ऑनलाइन शॉपिंग नहीं कर पा रहे इन 3 गांवों के लोग, अजीब है वजह, 2 CM भी नहीं निकाल पा रहे हल! – 3 Village people who attached with Haridwar District fail to enjoy online shopping reason will shock you surely fascinating story
हरिद्वार. उत्तराखंड राज्य को बने 24 साल हो गए हैं लेकिन हरिद्वार जिले के तीन गांवों के डाकखाने आज भी बिजनौर के पिन कोड पर चल रहे हैं. यहां लोगों को उनकी चिट्ठी और जरूरी दस्तावेज देर से मिलते हैं. उन्हें खुद बिजनौर के चक्कर काटने पड़ते हैं. यहां के युवा ऑनलाइन शॉपिंग का फायदा तो उठा ही नहीं पाते. हरिद्वार जिले के लालढांग, गेंडीखाता और मीठीबेरी गांव उत्तराखंड बनने से पहले बिजनौर जिले के अंतर्गत आते थे. 2000 में उत्तराखंड राज्य बना. इन गांवों को भी उत्तराखंड में शामिल किया गया.
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में आने से इन गांव की पहचान तो बदली लेकिन 24 साल बाद भी इनके पिन कोड नहीं बदल पाए हैं. यहां के तीनों पोस्ट ऑफिस बिजनौर जिले से संबद्ध है जिसकी वजह से यहां डाक सीधी ना पहुंचकर बिजनौर जिले के नजीबाबाद से घूमकर आती है. अगर कोई जरूरी दस्तावेज डाकखानों में अटक जाए तो लोगों को बिजनौर के चक्कर लगाने पड़ते हैं. सबसे बड़ी समस्या यहां के युवाओं को है जो ऑनलाइन शॉपिंग के इस दौर में भी होम डिलीवरी का लाभ नहीं ले पाते हैं.
ग्रामीण आनंद ने बताया, ‘हमारे गांव का पिन कोड 246763 है जो कि यूपी का है. कोई चीज मंगाना हो तो वो पहले नजीबाबाद जाती है, फिर वहां से आती है. हमें समय पर डाक नहीं मिलती. पार्सल वगैरह समय पर नहीं मिलता. या तो हमें हरिद्वार जाना पड़ता है या फिर श्यामपुर. नजीबाबाद जाना पड़ता है.’
अन्य ग्रामीण जतिन ने बताय, ‘हमें श्यामपुर जाना पड़ता है जो कि यहां से 10 किलोमीटर दूर है. हमारे गांव का कोई पिनकोड ही नहीं है. दिक्कत होती है ऑनलाइन शॉपिंग करने में. हम हरिद्वार का पिन कोड डालते हैं क्योंकि हमारे गांव का बिजनौर पिनकोड लगता है. वहां से डाक आती नहीं है. कैश ऑन डिलीवरी हो जाता है, वो लोग यहां नहीं आते. हमारे गांव का पिन कोड चेंज होना चाहिए.’
डाक विभाग की ये लापरवाही पोस्ट ऑफिस स्टाफ के लिए भी जी का जंजाल बनी हुई है. यहां के पोस्ट मास्टरों को ही नजीबाबाद से डाक लानी पड़ती है और फिर गांव में चिट्ठियां बांटी जाती हैं. तीनों पोस्ट ऑफिस के पोस्टमास्टर या पोस्टमैन बारी-बारी नजीबाबाद से डाक लेकर आते हैं.
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लालढांग पोस्टमास्टर हिमानी ने बताया, ‘हमें नजीबाबाद डाक बनाना होता है. वह यहां से बहुत दूर पड़ता है. हरिद्वार से शिफ्ट हो पिन हो तो ज्यादा फायदा होगा.’
कुरियर और ईमेल जैसे माध्यमों का चलन आम हो जाने से अब ज्यादातर लोग पोस्ट ऑफिसो पर निर्भर नहीं है. हालांकि सरकारी सिस्टम में आज भी पत्रों को भेजने के लिए डाक का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में उत्तराखंड में शामिल होने के 24 साल बाद भी यहां की आबादी चिट्ठी पत्री के मामले में उत्तराखंड की नहीं हो सकी है.
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FIRST PUBLISHED : November 8, 2024, 22:05 IST