कितने साल बाद और कैसे पेंट होता है एफिल टॉवर, कितना पेंट जरूरी और कितने रुपये होते हैं खर्च?
<p style="text-align: justify;">दुनिया के सबसे खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट की जब भी बात आती है तो फ्रांस की राजधानी पेरिस में बने एफिल टॉवर का भी जिक्र होता है. यह दुनियाभर के लवबर्ड्स का फेवरेट टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है. यही कारण है कि इसे फ्रांस की आन-बान-शान भी कहा जाता है. एफिल टॉवर दशकों से दर्शकों को अपनी खूबसूरती से लुभाता रहा है. </p>
<p style="text-align: justify;">पेरिस की जान कहे जाने वाले इस एफिल टॉवर को 1889 में बनाया गया था. करीब 330 मीटर लंबे इस टॉवर को बनाने में 70 लाख किलो लोहे का इस्तेमाल हुआ था. हैरान करने वाली बात यह है कि इस टॉवर को बनाने के लिए 300 मजदूर लगे थे, जिन्होंने 2 साल 2 महीने और 5 दिन में इस खूबसूरत इमारत को बनाकर तैयार किया था. उस समय यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक थी. यह इमारत जितनी खूबसूरत है, उतना ही मुश्किल इसका मेंटीनेंस भी है. क्या आप जानते हैं कि एफिल टॉवर की पेंटिंग कैसे होती है और यह कितने साल में की जाती है? और इस 300 मीटर ऊंची इमारत को पेंट करने में कितना खर्च आता है? </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे होती है एफिल टॉवर की पेंटिंग</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एफिल टॉवर की पेंटिंग अपनेआप में एक चुनौती भरा काम है और इस खूबसूरत इमारत को सुरक्षित बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी भी है. लोहे से बनी इस इमारत को जंग लगने से बचाने के लिए इस पर पेंट के कई कोट लगाए जाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इसकी मजबूती हमेशा बनी रहे. 1990 में एफिल टॉवर को तैयार करने वाले इंजीनियर गेस्टोव एफिल ने अपनी किताब ‘द 300-मीटर टॉवर’ में लिखा था कि पेंटिंग धातु के कामों के संरक्षण में आवश्यक तत्व है और जितना अधिक सावधानीपूर्वक पेंट का काम किया जाएगा, टॉवर उतना ही लंबे समय तक टिकेगा। </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कब-कब होती है इसकी पेंटिंग</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एफिल टॉवर को अब तक 19 बार पेंट किया गया है. औसतन हर सात साल में इसकी पेंटिंग की जाती है. एफिल टॉवर को पेंट करने वाले पेंटर्स इसके पूरे 300 मीटर के एरिया को साफ करते हैं और टॉवर का मूल्यांकन करते हैं. इसमें हर सात साल में जंगरोधी मटीरियल लगाया जाता है, जिसके बाद ही इसमें पेंट का कोट चढ़ाया जाता है. इसकी पेंटिंग आज भी मैनुअल तरीके यानी की हाथों से की जाती है, जो एक पारंपरिक तरीका है और इसका उल्लेख खुश गेस्टोव एफिल ने किया था. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कब कौन से रंग का किया गया पेंट </strong></p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">1887/88: वेनिशियल रेड</li>
<li style="text-align: justify;">1889: रेडिश ब्राउन</li>
<li style="text-align: justify;">1892: गेरूआ भूरा रंग</li>
<li style="text-align: justify;">1899: एफिल टॉवर का बेस पीले-नारंगी रंग का था, बाकी टॉवर पर 5 रंगों के कोट थे</li>
<li style="text-align: justify;">1907-1947: येलो-ब्राउन</li>
<li style="text-align: justify;">1954-61: ब्राउन-रेड</li>
<li style="text-align: justify;">1968 से अब तक: ब्राउन(इसमें तीन तरह के कोट हैं, गहरा कोट सबसे नीचे है और हल्का सबसे ऊपर)</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>कितना लग जाता है पेंट </strong></p>
<p style="text-align: justify;">एफिल टॉव को जब भी पेंट किया जाता है, जब लगभग 50 पेंटर्स काम करते हैं. अनुमानित 60 टन पेंट इसकी एक बार की पेंटिंग में खर्च हो जाता है. इस दौरान 55 किलोमीटर का सुरक्षा घेरा बनाया जाता है. एक बार की पेंटिंग में 18 महीने से लेकर 3 साल का समय लग जाता है. </p>
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