‘कांग्रेस की मंशा का पर्दाफाश जरूरी’, पीयूष गोयल बोले- अब भी तुष्टिकरण छोड़ने को तैयार नहीं
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कहा कि कांग्रेस अभी भी लोकसभा चुनाव के लिए तुष्टिकरण की राजनीति पर निर्भर है, जिसका खुलासा उसके घोषणापत्र में हुआ है. नेटवर्क18 ग्रुप के प्रधान संपादक राहुल जोशी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में गोयल ने भाजपा के विकास बनाम हिंदू-मुस्लिम एजेंडे के बारे में बात की. पेश है उनका पूरा इंटरव्यू.
राहुल जोशी: पीयूष जी, न्यूज18 के इस विशेष शो में आपका स्वागत है. हमारे स्टूडियो में आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. चुनाव जोरों पर है और तीन चरण पूरे हो चुके हैं. आपका चुनाव 20 मई को है. आप पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
पिछले 40 वर्षों में मैंने कई चुनाव देखे हैं, कई चुनावों के लिए रणनीति बनाई, कई चुनावों में दूसरों के लिए काम किया. मैंने लालकृष्ण आडवाणी जी के पहले चुनाव की भी देखरेख की थी. उन्होंने 1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था. इससे पहले उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था. अब मेरी उम्र भी लगभग इतनी ही है. तब उनकी उम्र 62 साल रही होगी.
लेकिन, जब कोई व्यक्ति उम्मीदवार होता है, तो यह एक अलग स्थिति होती है. चिंताएं भी होती हैं और कुल मिलाकर एक परिपक्वता भी विकसित होती है. आप लोगों के बीच जाएं और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में उनसे बातचीत करें.
राहुल जोशी: हम महाराष्ट्र पर वापस आएंगे और आपके निर्वाचन क्षेत्र के बारे में भी बात करेंगे, लेकिन आप आज हमारे साथ हैं, आप एक राष्ट्रीय नेता हैं, आपने कई मंत्रालय संभाले हैं. एक समय में, मुझे लगता है कि आप सरकार में सबसे अधिक संख्या में विभाग संभाल रहे थे. तो चलिए पहले आपसे कुछ बड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं. मैंने हाल ही में अमित शाह जी का साक्षात्कार लिया और उनसे पहला सवाल पूछा कि आपका नारा है ‘अबकी बार, 400 पार’. क्या यह अब भी कायम है या अभियान पटरी से उतर रहा है?
पीयूष गोयल: यह अभी भी कायम है. और जब आप मैदान पर आते हैं, जब आप लोगों के बीच जाते हैं, तो उनकी प्रतिक्रिया देखते हैं. उनकी प्रतिक्रिया देखते हैं और राजनीतिक नेता दर्शकों की प्रतिक्रिया से अंदाजा लगाते हैं कि आपको क्या प्रतिक्रिया मिल रही है. भाषण के दौरान क्या प्रतिक्रिया होती है, किसी मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया होती है.
मुझे विश्वास है कि हम 400 के पार जरूर जाएंगे, लेकिन जिस तरह से विपक्ष इतने अरुचिकर, विवादास्पद और भयावह बयान दे रहा है, जिस तरह से फर्जी बयानों से मुद्दों को भटकाने की कोशिश कर रहा है, जिस तरह से INDI गठबंधन में आंतरिक कलह सामने आ गई है , केरल में सीपीएम और कांग्रेस के बीच लड़ाई… पश्चिम बंगाल में वे दोस्त हैं, लेकिन टीएमसी और कांग्रेस लड़ रहे हैं.
इस पूरे विपक्ष ने खुद को बेहद कमजोर विपक्ष के रूप में उजागर किया है. उनके पास न नेता है, न नेतृत्व, न नीति, न देश के प्रति नीयत. वे सौहार्द और संवेदनशीलता से कैसे काम करेंगे? ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 10 साल का कार्यकाल और उनका 50 साल का बेदाग सार्वजनिक जीवन लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें भरोसा दिलाता है कि केवल वही हैं जो इस देश को विश्व मंच पर ले जा सकते हैं.
राहुल जोशी: हमने देखा है कि पहले दो से तीन चरणों में मतदान का प्रतिशत थोड़ा कम था. पिछले कुछ दिनों से हमने शेयर बाजारों में भी थोड़ी गिरावट देखी है. एफआईआई बिकवाली कर रहे हैं. ऐसी चर्चा है कि आप अपनी सीट के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे. चार महीने पहले आपने मुझे भारतीय जनता पार्टी के लिए 330 का आंकड़ा दिया था. तो, आप कौन सा नंबर देख रहे हैं? क्या इन खबरों में कोई सच्चाई है कि कम मतदान का कारण भाजपा में अति आत्मविश्वास है और कार्यकर्ता अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं? आप इस नैरेटिव को किस तरह देख रहे हैं?
पीयूष गोयल: सबसे पहले, मैं बता दूं कि 330 का जो आंकड़ा मैंने आपको दिया था वह जेडी (यू) के साथ हमारे गठबंधन से पहले, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के साथ हमारे गठबंधन से पहले और तमिलनाडु में किसी भी गठबंधन से पहले था. मुझे लगता है कि यह सितंबर-अक्टूबर के आसपास था.
इन तमाम घटनाक्रमों के बाद ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. इससे बीजेपी का आंकड़ा बढ़ा और कुल मिलाकर एनडीए का आंकड़ा भी बढ़ा. इसके साथ ही परिस्थितियां भी बदल गईं. उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना. इन तीन राज्यों में हमें जनता से भाजपा के लिए अपेक्षा से कहीं बेहतर प्रतिक्रिया, प्यार और आशीर्वाद मिल रहा है.
केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में हमने सोचा था कि भाजपा खाली हाथ रह सकती है, लेकिन अब वे भी बहुत आशाजनक दिख रहे हैं.
राहुल जोशी: क्या बीजेपी इस बार केरल और तमिलनाडु में अपना खाता खोलेगी?
पीयूष गोयल: बिल्कुल, हम अपना खाता जरूर खोलेंगे. लगभग सभी सहमत हैं. केरल में हम अपना खाता खोलेंगे और ऐसा कि सीटों और वोट शेयर दोनों के मामले में चौंका देंगे.
राहुल जोशी: वोट शेयर के मामले में हर कोई सहमत है. लेकिन क्या यह सीटों में तब्दील होगा?
पीयूष गोयल: दो या तीन सीटें हैं, जिनमें हम बहुत मजबूती से दौड़ में हैं, और मुझे लगता है कि हम निश्चित रूप से एक जीतेंगे.
राहुल जोशी: तमिलनाडु में?
पीयूष गोयल: नहीं, तमिलनाडु नहीं…केरल. तमिलनाडु में भी स्थिति लगभग वैसी ही है; हम निश्चित रूप से दो जीतेंगे और चार या पांच में हम मजबूत स्थिति में हैं.
राहुल जोशी: और अगर हम पूरे दक्षिण को देखें, जहां लगभग 130 सीटें हैं…
पीयूष गोयल: अगर हम पूरे दक्षिण को देखें, तो एक समय तीन या चार राज्यों में हमारी उपस्थिति लगभग नगण्य थी. और आज, हम एकमात्र पार्टी हैं, जिसकी हर राज्य में उपस्थिति है. जैसे ही हम केरल, तमिलनाडु में अपना खाता खोलेंगे, और इस बार आंध्र में हमें अच्छे परिणाम मिलेंगे, जैसा कि आपने विजयवाड़ा में प्रतिक्रिया से भी अनुमान लगाया होगा, जो आश्चर्यजनक था.
तेलंगाना में जिस तरह से हालात बन रहे हैं, हम विपक्ष और सत्ता पक्ष से कहीं आगे हैं. और कर्नाटक में हम काफी हद तक अपनी स्थिति बरकरार रखने में सफल रहे हैं.
राहुल जोशी: आपकी पार्टी ने पिछली बार कर्नाटक में भारी जीत हासिल की थी. क्या आप इसे कायम रख पाएंगे? लोग कह रहे हैं कि वहां माहौल थोड़ा नरम है.
पीयूष गोयल: एक-दो सीटों पर माहौल बदल सकता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस बार और पिछली बार में कोई बड़ा अंतर होगा. यह राष्ट्रीय चुनाव है. लोगों के मन में है कि देश का नेता चुना जा रहा है, देश की सरकार चुनी जा रही है. और हर कोई मानता है कि यूपीए के वो काले दिन, भ्रष्टाचार से भरे हुए; प्रधानमंत्री कुछ भी करें, एक ‘युवराज’ उसे उठाएगा और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसकी धज्जियां उड़ा देगा.’ हर दिन, हर हफ्ते भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आता. प्रधानमंत्री इतने लाचार हैं कि कहते हैं ‘मैं क्या कर सकता हूं, ये गठबंधन की राजनीति की मजबूरियां हैं.’ लोग देश के किसी भी हिस्से में ऐसी सरकार नहीं चाहते.
तो, दक्षिण में, जैसा कि अमित शाह जी ने कहा, मैंने भी इसके बारे में पूरी तरह से नहीं सोचा था. लेकिन जब मैंने गणित किया तो मुझे एहसास हुआ कि कोई भी अन्य पार्टी इन सभी राज्यों- कर्नाटक , तेलंगाना, आंध्र, केरल, तमिलनाडु में संयुक्त रूप से हमारी सीटों की संख्या के करीब भी नहीं है.
राहुल जोशी: तो, आंकड़ा क्या है? 130 में से?
पीयूष गोयल: मेरे पास सटीक आंकड़ा नहीं है लेकिन हम दक्षिण की सभी पार्टियों में सबसे बड़े दल होंगे.
राहुल जोशी: पीयूष जी, चलिए कुछ बड़े मुद्दों पर बात करते हैं. अगर आपको इतना भरोसा है कि 400 सीटें आसानी से पार हो जाएंगी, बीजेपी को 370 सीटें मिल जाएंगी, जब ये चुनाव जोर पकड़ने लगा तो आपकी पार्टी विकास की बात कर रही थी, अर्थव्यवस्था की बात कर रही थी, मोदी जी के कार्यकाल में हुए बड़े-बड़े कामों की बात कर रही थी; लेकिन फिर, खासकर दो चरणों के बाद, पूरा अभियान हिंदू-मुस्लिम पर केंद्रित हो गया है. प्रधानमंत्री ने राजस्थान की अपनी रैली में भी इसका जिक्र किया था. यहां तक कहा गया कि कांग्रेस संपत्ति बंटवारे की बात कर रही है, वह हिंदुओं की बचत लेकर मुसलमानों और घुसपैठियों में बांट देगी. आप इसे कैसे देखते हैं? इस समय यह मुद्दा उठाने की क्या जरूरत थी?
पीयूष गोयल: हमने यह चर्चा शुरू नहीं की है. आप मोदी की गारंटी देख सकते हैं. यह एक बहुत ही पॉजिटिव नैरेटिव है. हमने हर मुद्दे को बहुत गंभीरता से और गहराई से देश के सामने रखा है. इस अमृत काल में हम एक विकसित भारत कैसे बन सकते हैं और अपने तीसरे कार्यकाल में उस दिशा में क्या कदम उठाएंगे, इसका विजन हमने रखा है.
मुझे यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के बाद वे पूरी तरह बेनकाब हो गये कि वे अब भी तुष्टिकरण के बारे में सोच रहे हैं. वे आज भी सैम पित्रोदा के दिखाए आर्थिक रास्ते पर चलने की सोच रहे हैं. उनके लिए भेदभाव की राजनीति अब भी प्राथमिकता है. और उन्होंने समाज में जिस तरह का भ्रम पैदा करने की कोशिश की, उसे लोगों के सामने सही ढंग से पेश करना हमें जरूरी लगा. और मुझे लगता है कि हमने विकास और पॉजिटिव एजेंडे के बारे में बात करना बंद नहीं किया है.
लेकिन, स्वाभाविक रूप से, चाहे वह मीडिया हो या सोशल मीडिया, हमेशा सनसनीखेज, टीआरपी और हेडलाइन हंटिंग की ओर कुछ झुकाव होता है. तो, ऐसा लगता है कि नैरेटिव बदल गया है. लेकिन, आप हममें से किसी के भी भाषण देख सकते हैं, चाहे वह प्रधानमंत्री हों, अमित भाई हों, जेपी नड्डा जी हों, राजनाथ जी हों, या हमारे जैसे उम्मीदवार हों, हम बहुत सकारात्मक नजरिये के साथ लोगों के बीच जा रहे हैं और एक पॉजिटिव नैरेटिव के साथ प्रचार कर रहे हैं. यह चुनाव देश का भाग्य तय करेगा, इस पर हमारा ध्यान है. यह चुनाव तय करेगा कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे या उधर, इस पर सवालिया निशान है. क्योंकि भले ही उन्होंने कहा है कि वे पांच साल में पांच प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे, लेकिन वे यह नहीं बता पाए हैं कि वे पांच कौन होंगे और पहला कौन होगा.
राहुल जोशी: लेकिन, वे कहते हैं कि उन्होंने यह सब नहीं कहा है. उन्होंने इसके बारे में कोई बात नहीं की है और उन्होंने घोषणापत्र में मुसलमानों का उल्लेख नहीं किया है. उनका कहना है कि आप सभी ने इसे उठाया है. तो, आप इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे?
पीयूष गोयल: राहुल जी, आप देख रहे हैं कि सैम पित्रोदा उनके भरोसेमंद सलाहकार रहे हैं और वर्षों से वे इसे टालते भी रहे हैं. ओवरसीज कांग्रेस के नाम पर सैम पित्रोदा को दुनिया भर में ले जाया गया और वहां भी वो देश की बुराई करते थे.
अब जब ऐसा व्यक्ति एक ही समय में 55% इनहेरिटेंस टैक्स की बात करता है और मैं मानता हूं कि घोषणा पत्र में भी उसका जरूर हाथ रहा होगा. अब एक तरफ घोषणापत्र आता है, जिसमें कहा गया है कि हम सबकी बचत का ब्योरा लेंगे, सबकी जांच करेंगे, आपके पास कितनी बचत है उसका आकलन करेंगे. और अगर धन को फिर से बांटने की बात करें तो बचत को फिर से बांटने के लिए पहले उसे लेना और छीनना होगा.
तो, स्वाभाविक रूप से वे यही कह रहे हैं. और फिर, आप देखिए, एक ही समय में तीन चीजें हुईं. पहला, घोषणापत्र में कहा गया है कि देश के हर व्यक्ति की, हर मध्यम वर्ग के व्यक्ति की, आपकी संपत्ति की पूरी जांच की जाएगी. अगर 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये हैं तो मोटे तौर पर उनमें से ज्यादातर मध्यम वर्ग में हैं. इसलिए उनकी सारी संपत्ति का ब्योरा जुटाया जाएगा.
दूसरा नैरेटिव यह है कि जनसंख्या के आधार पर वे धन को फिर से बाटेंगे. एक तीसरा नैरेटिव बनाया गया है कि मोदी जी द्वारा अल्पसंख्यकों के साथ गलत व्यवहार किया गया है, इसलिए देश के संसाधनों पर उनका पहला अधिकार है, जैसा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था. और फिर चौथा, सैम पित्रोदा उसी समय इनहेरिटेंस टैक्स की बात करते हैं. शायद, उसने अनजाने में अपने मन की बात कह दी; अमेरिका की तरह, और वह 55% है, थोड़ा नहीं है. हमारे पास पहले विरासत कर था, लेकिन यह छोटी राशि थी. क्या 55% टैक्स की बात करना भारत के लिए अच्छा हो सकता है?
अब जब आप इन चारों कड़ियों को जोड़ेंगे तभी समझ आएगा कि कांग्रेस की सोच क्या है और राहुल गांधी और उनके दोस्त देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि हमने देश को उनकी मानसिकता के बारे में सचेत करना जरूरी समझा.
राहुल जोशी: प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है. वह कहां से आया?
अब, मुझे नहीं पता कि आपका क्या है लेकिन मैं एक महाराष्ट्रियन हूं, इसलिए आप अपने दर्शकों को बता सकते हैं कि मैं किस श्रेणी में आता हूं. लेकिन, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने हमेशा लोगों को इस तरह से विभाजित करने की कोशिश की है. उन्होंने अपनी योजनाओं के जरिये भी लोगों को विभाजित किया. सच्चर समिति क्या थी? उन्होंने हर राज्य में लोगों से पूछा कि मुसलमानों के लिए उनके पास क्या विशिष्ट नीतियां या योजनाएं हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. तो, अगर हम सड़क या रेलवे के लिए कोई बुनियादी ढांचा परियोजना बनाते हैं, तो क्या हमें यह तय करना होगा कि मुसलमानों को उस सड़क का उपयोग करने के लिए कितना आरक्षण देना है?
इसी तरह, कर्नाटक और उनके अन्य राज्यों में, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए. अब ये सारी बातें मुस्लिम लीग ने कही थीं. उनके कार्य और उनके शब्द, उनके घोषणापत्र में, और उनके पास जो कुछ राज्य हैं उनमें उनका काम, उसे देखते हुए और कैसे वे लगातार भगवान श्रीराम का अपमान कर रहे हैं, राम मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का बहिष्कार कर रहे हैं, श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा रहे हैं. कुछ कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि उन्हें राम मंदिर का शुद्धिकरण करना होगा. जब ये सारे बयान आते हैं और इस संदर्भ में देखे जाते हैं कि ये लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार एक समुदाय का होना चाहिए. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये मुस्लिम लीग की तरह बात कर रहे हैं.
राहुल जोशी: और वे ओबीसी का आरक्षण छीन लेंगे और मुसलमानों को दे देंगे, आप इसे कैसे देखते हैं? वह कहां है?
पीयूष गोयल: हम कानून के शासन में भरोसा करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा तय कर दी है. मंडल आयोग की रिपोर्ट इतने लंबे समय से मौजूद थी और कांग्रेस ने इसे कभी लागू नहीं किया. मंडल कमीशन के तहत ओबीसी को आरक्षण देने के लिए गैर कांग्रेसी सरकार को आना पड़ा.
अगर आप देखें तो जब हमने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण दिया तो ओबीसी, एससी, एसटी कोटे के बाहर से दिया, इसलिए इसे हटाया नहीं गया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के साफ दिशानिर्देश हैं कि सामाजिक और आर्थिक कारणों से आरक्षण एक सीमा तक हो सकता है. इसमें अगर वे मुसलमानों को जोड़ते हैं, तो इस्लाम में सामाजिक पिछड़ेपन का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उनके पास जाति व्यवस्था नहीं है. तो सबसे पहले, यह गैर-संवैधानिक या असंवैधानिक होगा और, यदि वे ऐसा करने की कोशिश करते हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से ओबीसी या एससी और एसटी से आरक्षण छीनने के बाद होगा.
इसलिए, यदि वे किसी विशेष धर्म को आरक्षण देना चाहते हैं और ओबीसी, एससी, एसटी का आरक्षण छीनना चाहते हैं, तो यह देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा. भाजपा, हमारे सहयोगी दल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस देश के ओबीसी, वनवासी, अनुसूचित जाति, दलित, किसी भी वंचित या पिछड़े व्यक्ति को दिए गए आरक्षण पर कभी कुछ नहीं होने देंगे. यह हमारी गारंटी है कि कांग्रेस चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, हम उसे अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के लिए ओबीसी, एससी और एसटी आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं करने देंगे.
राहुल जोशी: राहुल गांधी कहते हैं कि आप और नरेंद्र मोदी में से कोई भी चुनाव नहीं जीत सकता अगर आपके पास ईडी, सीबीआई और ईवीएम नहीं हो. उनके समर्थन से आप मैच फिक्सिंग करते हैं और चुनाव जीतते हैं. आप इसे कैसे देखते हैं?
पीयूष गोयल: कर्नाटक और तेलंगाना में उन्होंने चुनाव जीता, इसलिए उन्हें यह कहते हुए तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए कि ईवीएम के नतीजे गलत हैं. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और कहना चाहिए कि वे सरकार नहीं बनाएंगे और वे चुनाव के लिए मतपेटियां वापस चाहते हैं. तो, उन्हें फैसला लेने दीजिए. वे सुप्रीम कोर्ट को भी भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हैं कि अगर कोई फैसला उनके पक्ष में आता है, तो ‘लोकतंत्र बच जाता है, सत्यमेव जयते’ सुप्रीम कोर्ट की सराहना की जाती है. लेकिन, अगर फैसला रामलला के मंदिर निर्माण के पक्ष में आता है तो वे सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के पक्ष में फैसला दिया है.
यह कितना मूर्खतापूर्ण मुद्दा है. देश भर में इस्तेमाल होने वाली लाखों ईवीएम नेट पर आपस में जुड़ी हुई भी नहीं हैं. मेरा मतलब है कि उनकी सोच बहुत भयावह है. मैं नीचे अवमानना कहूंगा. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि देशभर में 12 लाख से ज्यादा ईवीएम इस्तेमाल में हैं और वे आपस में जुड़े भी नहीं हैं. इसलिए, अगर कोई गड़बड़ी करनी है, तो आपको 12 लाख ईवीएम से छेड़छाड़ करनी होगी. और अगर ऐसा होता है तो किसी भी चुनाव में किसी विपक्षी दल के जीतने या सरकार बनाने का सवाल ही नहीं उठता.
तो, यह एक बहुत ही मूर्खतापूर्ण नैरेटिव है. वे पहले से ही जानते हैं कि वे हारने वाले हैं, इसलिए अब वे यह छिपाने के लिए एक कहानी के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं कि यह राहुल गांधी की हार है. इसलिए वे ईवीएम को दोष देंगे. तब वे शरद पवार या यहां तक कि उद्धव ठाकरे को भी दोषी ठहरा सकते हैं. उन्हें बस राहुल गांधी और गांधी-नेहरू परिवार को बचाना है. जहां तक ईडी और सीबीआई का सवाल है, मेरा मानना है कि कानून अपना काम करता है. कानून का राज है. अगर आपने भ्रष्टाचार किया तो आपको पकड़ लिया गया. यदि आप पकड़े जाते हैं, तो कानून अपना काम करेगा.
राहुल जोशी: लेकिन, क्या यह सच नहीं है पीयूष जी कि ईडी के ज्यादातर मामले और छापे विपक्षी दलों के खिलाफ हो रहे हैं? हाल ही में एक राष्ट्रीय अखबार ने भी शोध किया था और पाया था कि दूसरी पार्टियों से बीजेपी में शामिल हुए करीब 25 नेताओं में से 23 के खिलाफ मामले हटा दिए गए या ठंडे बस्ते में डाल दिए गए. आप इसे कैसे देखते हैं?
पीयूष गोयल: मुझे लगता है कि कानून अपना काम करता है और अपना समय भी लेता है. लेकिन, हमारी सरकार किसी मामले में हस्तक्षेप नहीं करती. ये स्वतंत्र एजेंसियां हैं जो अपना काम खुद करती हैं.
हम किसी को भी पार्टी में लेने से पहले यह भी देखते हैं कि उस व्यक्ति पर किस प्रकार का मामला चल रहा है और वह व्यक्ति हमारी पार्टी के लोकाचार में फिट बैठेगा या नहीं. ऐसे बहुत से लोग हैं जो शामिल होना चाहते हैं, जिनके बारे में हम विचार नहीं करते हैं. अगर हमें लगता है कि उनकी पृष्ठभूमि ऐसी है कि उन्हें हमारी पार्टी में स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
राहुल जोशी: और अगर उनके खिलाफ मामले हैं और वे आपकी पार्टी में शामिल हो जाते हैं, तो क्या वे मामले दब जाएंगे?
पीयूष गोयल: फिर कानून अपना काम करेगा. हमारे कारण मामलों को दबा दिया जाना संभव नहीं है.’ ये स्वतंत्र एजेंसियां हैं. हम जो कहते हैं उसके मुताबिक वे काम नहीं करती हैं.
राहुल जोशी: चुनाव के पिछले कुछ चरणों में एक और नैरेटिव जो चल रहा है वह भारत-पाकिस्तान का नैरेटिव है. शुरुआत में कहा गया था कि आज का भारत उस तरह का भारत नहीं है जो खड़े होकर तमाशा देखेगा और घर चला जाएगा- ‘ये भारत घर में घुस के मारेगा’. विदेशी प्रकाशनों में कहा गया है कि हमारी कुछ खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तानी धरती पर 20 आतंकवादियों को मार गिराया. कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर ने कहा कि हमें पाकिस्तान के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए क्योंकि उनके पास परमाणु बम है और वे प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं. आप इस नैरेटिव को कैसे देखते हैं? क्या ये भी तुष्टिकरण का नैरेटिव है?
पीयूष गोयल: भारत ने साफ कहा है कि दूसरे देशों की राजनीति में न हम दखल देते हैं, न उन्हें देना चाहिए. दूसरा, अतीत में हमारे यहां कमजोर सरकारें रही हैं, यह बात सभी जानते हैं. मैं मुंबईकर हूं. हमने देखा है कि आतंकवादी हमसे फिरौती मांगते हैं, चाहे वह बम विस्फोट हों या 2008 के आतंकवादी हमले. उन परिस्थितियों में कांग्रेस ने देश को जो कमजोर सरकार दी उससे हर नागरिक दुखी था. आज देश के हर नागरिक को गर्व है कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने बालाकोट या उरी में स्ट्राइक की, इससे देश का मनोबल बढ़ा है. देश में सुरक्षा का भाव आया है, देश का हर व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है. लोगों के बीच ये एक बड़ा मुद्दा है.
कल, मैं कांदिवली पूर्व और मलाड पूर्व के दौरे पर था, इस दौरान मगाठाणे में एक महिला ने मुझसे कहा कि मुझे उसका संदेश मोदी जी तक पहुंचाना चाहिए, वह बहुत खुश है, वह केवल मोदी जी को वोट देगी और वह खुद को आज एक महिला के तौर पर बहुत सुरक्षित पाती है. वह लगभग डेढ़ मिनट तक उत्साह के साथ बोलीं और मुझे वे बातें बताईं जो मुझे मोदी जी को बतानी चाहिए. देश का मूड है कि भारत को स्वाभिमान मिला है. भारत अब किसी के सामने झुकने वाला नहीं है. भारतीयों में आत्मविश्वास की भावना है. प्रधानमंत्री मोदी जी की लोकप्रियता का यह भी एक बड़ा कारण है.
राहुल जोशी: विपक्ष कहता है कि सरकार पाकिस्तान को अपनी ताकत दिखाती है, लेकिन जब चीन की बात आती है, तो आप कोई सीधा जवाब नहीं देते हैं. चीन ने हमारी जमीन ले ली और आप कुछ नहीं बोले…
पीयूष गोयल: राहुल जी, चीन ने हमारी जमीन बीजेपी के समय में नहीं, बल्कि कांग्रेस के समय में ली थी. कांग्रेस कटघरे में है. उनके कार्यकाल में युद्ध हारने के बाद हमने जो जमीन खोई उसका जवाब कांग्रेस को देना होगा. भाजपा और एनडीए शासन में भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं. सेनाओं और सुरक्षा बलों का मनोबल मजबूत है. अगर कोई हम पर हमला करने की कोशिश करता है तो वे कड़ा जवाब देते हैं.
आपको याद होगा कि कैसे पैंगोंग घाटी में हमारे जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था और एक भी व्यक्ति वहां से नहीं हिला. आज हमने उन्हें सर्वोत्तम सुविधाओं और उपकरणों से सुसज्जित किया है. कांग्रेस शासन के दौरान हमारे उपकरण या हमारा रक्षा विनिर्माण कमजोर हो गया था. आज हमारी सेनाओं को एक नई ताकत मिली है.
राहुल जोशी: एक और मुद्दा जो इस चुनाव में सामने आया है वह यह है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने जनसंख्या का विश्लेषण किया है. ऐसा देखा गया है कि 1950 से 2015 के बीच मुस्लिम आबादी लगभग 43% बढ़ी है. वहीं, हिंदू आबादी में लगभग 7.8% की गिरावट देखी गई है. आप इस मुद्दे को कैसे देखते हैं? अगर आप दोबारा सत्ता में आए तो क्या जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कदम उठाएंगे?
पीयूष गोयल: जनता को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. हमारे पास सरकार की ओर से कोई योजना नहीं है, लेकिन लोगों को इस विषय पर गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए, इस पर विचार करना चाहिए और इस पर बहस होनी चाहिए.’ इस बात पर मीडिया में बहस होनी चाहिए. लोगों को सोचने की जरूरत है कि क्या देश का संतुलन गलत दिशा में जा रहा है. क्या भविष्य में इसका कोई नतीजा होगा? अगर आप आज दुनिया भर में देखें तो कई देशों में यह चिंता का विषय है. कई देश अपनी जनसांख्यिकी में इस तरह के बदलाव को लेकर चिंतित हैं और इस बारे में सोच रहे हैं. कई तो कानून भी ला रहे हैं. भारत एक समावेशी देश है, हम सभी को साथ लेकर चलते हैं. हम सरकार की ओर से इस मामले में कुछ नहीं करना चाहते. लेकिन, भारत के लोगों को इस बारे में जरूर सोचने की जरूरत है.
राहुल जोशी: हम आज मुंबई में हैं. आइए बात करते हैं महाराष्ट्र की, जो इस चुनाव में अहम राज्य है. आप इस बात से सहमत होंगे कि पिछली बार आप शिवसेना के साथ थे और आपने 48 में से 41 सीटें जीती थीं. इस बार थोड़ी गड़बड़ है. दो पार्टियां बंट गई हैं. एक पार्टी आपके साथ है और दूसरी पार्टी वो है जिसे प्रधानमंत्री ‘डुप्लीकेट शिव सेना’ कहते हैं. इस बार आप इसे कैसे देखते हैं? आप 28 सीटों पर लड़ रहे हैं और पिछली बार बीजेपी ने 23 सीटें जीती थीं. क्या आप इसको बचा पाएंगे? बड़ी तस्वीर में महाराष्ट्र आपके लिए एक महत्वपूर्ण राज्य है.
पीयूष गोयल: 2019 में महाराष्ट्र की राजनीति ने नया मोड़ लिया. आपको याद होगा 2019 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया था. मुझे अभी भी याद है कि अपने क्षेत्र से शिवसेना सांसद को जिताने के लिए मैं घर-घर, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की बैठकों में गया था और कहा था कि लोगों को मोदी जी को वोट देना चाहिए, कि यह मोदी जी का चुनाव है, पीएम चुनने के लिए है. शिव सेना के सांसद मोदी जी के नाम पर चुनाव जीते हैं और उन्हें इसकी जानकारी है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी बार-बार कहा गया कि देवेंद्र फड़णवीस ही मुख्यमंत्री होंगे. यहां तक कि कई मंचों पर सार्वजनिक बैठकों में, जहां उद्धव ठाकरे जी भी मौजूद थे, यह कहा गया कि देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.
उद्धव ठाकरे ने हमें धोखा दिया; उन्होंने मोदी जी और फड़णवीस को धोखा दिया. आखिरकार, यह हमारा गठबंधन था. गठबंधन को बहुमत मिला. किसी न किसी तरह से मुख्यमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा, और शायद अपने बेटे को स्थापित करने की उनकी इच्छा… उस लालच में उन्होंने बालासाहेब ठाकरे के हर उस सिद्धांत को त्याग दिया जिसके लिए शिवसेना खड़ी थी. उन्होंने हिंदुत्व का त्याग कर दिया. बालासाहेब ठाकरे का प्रसिद्ध कथन था: ‘मैं अपनी पार्टी को भंग कर दूंगा, लेकिन कांग्रेस से कभी हाथ नहीं मिलाऊंगा.’
तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए उद्धव ठाकरे राहुल गांधी की गोद में जाकर बैठ गये. मुझे लगता है कि इसे लेकर शिवसेना के अंदर काफी गुस्सा था.’ सांसदों और विधायकों को भी एहसास हो गया कि अगली बार उनके पास कोई चेहरा नहीं होगा. ऐसे में लगभग पूरी शिवसेना ने फैसला किया कि उन्हें नेता बदलना होगा. जब एकनाथ शिंदे जी को नेता बनाया गया तो कुछ लोगों ने पार्टी से बाहर रहने का फैसला किया. उनके साथ कुछ दो-चार वरिष्ठ नेता भी हैं. उद्धव ठाकरे का एक टूटा हुआ समूह है. अधिकांश सांसद, विधायक मूल शिवसेना के साथ हैं. तो यह कोई विभाजन नहीं है. शिवसेना बरकरार है. वह एक छोटा सा बिखरा हुआ समूह है.
इसी तरह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मामले में, अजीत पवार स्वाभाविक नेता हैं. शरद पवार ने अपनी बेटी को बचाने के लिए पार्टी छोड़ दी. 2014 में वे भाजपा के साथ चले गये; वे 2017 में भाजपा के साथ जाना चाहते थे और 2019 में वे चले गए और पीछे हट गए.
राहुल जोशी: क्या ऐसा नहीं लगता कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार के प्रति कोई सहानुभूति हो सकती है?
पीयूष गोयल: सहानुभूति मोदी जी और फड़णवीस के लिए होगी, क्योंकि उन्हें धोखा दिया गया है. उन्हें पीठ में छुरा घोंपा गया है और धोखा दिया गया है.’ यदि कोई सहानुभूति होगी तो वह इन लोगों के लिए होगी. एक हद तक अजित पवार के लिए भी, जिन्हें मोहरा बनाया गया था. उनसे कहा गया था कि 2014 में बीजेपी का समर्थन करो, जब शिवसेना हमारा समर्थन नहीं कर रही थी. 2017 में सभी विधायकों को बीजेपी का समर्थन करने को कहा गया था. फिर वे पीछे हट गये. 2019 में भी…अब खुलासा हो गया है, शरद पवार जी ने भी पुष्टि कर दी है कि उन्होंने बीजेपी के साथ जाने को कहा था. उन्होंने कहा कि यह उनकी रणनीति थी. महाराष्ट्र की जनता उनके साथ जिस तरह का दुर्व्यवहार किया गया है, उसे बर्दाश्त नहीं करेगी. मैं अपने संसदीय क्षेत्र में देखता हूं कि महायुति कितनी मजबूती से खड़ी है.
राहुल जोशी: विपक्ष का कहना है कि एक तरफ आप महाराष्ट्र में इतने आश्वस्त हैं और दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि शरद पवार, अजीत पवार के साथ शामिल हो सकते हैं… क्या यह कोई संदेश है, आप इसे कैसे पढ़ते हैं?
पीयूष गोयल: शरद पवार जी झुक गए हैं. उन्होंने कहा है कि अब बारामती चुनाव के बाद हम या छोटी पार्टियां कांग्रेस में विलय कर सकती हैं. तो ये साफ हो गया है कि उन्होंने अंदाजा लगा लिया है कि बारामती में सुनेत्रा पवार जी जीत रही हैं और सुप्रिया सुले जी हार रही हैं. उनके मन में एक ही लक्ष्य है- सुप्रिया सुले जी को बचाना. हो सकता है कि उनके पास राज्यसभा की सीट न हो और वे लोकसभा सीट खो देंगे. इसलिए उन्होंने सोचा होगा कि वह सुप्रिया सुले को कांग्रेस में शामिल करा देंगे. तो सुप्रिया सुले जी कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं… अलग हुए गुट में कुछ नहीं बचेगा…
वैसे भी उद्धव ठाकरे कांग्रेस की बी-टीम बन गए हैं. वह उन्हीं के कहने पर चल रहे हैं. तुष्टिकरण की राजनीति उद्धव ठाकरे की पहचान बन गई है. हैरानी की बात यह है कि उन्होंने हिंदुत्व और बाला साहेब के सभी बुनियादी सिद्धांतों को त्याग दिया है.’
राहुल जोशी: इस बार महाराष्ट्र में कई मुस्लिम उद्धव ठाकरे की शिव सेना को वोट देंगे.
पीयूष गोयल: हां, आजकल उद्धव ठाकरे मुस्लिम वोट बैंक के पीछे भाग रहे हैं. इसलिए मैंने कहा कि बाला साहब को आज अपने बेटे का व्यवहार देखकर बहुत दुख हो रहा होगा. लेकिन, उन्हें इस बात से संतुष्टि होगी कि शिंदे जी ने अभी भी अपने बुनियादी सिद्धांतों को बरकरार रखा है और शिवसेना उनके साथ बरकरार है.’ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके अपने बेटे ने सिद्धांतों को छोड़ दिया है.’ मैं मानता हूं कि हमारी नीति, हमारी महायुति की नीति ऐसी है कि हम मुसलमानों को भी आमंत्रित करते हैं. मैं अपने क्षेत्र में देख रहा हूं कि हमारे मुस्लिम भाई बड़ी संख्या में हमारा समर्थन कर रहे हैं. वे हमारे साथ हैं. कल, फेरीवालों का एक बड़ा समूह मेरे कार्यालय में आया. उन्होंने मुझसे कहा कि मोदी जी ने उनका ख्याल रखा है. उन्होंने कहा कि मोदी जी ने उन्हें स्वनिधि और ऐसी अन्य योजनाएं दीं. उन्होंने कहा कि तीन तलाक कानून ने उनकी बेटियों का भविष्य सुरक्षित कर दिया है. उन्होंने कहा कि वे अपनी बेटियों को लेकर चिंतित रहते थे. समाज के लोग अब तुष्टिकरण और ऐसे विवादित बयानों से प्रभावित नहीं होंगे. आज वे देश की मुख्यधारा में आना चाहते हैं. वे प्रधानमंत्री के साथ हैं, जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ में भरोसा करते हैं.
राहुल जोशी: मैं एक और सीधा सवाल पूछना चाहूंगा. आपने मुसलमानों की बात की, लेकिन क्या महाराष्ट्र में मराठा भावना अभी भी बीजेपी के खिलाफ है? यहां मराठा आंदोलन था, यहां मनोज जारांगे पाटिल जी ने आंदोलन किया था. क्या आज भी कोई स्पष्टता है कि मराठा भाजपा के साथ हैं? यह यहां एक बड़ा वोट ब्लॉक है.
पीयूष गोयल: पूरा मराठा समुदाय मानता है कि अगर कोई उनके हितों की रक्षा कर सकता है, तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं… मोदी जी और हमारी महायुति सरकार, केवल यह डबल इंजन सरकार ही मराठा हितों की रक्षा कर सकती है. समुदाय जानता है कि इधर-उधर डालने पर उनका वोट बर्बाद हो जायेगा. न कोई जीतेगा, न कोई अपने हितों की रक्षा कर पायेगा. मुझे पूरा विश्वास है कि मराठा भाई-बहन मोदी जी के साथ हैं और उनका समर्थन करेंगे.
राहुल जोशी: पीयूष जी, मुंबई उत्तर आपकी सीट है, यह भाजपा का गढ़ है. पिछली बार भी बीजेपी भारी अंतर से जीती थी. क्या आप पिछली बार का अंतर पार कर पाएंगे?
पीयूष गोयल: ‘जनता जनार्दन’ तय करती है कि आप अंतर को पीछे छोड़ सकते हैं या नहीं. लेकिन, मैं अब तक जहां भी गया हूं, मुझे जमीन पर जो प्यार, आशीर्वाद और समर्थन मिला है…चाहे वह मलिन बस्तियां हों या कोई सामुदायिक समूह, मुझे निर्वाचन क्षेत्र में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसके मन में भाजपा के प्रति नकारात्मक भावना हो. हर वर्ग मोदी जी के साथ जाना चाहता है. ये वोट उत्तर मुंबई की जनता की ओर से मोदी जी के लिए आशीर्वाद के रूप में होगा. मोदी जी की गारंटी और मेरा दृढ़ संकल्प यह सुनिश्चित करना है कि मोदी जी की गारंटी उत्तर मुंबई के लोगों तक पहुंचे. उत्तर मुंबई को ‘उत्तम मुंबई’ बनाने की मेरी प्रतिबद्धता है. मुझे यकीन है कि लोग बड़ी संख्या में और पिछली बार से भी ज्यादा वोट करने आएंगे.’ और वोट मोदी जी को मिलेंगे.
राहुल जोशी: आपके खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार भूषण पाटिल कहते हैं कि आप एक बाहरी व्यक्ति हैं. इसे मराठी बनाम गुजराती रंग देने की भी कोशिश है… क्या इससे कोई फर्क पड़ेगा? आप इस कथन को कैसे देखते हैं कि आप एक मुंबईकर हैं?
पीयूष गोयल: जब किसी के पास कोई विषय नहीं होता, कोई सिद्धांत, नीति या नजरिया नहीं होता या कोई मुद्दा ही नहीं होता, तो वे इस बारे में बात करना शुरू कर देते हैं… मजेदार बात यह है… हम सभी मुंबईकर हैं, मैं मुंबईकर हूं, तो आप भी हैं. क्या आपने कभी अपने आप को दक्षिण मुंबईकर या उत्तर मुंबईकर कहा है? आपके इस स्टूडियो में बहुत सारे लोग हैं, मैं चाहता हूं कि आप एक सर्वेक्षण लें. क्या कभी कोई कहता है कि वह उत्तर मध्य मुंबईकर या पूर्वोत्तर मुंबईकर है? हम सभी मुंबईवासी हैं और हमें मुंबई से होने पर गर्व है. कांग्रेस और उद्धव ठाकरे जी शायद मुंबई को भी बांटना चाहते हैं. उनके पास वैसे भी देश को बांटने की योजना और नीति है.’ अब वे मुंबई को टुकड़ों में बांटना चाहते हैं और चाहते हैं कि मुंबईवासी आपस में लड़ें.’ केवल ऐसी पार्टी और लोग ही इस तरह के बयान दे सकते हैं… यह हास्यास्पद है क्योंकि वर्षा गायकवाड़ और मैं दोनों एक ही क्षेत्र से हैं. मैं सायन से हूं, वह धारावी से है. निर्वाचन क्षेत्र एक-दूसरे से सटे हुए हैं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर बाहरी लोगों की बात करना शुरू कर दिया. अब वह धारावी छोड़कर बांद्रा सांताक्रूज से चुनाव लड़ने जा रही हैं. अब, मुझे नहीं पता कि वह खुद को बाहरी व्यक्ति के रूप में देखती है या अंदरूनी व्यक्ति के रूप में. आदित्य ठाकरे जी, सभी मुंबईवासी जानते हैं कि वह बांद्रा में रहते हैं, उन्होंने वह जगह छोड़ दी और वर्ली से विधायक बन गए. इसलिए, मुझे नहीं पता कि वह वर्ली में बाहरी व्यक्ति है या अंदरूनी व्यक्ति.
उद्धव ठाकरे जी के नेता राहुल गांधी जी, जिनके गुण ठाकरे जी दिन-रात गाते हैं और जिनके आदेश पर उनकी पार्टी इन दिनों चलने लगी है, वह कहां से हैं, मुझे नहीं पता. कभी वे वायनाड भागते हैं, कभी रायबरेली, उससे पहले अमेठी… तो उस हिसाब से शायद उन्हें इटालियन माना जाएगा, मुझे नहीं पता.
राहुल जोशी: तुष्टिकरण यहां भी आ गया है. हम मुंबई में बैठे हैं, यहां भी तुष्टिकरण हो रहा है. कोई कह रहा था कि हेमंत करकरे जी को कसाब ने नहीं, बल्कि किसी आरएसएस समर्थक पुलिसकर्मी ने मारा था. आप इन सब चीजों को कैसे देखते हैं?
पीयूष गोयल: यह शर्म की बात है. कांग्रेस कम से कम सेना को तो छोड़ सकती है. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे जी, यह एमवीए, तथाकथित महाविकास अघाड़ी (एमवीए) है, इन सभी को कम से कम हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल नहीं तोड़ना चाहिए, कम से कम उनके बलिदानों को कम नहीं करना चाहिए. बाटला हाउस में भी उन्होंने यही किया. कश्मीर में भी उन्होंने बार-बार हमारी सेना के जवानों को एक तरह से अपमानित किया. पत्थर फेंकने वाले उनके लिए अच्छे थे… अब जब अनुच्छेद 370 हटने के बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, तो उन्हें यह नहीं दिख रहा है कि लोगों के जीवन में किस तरह का बदलाव आया है.’ जब कांग्रेस हेमन्त करकरे के बलिदान को तुष्टीकरण की राजनीति से जोड़ती है या तुकाराम जी जो कसाब को पकड़ने के लिए शहीद हो गये, या उज्जवल निकम जी जिन्होंने कसाब को फाँसी दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की या हमारे सुरक्षा बल जिन्होंने बचे हुए आतंकवादियों को मार गिराया… मुंबई हाशिए पर था, दो दिन तक एक तरह से बंधक रखा गया था. हमारे सुरक्षा बलों ने मुंबई को बचाया. उन्होंने सभी का बलिदान किया… 2008 के हमलों में मेरे सहित हमारे कई दोस्तों ने अपनी जान गंवाई. जब कांग्रेस नेताओं की ओर से ऐसे बयान आते हैं, चाहे वह कांग्रेस हो, उद्धव ठाकरे हों या शरद पवार हों, वे देश को, हर महाराष्ट्रवासी को, हर मुंबईकर को धोखा दे रहे हैं. उन सभी को सार्वजनिक रूप से- चाहे वह राहुल गांधी हों, शरद पवार हों, उद्धव ठाकरे हों या उनके सभी छोटे नेता हों- हर मुंबईवासी, हर जवान, हर सैनिक, सशस्त्र बलों से जुड़े हर व्यक्ति और हर शहीद के परिवार से माफी मांगनी चाहिए.
राहुल जोशी: जमीयत उलेमा ने फतवा जारी किया है कि मुसलमानों को कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी को वोट देना चाहिए. आपसे जुड़े राज ठाकरे ने अब कहा है कि उन्होंने भी ‘फतवा’ जारी किया है कि सभी हिंदुओं को भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार जी को वोट देना चाहिए. आप इसे किस तरह देखते हैं?
पीयूष गोयल: देखिए, राज ठाकरे जी कोई धार्मिक नेता नहीं हैं. उन्होंने ये बात गुस्से में कही, गुस्से में कहा कि इस पर फतवा जारी करने का अधिकार किसी को नहीं है. यह एक तरह की प्रतिक्रिया और पलटवार है. फतवा धर्म गुरुओं द्वारा धर्म के आधार पर जारी किया जाता है. हम फतवे की कड़ी निंदा करते हैं. इस तरह का फतवा जारी करने से सामाजिक सौहार्द्र खत्म होता है. राज ठाकरे जी एक राजनीतिक नेता हैं… राजनीतिक नेता अपील करते हैं, अपने विचार रखते हैं और लोगों का समर्थन और आशीर्वाद मांगते हैं. इस शब्द का प्रयोग उन्होंने गुस्से में किया था. किसी भी मौलवी या किसी धार्मिक गुरु को इस तरह का फतवा जारी करने का अधिकार नहीं है. क्या आपने कभी किसी धार्मिक गुरु को फतवा जारी करते हुए सुना है कि इस पार्टी को ही वोट दें, वरना भगवान नाराज हो जाएंगे या इसका उनकी धार्मिक आस्था पर बुरा असर पड़ेगा? मेरा मानना है कि धर्म और राजनीति को नहीं मिलाना चाहिए. यह देश धर्मनिरपेक्ष है. धर्मनिरपेक्ष देश में हम सभी को अपने धर्म का पालन करना चाहिए. राजनीतिक क्षेत्र में हमें राजनीतिक और ठोस मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहिए.
राहुल जोशी: एक और सवाल, आप वाणिज्य मंत्री, रेल मंत्री रहे हैं, आपने सुधारों में बहुत बड़ा योगदान दिया है. यहां एक बड़ा मुद्दा झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास का है. एक केंद्रीय नेता के रूप में आप इस मुद्दे को कैसे देखते हैं, जहां आपने इन सुधारों में योगदान दिया है? आप इससे कैसे निपटेंगे और समाधान क्या है?
पीयूष गोयल: देखिए, आपने मोदी की गारंटी, 2024 के लिए हमारा ‘संकल्प पत्र’ देखा होगा. यह उसका एक छोटा सा सारांश है. इसका पहला अध्याय गरीब परिवारों की सेवा की बात करता है. प्रधानमंत्री ने स्पष्ट गारंटी दी है कि स्लम भूमि पर स्लम पुनर्वास को बढ़ाकर कम आय वाले परिवारों को उच्च गुणवत्ता वाले घरों में पुनर्वासित किया जाएगा. इसका मतलब है कि झुग्गीवासियों का यथास्थान पुनर्वास किया जाएगा. हमारा गारंटी पत्र कहता है कि कम आय वाले परिवारों को अच्छा घर मिलेगा और उनके बच्चों का पालन-पोषण अच्छी परिस्थितियों में होगा. यह स्पष्ट है कि हम देश भर में सभी झुग्गी-झोपड़ियों के निवासियों को यथाशीघ्र उसी स्थान पर पुनर्वासित करना चाहते हैं जहां वे रहते हैं. हमारा संकल्प है कि उन्हें उसी स्थान पर नया और अच्छा घर मिले.
राहुल जोशी: बहुत-बहुत धन्यवाद, मैं आपको 20 मई को मतदान के दिन चुनाव के लिए शुभकामनाएं देता हूं. उसके बाद हम आपसे दोबारा मिलेंगे और पूछेंगे कि आपने आज जो चुनावी भविष्यवाणी की है, वह सरकार बनने के बाद सही है या नहीं. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
पीयूष गोयल: बहुत-बहुत धन्यवाद. नमस्कार.
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FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 22:24 IST