एक्‍सप्रेसवे पर ज्यादा तेज गाड़ी चला सकते हैं या एक्‍सेस कंट्रोल्‍स हाईवे पर, 99 फीसदी लोगों को नहीं होगा पता



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नई दिल्‍ली. एक्‍सप्रेसवे पर सफर करने में वाहन चालकों को खूब मजा आता है. तमाम लोग 400 से 500 किमी. का सफर ट्रेन के बजाए गाड़ी से करना पसंद करते हैं. इन लोगों का मानना है कि अपनी गाड़ी से जहां चाहो रुक जाओ, रास्‍ते में पड़ने वाले ढाबों में खाना खाते पीते जाने का अलग ही आनंद है. इसी तरह एक्‍सेस कंट्रोल्‍स हाईवे में सफर करने का अनुभव होता है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि एक्‍सप्रेसवे और एक्‍सेस कंट्रोल्‍स हाईवे में वाहनों की स्‍पीड लिमिट क्‍या एक जैसी होती है या फिर अलग-अलग होती है. ज्‍यादातर वाहन चालकों को पता नहीं होगा. आइए जानें-

एक्‍सप्रेसवे और एक्‍सेस कंट्रोल्‍स हाईवे दोनों के निर्माण में थोड़ा फर्क होता है. साधारण हाईवे की स्‍पीड लिमिट 60 से 100 किमी. प्रति घंटे हो सकती है लेकिन एक्‍सप्रेसवे और एक्‍सेस कंट्रोल्‍ड हाईवे की स्‍पीड 120 किमी. प्रति घंटे होती है. हां एक बात जरूर है कि कई जगह स्‍पीड लिमिट तय कर दी गयी है. उहादरण के लिए दिल्‍ली मेरठ एक्‍सप्रेसवे पर निजामुद्दीन से लेकर लालकुआं तक स्‍पीड 80 किमी. प्रति घंटे की है. इसी तरह कई जगह एक्‍सेस कंट्रोल्‍ड हाईवे की लिमिट तय कर दी गयी है. मसलन दिल्‍ली देहरादून एक्‍सेस कंट्रोल्‍ड हाईवे की स्‍पीड लिमिट भी दिल्‍ली बॉर्डर तक 80 किमी. प्रति घंटे रखे जाने की संभावना है. यह हाईवे जल्‍द शुरू होने वाला है.

एक्‍सप्रेसवे की स्‍पीड लिमिट बढ़ी

सरकार द्वारा 2018 की अधिसूचना के अनुसार विभिन्न श्रेणियों के वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा निर्धारित की गई थी. एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे और एक्‍सप्रेसवे पर चलने वाले आठ सीटों वाले यात्री वाहनों के लिए 120 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड तय की गई थी, जबकि 4-लेन और उससे ऊपर डिवाइडेड हाईवे पर एक ही वाहन के लिए 100 किमी प्रति घंटे स्पीड निर्धारित की गई है.

क्‍या है फर्क दोनों में

एक्‍सेस कंट्रोल्‍ड हाईवे का मतलब एंट्री प्‍वाइंट सीमित हैं, यानी एक्‍सप्रेसवे जैसी सीमित एंट्री होती है. वहीं हाईवे की चौड़ाई 3.5 मीटर होती है, जबकि एक्‍सप्रेसवे की 3.75 मीटर होती है. वहीं हाईवे के साइड के सोल्‍डर ( रोड के बाद का हिस्‍सा जो मिट्टी वाला) 1.5 मीटर का होता है, जबकि एक्‍सप्रेसवे के 3 मीटर होते हैं. आमतौर पर हाईवे 4 लेन के होते हैं और बड़े शहरों को जोड़ते हैं. यही काम एक्सप्रेसवे भी करते हैं लेकिन उनकी लंबाई ज्यादा हो जाती हैं.

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