उत्तराखंड के पहाड़ों में ऐसे करें बिहारी मखाना की खेती…फ्री में यहां मिलेंगे पौधे


हल्द्वानी. बिहार के मखाने की मांग देश सहित विदेशों में भी बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है. बिहारी मखाना अपनी बेहतर क्वालिटी और गुणों के लिए जाना जाता है. उत्तराखंड के हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में बिहारी मखाना भी बोया गया है. केंद्र में एक्वेटिक गार्डन बनाया गया है. जहां विभिन तरह के जलीय पौधे है. वही मखाना के पौधे भी लगाए गए है. तो आइए आज हम आपकों बताएंगे कि अगर आपको भी अपने घर में यह पौधा लगाना है तो कैसे लगा सकते हैं.

मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि मखाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. मखाने में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम भी होता है.

कैसे करें मखाने की खेती?
संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि सबसे पहले तो मखाने को बोने के लिए भरपूर मात्रा में पानी होना अनिवार्य होता है. इसके बीज दिसंबर के महीने में तालाब या गड्ढे में बोए जाते हैं. बीज बोने से पहले उस तालाब की अच्छे से सफाई करनी होती है. उसके बाद पूरे तालाब में इस बीज की रोपाई की जाती है. बीज बोने के दौरान यह ध्यान रखाना है कि इनके बीच की दूरी ज्यादा ना हो. 28 से 30 दिनों के अंदर में यह भी देखना और सुनिश्चित करना होता है कि बीज में अंकुर आ रहे हैं कि नहीं? उन्होंने कहा कि अगर किसी को भी अपने घर में यह पौधा बोना है तो वह वन अनुसंधान केंद्र से ले जा सकते हैं.

ऐसे निकाले पानी से मखाना
संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि जब मखाने का फल तैयार हो जाता है तो, या यूं कह सकते हैं कि फल पक जाता है, तो सबसे पहले उसके ऊपर का परतनुमा पत्ते को काट कर हटाया जाता है. इसके बाद इसको पानी के अंदर से निकाला जाता है. पानी से निकालने के बाद मखाने के दाने को धूप में सुखाया जाता है.

बिहार में होती है 80 प्रतिशत खेती
संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि देश में मखाने की 80 फीसदी खेती अकेले बिहार में की जाती है, क्योंकि यहां की जलवायु मखाने के लिए सबसे उपयुक्त है. इसके साथ ही असम, मेघालय और उड़ीसा में भी इसकी खेती की जाती है. बिहार के मिथिलांचल की धरती पर उपजने वाला न्यूट्रीशियन व प्रोटीन से भरपूर मखाना की मांग देश सहित विश्व में बड़े पैमाने पर है.

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