ओडिशा ट्रेन हादसा: 51 घंटे, 2300 से अधिक स्टाफ… कैसे अपनी टीम संग घटनास्थल पर डटे रहे अश्विनी वैष्णव



Ashwini Vaishnaw 3 ओडिशा ट्रेन हादसा: 51 घंटे, 2300 से अधिक स्टाफ... कैसे अपनी टीम संग घटनास्थल पर डटे रहे अश्विनी वैष्णव

नई दिल्ली/बालासोर. ओडिशा के बालासोर में 2 जून की देर शाम जब घातक रेल दुर्घटना हुई, तब जनता को इसका अंदाजा नहीं था कि इसका असर कितना विनाशकारी होगा. इस मामले पर सबसे पहले जवाब देने वालों और भारतीय रेलवे के संबंधित विभाग के लिए चुनौती बिल्कुल सामने खड़ी थी. हादसे के कुछ घंटों के भीतर ही केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ग्राउंड जीरो पर पहुंच गए.

दुर्घटना के तकनीकी कारणों को समझते हुए और निश्चित रूप से बचाव एवं राहत कार्यों की निगरानी के मद्देनजर उन्होंने दुर्घटना स्थल का दौरा किया, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह बिना किसी योजना के हुआ था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एएनआई को बताया, ‘भयानक हादसा हो चुका है, अब अगली चीज क्या है जो हमें करने की जरूरत है और आगे की योजना क्या है? वास्तव में रेल मंत्री ने ठीक वैसा ही काम किया, जो करना था. इसमें कुछ अलग नहीं था.’

मानव संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल हो, यह तय करने के लिए निश्चित रूप से एक योजना थी, जिसमें अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. इसके साथ ही घायलों को जल्द-से-जल्द चिकित्सा सहायता प्रदान करना सुनिश्चित किया गया था और सबसे अधिक ध्यान ट्रेन लाइन को सही करने पर केंद्रित किया गया, ताकि जितनी जल्दी हो सके वहां से ट्रेनों की आवाजाही फिर से शुरू हो.

रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने एएनआई को बताया, ‘घटनास्थल पर काम करने के लिए कम से कम 70 सदस्यों के साथ आठ टीमों का गठन किया गया था. फिर इनमें से प्रत्येक दोनों टीमों की निगरानी वरिष्ठ अनुभाग अभियंताओं (एसएसई) द्वारा की गई. इसके अलावा, इन इंजीनियरों की निगरानी की जिम्मेदारी एक डीआरएम और एक रेलवे जीएम को दी गई. आगे इनकी निगरानी भी रेलवे बोर्ड के एक सदस्य द्वारा की गई थी.’

रेल मंत्रालय के ये अधिकारी घटनास्थल पर ट्रेन की पटरी को ठीक करने और इसकी मरम्मत के काम में जुटे थे क्योंकि इसमें बहुत सारी टेक्निकल चीजें शामिल होती हैं. लेकिन सारा फोकस सिर्फ ट्रैक को सही करने पर ही नहीं था. दूसरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर था कि जिन लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उन्हें भी किसी तरह की कोई समस्या न हो. इसी सिलसिले में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को कटक के अस्पताल में रखा गया है, जबकि डीजी हेल्थ को भुवनेश्वर के अस्पताल में भेजा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इलाज करा रहे यात्रियों को अधिकतम राहत मिले.

रेल मंत्री की अगुवाई वाली टीम में काम करने वाले एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने ने एएनआई को बताया, ‘निर्देश हमारे लिए बहुत स्पष्ट थे कि न केवल घटनास्थल पर बचाव और राहत अभियान महत्वपूर्ण है, बल्कि अस्पताल में उन लोगों का आराम भी उतना ही जरूरी है. यही कारण है कि वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति की निगरानी के लिए भेजा गया था.’

Tags: Ashwini Vaishnaw, Indian Railways, Ministry of Railways, Odisha, Odisha Train Accident



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