करनाल के इस आर्ट स्टूडियो में दी जाती है स्पेशल थैरेपी, आर्ट वर्क के जरिए बच्चों को रखा जाता है स्ट्रेस फ्री


मुकुल सतीजा/करनाल. क्या आपने आर्ट थेरेपी के बारे में सुना है? आज के समय में बच्चे छोटी छोटी बातें जैसे होमवर्क करना हो या एग्जाम में मार्क्स कम आना हो इनके कारण ज़्यादा स्ट्रेस ले लेते हैं और इन हालातों में उनके माता पिता को भी समझ नहीं आता कि क्या किया जाए. ऐसे में प्रिया जो की करनाल के सेक्टर 13 की रहने वाली हैं, वह बच्चों के लिए आर्ट स्टूडियो चलाती हैं. जिससे बच्चों को आर्ट से जुड़ा कौशल सिखाया जाता है और साथ ही आर्ट थेरेपी भी प्रदान की जाती है, ताकि बच्चों को स्ट्रेस फ्री किया जा सके और बच्चे डिप्रेशन में ना जाएं. यहां 6 से 14 साल के बच्चों को आर्ट थेरेपी दी जाती है.

प्रिया आर्ट स्टूडियो आम आर्ट स्टूडियोज से बेहद अलग एप्रोच रखता है. जिन बच्चों को आर्ट या क्राफ्ट में रुचि है उनके कौशल को निखारा जाता है और जो बच्चे बचपन को न जी कर स्कूल या पढ़ाई का स्ट्रेस ज्यादा लेते हैं. उन्हें थेरेपी के जरिए सकारात्मक किया जाता है. आज कल हर किसी का एक ही लक्ष्य होता है कि अव्वल अंक लेकर प्रसिद्ध कॉलेज में दाखिला लेकर अच्छी नौकरी पाना. बचपन से ही मां बाप बच्चों पर दबाव बनाते हैं, दोस्तों के साथ बच्चे आजकल छोटी छोटी चीजों में कंपटीशन करते हैं, जिससे मन में नकारात्मक ख्याल ज्यादा पनपते हैं और बच्चों का भोलापन कम उम्र में छीन जाता है. बच्चों के बचपन को बचा के रखना जरूरी है. इस दिशा में एक सराहनीय कदम है.

Local 18 से बात करते हुए प्रिया ने बताया कि आज कल बच्चे अपनी बातें दूसरों को नहीं बताते या जो भी उनके मन में होता है वह किसी के साथ साझा नहीं करते, ऐसे में वह अपनी भावना आर्ट के ज़रिए अपनी पेंटिंग में उतार देते हैं. इससे मन हल्का होता है. उन्होंने यह स्टूडियो कोरोना के समय में शुरू किया क्योंकि उस समय उन्होंने अपने आस पास देखा कि काफी लोग घबराए हुए थे. तनाव में थे. लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि इस असामान्य वक्त में क्या किया जाए तो ऐसे में प्रिया ने ऑनलाइन इंस्टाग्राम के माध्यम से लोगों से जुड़ने का सोचा और उनकी समस्याओं का समाधान निकाला. देखते ही देखते प्रिया ने सोचा कि आर्ट वर्क के जरिए लोगों को अपने साथ जोड़ा जाए इसलिए उन्होंने पिछले साल अप्रैल में प्रिया आर्ट स्टूडियो खोला.

पेंटिंग या डूडलिंग एक अच्छा तरीका
Local 18 से आगे बातचीत में प्रिया ने बताया कि वह खुद एक आर्ट थेरिपिस्ट हैं और वह मानती हैं कि पेंटिंग या डूडलिंग एक अच्छा तरीका है, जिससे आप अपने मन में चल रहे विचारों या कल्पनाओं को बाहर निकाल सकते हैं. इससे आपको किसी से बात भी नहीं करनी पड़ेगी और मन भी हल्का हो जायेगा, क्योंकि बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी परेशानियां किसी के साथ बांटना पसंद नहीं करते, लेकिन मन में गुबार न बने नकारात्मक विचार न आएं उसके लिए विचारों की शुद्धि भी जरूरी है. पिछले 2 साल में प्रिया लगभग 200 बच्चों को आर्ट थेरेपी के ज़रिए सकारात्मक विचारों की अहमियत सिखा चुकी हैं.

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