ऋषिकेश में फिस्टुला का आयुर्वेदिक इलाज: डॉ. राजकुमार का क्लिनिक

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Agency:News18 Uttarakhand

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डॉ राजकुमार ने कहा कि फिस्टुला (भगंदर) एक तकलीफदेह लेकिन उपचार योग्य समस्या है. एलोपैथी में इसका समाधान सर्जरी द्वारा किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद में इसे प्राकृतिक रूप से ठीक करने के कई कारगर उपाय उपलब्ध हैं.

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फिस्टुला

फिस्टुला से छुटकारा पाना हुआ आसान, आयुर्वेद से संभव है इसका इलाज

हाइलाइट्स

  • फिस्टुला का आयुर्वेदिक इलाज संभव है
  • आयुर्वेद में हर्बल और प्राकृतिक उपाय उपलब्ध हैं
  • सर्जरी की जरूरत नहीं, आयुर्वेद से राहत मिल सकती है

ऋषिकेश: फिस्टुला (भगंदर) एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें गुदा क्षेत्र के आसपास एक असामान्य नली जैसी संरचना बन जाती है. यह नली गुदा के अंदरूनी भाग और बाहरी त्वचा के बीच होती है, जिससे संक्रमण और पस का रिसाव हो सकता है. यह समस्या आमतौर पर गुदा क्षेत्र में लंबे समय तक बने रहने वाले फोड़े या संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है. यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति दर्दनाक और असहज हो सकती है. आयुर्वेद में इस समस्या को ‘भगंदर’ कहा गया है, और इसके उपचार के लिए कई प्रभावी प्राकृतिक और हर्बल उपाय उपलब्ध हैं.

लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित कायाकल्प हर्बल क्लिनिक के डॉ राजकुमार (आयुष) ने कहा कि फिस्टुला (भगंदर) एक तकलीफदेह लेकिन उपचार योग्य समस्या है. एलोपैथी में इसका समाधान सर्जरी द्वारा किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद में इसे प्राकृतिक रूप से ठीक करने के कई कारगर उपाय उपलब्ध हैं. आयुर्वेदिक हर्बल उपचार, संतुलित आहार, योग और क्षारसूत्र चिकित्सा जैसी विधियों का पालन करके इस बीमारी से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है. अगर आपको फिस्टुला के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लें और समय पर इलाज शुरू करें

फिस्टुला के लक्षण

1. गुदा के आसपास दर्द और सूजन – प्रभावित क्षेत्र में लगातार दर्द और सूजन बनी रहती है, खासकर मल त्याग के दौरान.

2. मवाद और रक्त का स्राव – फिस्टुला से पस (पीप) या खून का रिसाव हो सकता है, जिससे जलन और बदबू आती है.

3. त्वचा में जलन और खुजली – संक्रमित क्षेत्र में खुजली और जलन महसूस होती है.

4. मल त्याग में कठिनाई – मरीज को कब्ज, दर्द या मलाशय में भारीपन महसूस हो सकता है.

5. बुखार और कमजोरी – शरीर में संक्रमण बढ़ने पर हल्का बुखार और थकान हो सकती है.

6. गुदा क्षेत्र में छोटा छेद – त्वचा पर छोटा सा छेद या नलीनुमा संरचना देखी जा सकती है, जिससे पस बाहर आता है.

फिस्टुला के कारण
फिस्टुला मुख्य रूप से गुदा क्षेत्र में संक्रमण और सूजन के कारण होता है. इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
गुदा क्षेत्र में बार-बार होने वाले फोड़े
लंबे समय तक कब्ज या डायरिया
आंतों में क्रॉनिक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Crohn’s Disease)
सर्जरी के बाद संक्रमण
मलाशय के कैंसर या टीबी जैसी गंभीर बीमारियां
कमजोर इम्यून सिस्टम और खराब जीवनशैली

आयुर्वेद में फिस्टुला (भगंदर) का उपचार
आयुर्वेद में फिस्टुला को एक गंभीर रोग माना गया है, लेकिन इसका इलाज प्राकृतिक रूप से किया जा सकता है. भगंदर के उपचार में हर्बल औषधियों, आहार और जीवनशैली में बदलाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. त्रिफला चूर्ण कब्ज को दूर करता है और मल त्याग को आसान बनाता है. रोज़ रात को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें. इस पूरे ट्रीटमेंट के लिए यहां हर महीने 6000 रुपये लिए जाते हैं. जिसमें दवाएं, ट्यूब, इंजेक्शन उपलब्ध कराई जाती है. ज्यादा जानकारी के लिए आप ऋषिकेश में राम झूला पर चंद्रभागा पुल पर स्थित कायाकल्प हर्बल क्लीनिक के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राजकुमार से उनके मोबाइल नंबर +91 75794 17100 पर संपर्क कर सकते हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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