिन्मॉय कृष्ण दास समेत कई लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया. भारत ने इन तमाम घटनाओं पर सख़्त प्रतिक्रिया जताई. मोहम्मद यूनुस को याद दिलाया कि अल्पसंख्यकों के प्रति उनकी ज़िम्मेदारियां क्या हैं.
लेकिन मोहम्मद यूनुस एक तरफ़ अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर ज़ुबानी जमाखर्च करते रहे और उधर अपने देश में कट्टरपंथियों को खुली छूट दे दी… बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान की विचारधारा पर यकीन रखने वाले लोग बांग्लादेश में हाशिए पर हैं, कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं. बांग्लादेश में जो माहौल बदला उसका असर वहां के तमाम संस्थानों पर दिख रहा है. बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक ने वहां की मुद्रा पर मुजीबुर्रहमान की तस्वीरों को हटाने का फ़ैसला किया है. वहां की अदालत ने कहा है कि जॉय बांग्ला अब वहां का राष्ट्रीय नारा नहीं रहेगा. ये नारा बांग्लादेश के मुक्ति आंदोलन के दौरान बना था और अब जो बांग्लादेश में हो रहा है उससे ये साफ़ लग रहा है कि मुक्ति के उस दौर की विरासत, तमाम चिन्हों, संकेतों को मिटाने की कोशिश तेज़ हो गई है.
साल 2024 में 8 दिसंबर तक 2200 घटनाएं हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हैं. जबकि साल 2023 में 302 घटनाएं सामने आई थी. विदेश मंत्रालय के मुताबिक बांग्लादेश ही नहीं पाकिस्तान में भी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा बढ़ी है..साल 2024 में वहां ऐसी 112 घटनाएं हुईं जबकि साल 2023 में 103 घटनाएं हुई थीं. अल्पसंख्यकों ख़ासकर हिंदुओं के प्रति संवेदनहीन रवैया रखने वाले इन दोनों देशों का क़रीब आना क्या बताता है. क्या भारत को अब एक और मोर्चे पर लगातार सतर्क रहना होगा. ख़ासकर आतंकियों की गतिविधियों को लेकर.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटा दी है. मोहम्मद यूनुस को अब जमात-ए-इस्लामी की कठपुतली के तौर पर देखा जाने लगा है. तख़्ता पलट के फौरन बाद ही बांग्लादेश की जेलों से कई कट्टरपंथी आतंकी रिहा कर दिए गए. ऐसे कम से कम 70 खूंखार आतंकवादी हैं जो अब आज़ाद घूम रहे हैं और इस्लामी कट्टरपंथ को तेज़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला और हिज़्बुत ताहिर पर कई देशों में पाबंदी है… शेख हसीना के दौर में इन संगठनों से जुड़े आतंकियों को जेलों में डाल दिया गया था लेकिन अब वो आज़ाद है…सूफ़ी इस्लाम पर चलने वाला बांग्लादेश अब वहाबी इस्लाम की ओर चल पड़ा है.. हिज़्बुत ताहिर के समर्थक मानते हैं कि बांग्लादेश जल्दी ही कट्टरपंथ इस्लाम को अपना लेगा. बांग्लादेश में ऐसे कट्टरपंथी संगठनों को नई ताक़त मिल गई है…
भारत के लिए एक और मोर्चे पर इस्लामी कट्टरपंथी ताक़तों से निपटने की चुनौती ही नहीं है… सामरिक, रणनीतिक चुनौती भी बढ़ गई है. बांग्लादेश और पाकिस्तान के क़रीब आने से भारत की सामरिक और रणनीतिक चिंताएं इसलिए भी बढ़ रही हैं कि चीन के साथ मिलकर ये तीनों देश जो त्रिकोण बनाएंगे वो भारत को घेरने की कोई कोशिश नहीं छोड़ेगा. चीन पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों के ही साथ अपने रक्षा संबंध और मज़बूत कर रहा है… चीन पाकिस्तान के बाद दूसरे स्थान पर सबसे ज़्यादा हथियारों की सप्लाई बांग्लादेश को करता रहा है… चीन ने बांग्लादेश को लड़ाकू विमान, ट्रेनर एयरक्राफ्ट, टैंक, समुद्री जहाज़ और मिसाइल तक बांग्लादेश को सप्लाई किए हैं… और अब वो बांग्लादेश एयरफोर्स को आधुनिक बनाने में भी भूमिका निभा सकता है…
4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान भारत के लिए भी एक चुनौती बन सकता है… इसकी तुलना अमेरिका के F16 लड़ाकू विमान से की जाती है.. उधर पाकिस्तान ने भी एलान किया है कि वो जनवरी में चीन के FC-31 stealth fighter jets को ख़रीदने जा रहा है… ये फिफ्थ जनरेशन का फाइटर है जो स्टेल्थ तकनीक समेत कई खूबियों से भरा है और अमेरिका के F35 से उसकी तुलना की जाती है.
दक्षिण एशिया में ये बदलता शक्ति संतुलन अमेरिका के लिए भी चिंता की वजह है जो पहले ही एशिया प्रशांत क्षेत्र के पूर्व में ताइवान के आसपास चीन के वर्चस्व को चुनौती देने में जुटा है… अब बांग्लादेश में चीन, पाकिस्तान के बढ़ते दखल से बदलती भूसामरिक परिस्थितियां अमेरिका और भारत के लिए नई चुनौती बन गई हैं… वक्त है ब्रेक का, ब्रेक के बाद देखेंगे जिस पाकिस्तान से बांग्लादेश पींग बढ़ा रहा है उसने क्या हश्र किया था बांग्लादेश का.
हिन्दू विरोधी हो रहा है बांग्लादेश
क्या पाकिस्तान से क़रीबी बांग्लादेश को भी कट्टरपंथ की ओर तेज़ी से नहीं धकेल देगी… वैसे भी जब अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की कमान संभाली और उनकी ही नाक के नीचे लंबे अर्से तक अल्पसंख्यकों ख़ासतौर पर हिंदुओं के ख़िलाफ़ हिंसा का दौर शुरू हो गया… ऐसी हिंसा का विरोध कर रहे पुजारी चिन्मॉय कृष्ण दास समेत कई लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया… भारत ने इन तमाम घटनाओं पर सख़्त प्रतिक्रिया जताई… मोहम्मद यूनुस को याद दिलाया कि अल्पसंख्यकों के प्रति उनकी ज़िम्मेदारियां क्या हैं.
लेकिन मोहम्मद यूनुस एक तरफ़ अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर ज़ुबानी जमाखर्च करते रहे और उधर अपने देश में कट्टरपंथियों को खुली छूट दे दी. बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान की विचारधारा पर यकीन रखने वाले लोग बांग्लादेश में हाशिए पर हैं, कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं. बांग्लादेश में जो माहौल बदला उसका असर वहां के तमाम संस्थानों पर दिख रहा है… बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक ने वहां की मुद्रा पर मुजीबुर्रहमान की तस्वीरों को हटाने का फ़ैसला किया है. वहां की अदालत ने कहा है कि जॉय बांग्ला अब वहां का राष्ट्रीय नारा नहीं रहेगा. ये नारा बांग्लादेश के मुक्ति आंदोलन के दौरान बना था और अब जो बांग्लादेश में हो रहा है उससे ये साफ़ लग रहा है कि मुक्ति के उस दौर की विरासत, तमाम चिन्हों, संकेतों को मिटाने की कोशिश तेज़ हो गई है.
चीन पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों के ही साथ अपने रक्षा संबंध और मज़बूत कर रहा है. चीन पाकिस्तान के बाद दूसरे स्थान पर सबसे ज़्यादा हथियारों की सप्लाई बांग्लादेश को करता रहा है… चीन ने बांग्लादेश को लड़ाकू विमान, ट्रेनर एयरक्राफ्ट, टैंक, समुद्री जहाज़ और मिसाइल तक बांग्लादेश को सप्लाई किए हैं. और अब वो बांग्लादेश एयरफोर्स को आधुनिक बनाने में भी भूमिका निभा सकता है.
4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान भारत के लिए भी एक चुनौती बन सकता है… इसकी तुलना अमेरिका के F16 लड़ाकू विमान से की जाती है… उधर पाकिस्तान ने भी एलान किया है कि वो जनवरी में चीन के FC-31 stealth fighter jets को ख़रीदने जा रहा है… ये फिफ्थ जनरेशन का फाइटर है जो स्टेल्थ तकनीक समेत कई खूबियों से भरा है और अमेरिका के F35 से उसकी तुलना की जाती है. पाकिस्तान के पास पहले से ही चीन से ख़रीदे गए J-10C, JF-17 and HQ-series missile systems मौजूद हैं.