एफएंडओ में स्टॉक्स की एंट्री हुई मुश्किल, कई शेयर हो सकते हैं अब सेगमेंट से बाहर


नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार में एफएंडओ (फ्यूचर्स और ऑप्शंस) सेगमेंट में स्टॉक्स की एंट्री के लिए नए नियम लागू कर दिए गए हैं. अब किसी भी स्टॉक को एफएंडओ सेगमेंट में शामिल करने से पहले उसे कैश मार्केट में लगातार 6 महीने तक एक निश्चित मानदंड को पूरा करना होगा. इसके अलावा, एफएंडओ सेगमेंट में शामिल स्टॉक्स के लिए कुछ नियम भी कड़े किए गए हैं.

मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया गया है. इसका मतलब है कि अब स्टॉक्स के प्राइस मूवमेंट को प्रभावित करने के लिए न्यूनतम राशि (प्राइस X वॉल्यूम) को बढ़ा दिया गया है. इससे यह होगा कि पैसों का गलत इस्तेमाल करके स्टॉक की कीमतों में बहुत तेज बदलाव नहीं किया जा सकेगा. मार्केट वाइड पोजीशन लिमिट को 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसके अलावा, एवरेज डेली डिलीवरी वैल्यू को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

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नियमों के प्रभाव और अनुपालन
अगर कोई स्टॉक लगातार 3 महीने तक इन मानदंडों को पूरा नहीं करता है, तो उसे एफएंडओ सेगमेंट से बाहर कर दिया जाएगा. बाहर किए गए स्टॉक्स को अगले एक साल तक एफएंडओ सेगमेंट में फिर से शामिल नहीं किया जाएगा. ये नए नियम तुरंत लागू हो गए हैं. हालांकि, मौजूदा स्टॉक्स को इन नियमों के अनुसार ढलने के लिए 6 महीने का समय दिया गया है.

कौन से स्टॉक्स हो सकते हैं बाहर
नए नियम लागू होने के बाद 23 स्टॉक्स के एफएंडओ सेगमेंट से बाहर होने की आशंका है. इनमें लॉरेस लैब, रैम्को सीमेंट्स, दीपक नाइट्राइट, अतुल लिमिटेड, टौरेंट फार्मा, चंबल फर्टिलाइजर, गुजरात गैस, कोरोमंडल इंटरनेशनल, सन टीवी, सिंजेनस, सिटी यूनियन बैंक, जीएनएफसी, बाटा इंडिया, डॉ लाल पैथलैब्स, और यूबीएल शामिल हैं.

Tags: Business news, Share market



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