इजरायल ने तोड़ दिया ईरान का सपना? यूं ही नहीं बदले की आग में जल रहे खामेनेई, ट्रंप ने और बढ़ा दी टेंशन


ईरान के न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर पर हुए हमले की खबर जंगल में आग की तरह फैल रही है. ये न्यूक्लियर विकास कार्यक्रम ही तो है, जिसे लेकर ईरान प्रतिबंधों की मार झेल रहा है. ऐसी मार कि कुछ साल और ऐसे ही चला तो भीख का कटोरा पाकिस्तान से ईरान ट्रांसफर हो सकता है. ये न्यूक्लियर पावर बनने की ही तो ज़िद है, जिसने चौधरी अमेरिका को ईरान के खिलाफ खड़ा कर दिया है. ये न्यूक्लियर पावर वाली सनक ही तो है जिसकी वजह से इजरायल ईरान के बीच खुली जंग भड़की तो परमाणु युद्ध में तब्दील होने की आशंका जाहिर की जाती है. ये न्यूक्लियर ठिकाने ही तो हैं, जिसे लेकर अमेरिका इजरायल अब तक कहते आए हैं कि उन्होंने ईरान के इन सेंटरों को टारगेट नहीं किया, लेकिन अब तस्वीर सामने है.

इजरायली मीडिया रिपोर्ट में दो अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि हमले में तेहरान के पास पारचिन में सीक्रेट न्यूक्लियर रिसर्च फैसिलिटी को नष्ट कर दिया गया. इस हमले में विस्फोटकों को आकार देने और परीक्षण करने के लिए जरूरी जटिल उपकरण तबाह हो गए हैं, जो न्यूक्लियर चेन रिएक्शन शुरू करने के लिए अहम है.

अमेरिकी और इजरायली अधिकारियों के दावे के मुताबिक पिछले एक साल में ईरान ने परमाणु हथियारों से जुड़ा रिसर्च फिर से शुरू किया है. इजरायली अधिकारियों का दावा है कि अगर ईरान परमाणु हथियार विकसित करने का फैसला करता है तो उसे नष्ट किए गए उपकरणों को बदलने की ज़रूरत पड़ेगी.

मतलब इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला कर उसे परमाणु रूप से पंगु बना दिया है. नष्ट हुए उपकरणों के बिना ईरान अब फंस गया है.

इजरायली हमले में ईरान को क्या-क्या नुकसान?
इजरायल ने ईरान के जिस पारचिन सैनिक परिसर को निशाना बनाया, उसके अंदर ही तालेघन 2 न्यूक्लियर फैसिलिटी है. इसका उपयोग 2003 से पहले परमाणु उपकरण के लिए विस्फोटकों के परीक्षण के लिए किया जाता था. ईरान ने वर्ष 2003 में सैन्य परमाणु कार्यक्रम को रोक दिया था, इसके बाद से ही उपकरण साइट पर रखे थे.

एक अक्टूबर के ईरान के हमले के जवाब में इजरायल की सेना ने 26 अक्तूबर को ईरान पर हवाई हमला किया. इस हमले में ईरान को भारी नुकसान हुआ, जिसमें उसका अंतरिक्ष केंद्र भी तबाह हो गया. इजरायली हवाई हमले में चार ईरानी सैनिकों की मौत होने का दावा किया गया. हमले में ईरान की मिसाइल निर्माण इकाइयों को भी नुकसान हुआ.

हालांकि, ईरान ने हमले से होने वाले नुकसान को मामूली बताया. अमेरिका ने इजरायल के हवाई हमले को आत्मरक्षा करार दिया और जवाबी कार्रवाई पर ईरान को धमकी दी. अमेरिका ने ईरान को साफ चेताया कि अब इजरायल के खिलाफ अगर पलटवार किया, तो गंभीर अंजाम भुगतने होंगे. सुप्रीम लीडर अली खामेनेई तब से लेकर अब तक खून का घूंट पीकर खामोशी अख़्तियार किए हुए हैं, लेकिन क्या ईरान हमेशा के लिए खामोश हो गया है? इस सवाल का जवाब जानना बहुत ज़रूरी है.

ट्रंप के आते ही बदल गया ईरान का रुख
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी IAEA के प्रमुख राफ़ेल ग्रॉसी ने ईरान के दो बड़े परमाणु केंद्रों का दौरा किया है. ये इसलिए कि ईरान ने ट्रंप की जीत के बाद अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों में ढील के लिए न्यूक्लियर प्रोग्राम पर समझौता करने की मंशा जताई है. IAEA दुनिया भर के परमाणु प्रोग्रामों पर नजर रखती है. ईरान के परमाणु प्रोग्राम को लेकर इजरायल,अमेरिका के साथ-साथ कई पश्चिमी देश आपत्ति जता चुके हैं. डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से ईरान को डर है कि वो परमाणु प्रोग्राम की आड़ में उसके ऊपर और कड़े प्रतिबंध लगाएंगे.

ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ईरान की इसी न्यूक्लियर प्रोग्राम डील से अमेरिका को अलग कर लिया था. और अब ईरान का रुख बदलता दिख रहा है. कारण स्पष्ट है ट्रंप सत्ता में आने वाले हैं. ये वही ईरान है जिसने सिर्फ़ एक वर्ष पहले IAEA की निगरानी टीम के लगभग एक-तिहाई सदस्यों पर प्रतिबंध लगा दिया था. तेहरान ने जांचकर्ताओं को चरमपंथी करार दिया था, जिससे ईरान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच उसकी परमाणु गतिविधियों को लेकर तनाव और बढ़ गया था.

अब वही ईरान ट्रंप की वापसी से पहले सहयोग की इच्छा जता रहा है. हालांकि ईरान वर्षों से मेहनत कर परमाणु बम बनाने के जुटाए संसाधनों से किनारा कर लगेगा ये इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि ये परमाणु शक्ति वाला ईरानी रौब है, जो उसकी पश्चिम एशिया में बादशाहत की चाहत के रास्ते में टर्निंग पॉइंट है.

ऐसे में सवाल उठता है कि इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने पर जो हमला किया है उसका ईरान कैसे बदला लेगा? 26 अक्टूबर को जब इजरायल ने 100 लड़ाकू विमानों से ईरान पर हमला किया तो उसके ठीक बाद सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने सेना को आदेश दिया कि वो इजरायल पर हमले की तैयारी शुरू कर दें. लेकिन दिन… हफ़्ते और अब महीना पूरा होने को नज़दीक है. ईरान इजरायल पर हमले की या तो हिम्मत नहीं जुटा पा रहा या मुफीद मौके के इंतजार में है.

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