इस नंबर पर फोन करते ही एंबुलेस के लिए खाली हो जाएगी रोड, आगरा ट्रैफिक पुलिस ने किया ये बेहतरीन काम



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आगरा: शहरों में लगने वाला जाम लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है. इससे लोगों का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है. जहां लोगों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ता है वहीं ऑटो और कार सहित तमाम वाहनों का फालतू में पेट्रोल-डीजल जलता है. सबसे बड़ी दिक्कत तो तब होती है जब इस जाम में कई एंबुलेंस फंस जाती हैं और उनमें सीरियस मरीज होते हैं. कई मामले ऐसे भी देखे गए जब जाम के चलते मरीज को समय से हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया जा सका और रास्ते में एंबुलेंस में ही उनकी मौत हो गई. अब आगरा ट्रैफिक पुलिस इस दिशा में काम कर रही है जिससे कि एंबुलेस जाम में ना फंसने पाए.

आगरा ट्रैफिक पुलिस ने एंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया है. यानी अब किसी भी चौराहे या फिर ट्रैफिक सिग्नल पर कोई भी एंबुलेंस जाम में फंसी हुई नजर नहीं आएगी. बाकायदा इसके लिए पूरा सिस्टम बनाया  गया है. एसीपी ट्रैफिक अरीब अहमद के मुताबिक, आगरा ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया है जिसमें एंबुलेंस को रास्ता दिया जाएगा. किसी भी चौराहे पर एंबुलेंस को रेड सिग्नल का सामना नहीं करना पड़ेगा. अक्सर देखा जाता है कि सड़कों पर जाम होता है और जाम में एंबुलेंस फंसी हुई नजर आती हैं.

कैसे काम करेगा सिस्टम?
न्यूज़ 18 लोकल से बातचीत के दौरान एसीपी ट्रैफिक सैयद अरीब अहमद बताते हैं कि एंबुलेंस चालक, अस्पताल संचालक, कर्मचारी और मरीज के साथ आने वाले तीमारदारों को ट्रैफिक पुलिस के कंट्रोल रूम में फोन या मैसेज के जरिए ये बताना होगा कि उनकी एंबुलेंस किस रास्ते से और किस समय गुजरने वाली है. इसके लिए 9454457886 नंबर भी जारी किया गया है. इस नंबर पर कॉल कर सारी जानकारी देनी होगी. लोगों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर चौराहों पर ट्रैफिक संभालने वाले कर्मचारियों को कंट्रोल रूम से गाइड किया जाएगा. रेंगे और एंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाएंगे. किसी भी चौराहे पर एंबुलेंस नहीं रुकेगी और ना ही उसे रेड सिग्नल का सामना करना पड़ेगा.

ज्यादा से ज्यादा लोगों को हो ग्रीन कॉरिडोर की जानकारी
इसके साथ ही एसीपी सैयद अरीब अहमद का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा लोग ग्रीन कॉरिडोर के बारे में जानें. उनका यह भी कहना है कि एंबुलेंस को सड़कों और चौराहों पर खुद से रास्ता दें. किसी हादसे में घायल व्यक्ति के लिए पहले एक घंटा महत्वपूर्ण होता है जिसे गोल्डन आवर कहा जाता है. अगर इस समय के भीतर यानी घटना के शुरुआती समय में ही पीड़ित को इलाज मिल जाए तो उनके बचने की संभावना अधिक होती है. जितनी ही देरी उन्हें हॉस्पिटल पहुंचने में लगेगा उतना ही घायल व्यक्ति की जान जाने का खतरा बढ़ता जाता है.

कई बार हम देखते हैं कि घायल या बीमार व्यक्ति को जब एंबुलेंस अस्पताल लेकर जाती है तो वह ट्रैफिक जाम में फंस जाती है. ऐसे में हम लोगों से अपील करते हैं कि ग्रीन कॉरिडोर के साथ-साथ एंबुलेंस को रास्ता खुद से भी दें और पुलिस की  मदद करें .

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