कब शुरू हो रहा चातुर्मास? इस दौरान क्यों होता है शुभ कार्यों पर प्रतिबंध? काशी के ज्योतिषी से जानें सब
वाराणसी : सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है. यह समय 4 महीने का होता है. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के बीच का समय चातुर्मास होता है. इस चार महीने की अवधि को बेहद पवित्र माना जाता है. चातुर्मास के समय भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन मुद्रा में होते हैं. इसलिए इस समय उनके पूजा आराधना का विशेष फल मिलता है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि 17 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. इस दिन से ही चातुर्मास का आरंभ हो जाएगा. यह चातुर्मास 12 नवम्बर तक रहेगा. धार्मिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु शयन मुद्रा में होते हैं तो सभी मांगलिक कार्य पर विराम लग जाता है. इस दौरान सिर्फ पूजा, अनुष्ठान और मंत्र जाप का विशेष फल मिलता है.
जरूर करें दान
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि चातुर्मास के चार महीनों में पूजा-पाठ के साथ दान का विशेष महत्व है. इस समय में गरीब और जरूरतमंदों को दान जरूर करना चाहिए. उन्हें दान में भोजन, कपड़े और जरूरत के सामान आप दें सकते हैं.
तुलसी पूजा के हैं कई फायदे
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इसके अलावा चातुर्मास के समय रामायण, गीता और सुंदरकांड का पाठ करना भी बेहद लाभकारी होता है. इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है. इस समय में तुलसी जी की पूजा भी जरूर करनी चाहिए. इससे लक्ष्मी जी की कृपा बरसती है.
बिस्तर का करना चाहिए त्याग
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि चातुर्मास में बिस्तर का त्याग करके जमीन पर सोना चाहिए. इससे भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और जीवन के कष्ट और बाधाओं को दूर करते है.
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FIRST PUBLISHED : June 21, 2024, 18:16 IST
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