इस पिता ने गरीबी देखी… पर बेटे को दुकान से रखा दूर, UPSC पास कर शिवम सिंह ने पूरा किया सपना


सौरभ वर्मा/रायबरेली : यूपीएससी ने सिविल सर्विस एग्जामिनेशन 2023 का फाइनल रिजल्ट मंगलवार को घोषित कर दिया. इस बार लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने यूपीएससी में टॉप किया है. दूसरे नंबर पर अनिमेष प्रधान रहे जबकि अनन्या रेड्डी तीसरे स्थान पर रहीं. यूपीएससी ने 1016 सफल उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट जारी की है जिसमें 664 पुरुष और 352 महिलाएं शामिल हैं. यूपीएससी की इस परीक्षा में रायबरेली के लाल ने भी कमाल किया है. गौरतलब है कि रायबरेली में विकास भवन के बाहर स्टेशनरी की गुमटी चलाने वाले व्यक्ति के बेटे ने यूपीएससी में 877 वीं रैंक हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है. खास बात यह कि उनका बेटा 2019 बैच का पीसीएस है और इन दिनों गोरखपुर में एसडीएम के पद पर तैनात है.

शहर स्थित प्रगतिपुरम कॉलोनी के एलआइजी मकान में रहने वाले रामनरेश सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. पैतृक गांव से चलकर शहर में रोज़ी रोटी की तलाश में राम नरेश सिंह जब यहां आए थे. तब उनके पास रहने तक का ठिकाना नहीं था. 1994 में उन्होंने विकास भवन के सामने टीन की गुमटी डालकर स्टेशनरी बेचने का काम शुरू किया और उसी की छोटी सी कमाई से उन्होंने प्रगतिपुरम में एक एलआईजी मकान बनाया. यहां रहते हुए ही इनके दो होनहार बेटे शुभम सिंह और शिवम सिंह संघर्षों के बीच पढाई में अव्वल आते रहे.

2019 में बने थे कर एसडीएम
शिवम ने 12वीं के बाद लखनऊ से बीटेक किया और उसके बाद धनबाद के आईआईटी से एमटेक पूरा किया. इस दौरान निजी कंपनी में प्‍लेसमेंट हुआ पर उन्‍होंने नौकरी ज्‍वाइन नहीं किया इसके बाद वे सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए. 2019 में शिवम को पहली सफलता तब मिली जब उन्होंने 38 वीं रैंक हासिल कर एसडीएम का पद हासिल कर लिया. शिवम सिंह ने यूपीएससी की परीक्षा में 877वीं रैंक मिली है. शिवम आईएफएस सेवा में जाना चाहते हैं. उनकी रैंक के मुताबिक उन्‍हें आईएफएस मिल सकता है. हालांकि वे तैयारी जारी रखेंगे.

संघर्ष ही सफलता का मूल मंत्र
शिवम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि संघर्ष सफलता का मूल मंत्र है. जीवन में कितनी भी कठिनाई आए हैं लेकिन अपने लक्ष्य से कभी भटकना नहीं चाहिए. उन्होंने लखनऊ से बीटेक करने के बाद आईआईटी धनबाद से एमटेक की डिग्री हासिल की. उसके बाद एक निजी कंपनी में नौकरी करने के साथ ही तैयारी भी शुरू कर दिया. वह बताते हैं की यह सफलता उनके माता-पिता और उनके गुरुजनों का आशीर्वाद है. उन्होंने यूपीएससी के तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है.

पूरा हुआ 30 साल पुराना सपना
Local 18 से बात करते हुए शुभम सिंह के पिता रामनरेश सिंह ने बताया कि बेटे ने जब फोन पर वीडियो कॉल के माध्यम से जानकारी दी कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली है तो उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा. वह बताते हैं कि उनकी पत्नी बबीता सिंह गृहणी है तो वहीं उनका बड़ा बेटा बेंगलुरु की एक कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत है. अब छोटे बेटे ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर हमारे सपने को पूरा कर दिया है. मेरा सपना था कि मेरा बेटा भी अफसर बने. क्योंकि विकास भवन से जब भी कोई अफसर निकलता तो उन्हें यह लगता कि काश मेरा बेटा भी अफसर होता. जिस सपने को मैंने आज के 30 वर्ष पूर्व देखा था उसे आज मेरे बेटे ने हकीकत में बदल दिया है इसीलिए मुझे अपने बेटे पर बड़ा गर्व है.

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