एफआईआई का भारतीय शेयर बाजार में मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स की ओर रुझान


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एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार में रणनीति बदलते हुए बड़े स्टॉक्स बेचकर स्मॉल और मिड कैप स्टॉक्स में निवेश बढ़ाया है. दिसंबर 2024 तिमाही में एफआईआई ने निफ्टी 50 की केवल 9 कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई, जबकि बीएसई म…और पढ़ें

अब इन शेयरों में पैसा लगा रहे विदेशी निवेशक, बड़े स्टॉक्स से बना रहे दूरी

विदेशी निवेशकों ने बड़े स्टॉक्स से जमकर पैसा निकाला है.

हाइलाइट्स

  • एफआईआई ने बड़े स्टॉक्स बेचकर स्मॉल और मिड कैप में निवेश बढ़ाया.
  • दिसंबर 2024 तिमाही में एफआईआई ने निफ्टी 50 की 9 कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई.
  • एफआईआई का आईपीओ में निवेश बढ़ा, बेहतर रिटर्न के कारण मिड और स्मॉल कैप में रुचि.

नई दिल्ली. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार में अपनी रणनीति बदल ली है. अब वे बड़े स्टॉक्स बेच रहे हैं और स्मॉल कैप और मिड कैप स्टॉक्स में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जिसे पहले तक रिटेल निवेशकों का खेल माना जाता था. दिसंबर 2024 तिमाही में, एफआईआई ने केवल 9 निफ्टी 50 कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई, जबकि बाकी में अपनी हिस्सेदारी कम कर दी.

मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, निफ्टी 100 में भी एफआईआई ने केवल 26 कंपनियों में निवेश बढ़ाया. इसके विपरीत, बीएसई मिड कैप इंडेक्स की 44% कंपनियों और बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स की 55% कंपनियों में एफआईआई ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई. बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स में शामिल 937 कंपनियों में से 466 कंपनियों में एफआईआई ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जबकि 425 में हिस्सेदारी घटाई.

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आईपीओ में बढ़ा निवेश
एफआईआई का स्मॉल और मिड कैप स्टॉक्स में झुकाव आईपीओ के प्रति बढ़ते विश्वास को दिखाता है. डीआर चोकसी फिनसर्व के देवन चोकसी का कहना है कि एफआईआई ने आईपीओ से मिलने वाली उच्च लिक्विडिटी और कम फ्लोट का फायदा उठाया है. डेटा के अनुसार, एफआईआई ने दिसंबर तिमाही में सेकेंडरी मार्केट से 1.56 लाख करोड़ रुपये निकाले, जबकि प्राइमरी मार्केट (आईपीओ) में 55,582 करोड़ रुपये का निवेश किया.

आईपीओ के बेहतर रिटर्न
पिछले एक साल में, आईपीओ ने 50-80% या 100% से अधिक लिस्टिंग रिटर्न दिए हैं, जबकि बड़े स्टॉक्स में 10-15% का रिटर्न सामान्य रहा. यह रिटर्न अंतर मिड और स्मॉल कैप में एफआईआई की बढ़ती रुचि का एक प्रमुख कारण है.

स्टॉक-विशिष्ट रुझान
मिड और स्मॉल कैप में एफआईआई की रुचि का एक और कारण बाजार का स्टॉक-विशिष्ट होना है. वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी डायरेक्टर क्रांति बथिनी के अनुसार, वर्तमान में कंपनियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन उनके स्टॉक वैल्यूएशन और पोर्टफोलियो रणनीतियों के आधार पर हो रहा है.

भारत की अर्थव्यवस्था और एफआईआई बिकवाली
एफआईआई की लगातार बिकवाली भारत की धीमी आर्थिक वृद्धि, दिसंबर तिमाही के कमजोर नतीजों और बाहरी अनिश्चितताओं जैसे अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी को दर्शाती है. लेकिन एक्सिस सिक्योरिटीज के एनालिस्ट राजेश पालवीया के अनुसार, “भारत का दीर्घकालिक विकास मजबूत है, लेकिन वर्तमान आर्थिक मंदी और कमजोर आय एफआईआई की बिकवाली को प्रेरित कर रही है. हालांकि, अगले 1-2 महीनों में यह ट्रेंड बदल सकता है. यूनियन बजट, आरबीआई की नीतियां, या कंपनियों के तिमाही नतीजे इस बदलाव को गति दे सकते हैं.”

(Disclaimer: यहां बताए गया स्टॉक्स सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से हैं. यदि आप इनमें से किसी में भी पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह की लाभ या हानि के लिए लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

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