किसानों को अब खेती करना भी दुश्वार! नहीं मिल पा रही खाद, कैसे होगी पैदावार?


हरियाणा में इन दिनों किसान अपनी धान की फसल को काटकर मंडी में लेकर आ रहे हैं और उसका उठान भी तेजी से हो रहा है. अब रबी की फसल की बुआई का सीजन शुरू हो चुका है, और रबी की फसल की बुआई से पहले खेत को तैयार करना होता है. खेत तैयार करने के लिए किसानों को डीएपी खाद की जरूरत पड़ती है. इन दिनों हरियाणा के किसानों को डीएपी खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है. किसान मंडी में डीएपी खाद लेने जा रहे हैं, लेकिन कई बार उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है.

अंबाला में डीएपी खाद के लिए किसानों की परेशानी
अंबाला की अनाज मंडी में भी किसान डीएपी खाद के लिए रोजाना दुकानों के चक्कर लगा रहे हैं. जब लोकल 18 ने किसानों से बातचीत की, तो किसान गुरप्रीत सिंह ने बताया कि वह पिछले तीन-चार दिन से मंडी में दुकानों पर डीएपी खाद की तलाश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है. उन्होंने बताया कि कुछ दुकानों पर डीएपी खाद उपलब्ध होने पर भी दुकानदार अन्य वस्तुएं साथ में खरीदने को मजबूर कर रहे हैं, जिससे उनका खर्च बढ़ रहा है.

बिना डीएपी खाद खेत की तैयारी में कठिनाई
डीएपी खाद की कमी पर बात करते हुए गुरप्रीत सिंह ने कहा कि बिना डीएपी खाद के खेत को अगली फसल के लिए तैयार करना बहुत मुश्किल हो जाता है, इसलिए यह खाद किसानों के लिए बेहद जरूरी है. बलजीत सिंह, जो अंबाला के गांव दुराना के रहने वाले हैं, ने भी लोकल 18 को बताया कि उन्हें डीएपी खाद के लिए दुकानों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन मार्केट में यह उपलब्ध नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर दुकानदारों के पास खाद उपलब्ध होती है, तो वे अन्य अनावश्यक दवाइयां साथ में खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जिससे किसानों का खर्च बढ़ जाता है.

कृषि अधिकारी का बयान
लोकल 18 ने जब कृषि अधिकारी डीडीए जसविंदर सिंह से बात की, तो उन्होंने कहा कि अंबाला में डीएपी खाद की स्थिति ठीक है और जिले की जरूरत के अनुसार प्रयाप्त मात्रा में खाद मंगाई गई है. उन्होंने बताया कि अंबाला के जिन क्षेत्रों में आलू की बुआई की जाती है, वहां 80 प्रतिशत बुआई का कार्य पूरा हो चुका है. दुकानदारों द्वारा किसानों को जबरन अन्य दवाइयां देने पर उन्होंने कहा कि अगर किसी भी दुकानदार द्वारा ऐसा किया जाता है, तो किसान कृषि विभाग में शिकायत कर सकते हैं, जिसपर तुरंत कार्रवाई की जाएगी.

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