कुकर फटा और जिंदगी नरक बन गई…पति ने साथ छोड़ कर ली दूसरी शादी, बेटी को कहा ‘मम्मी की मृत्यु हो गई’


Women Inspiring Story: वेस्ट बंगाल के नडिया जिले के छोटे से गांव भजन घाट की निवासी मौसमी हल्दर की जिंदगी एक समय पर ठीक चल रही थी. लेकिन 2019 में एक हादसे ने उनकी दुनिया को पलट कर रख दिया. खाना बनाते समय प्रेशर कुकर फटने से उनके शरीर का 65 प्रतिशत हिस्सा जल गया. इस हादसे के बाद उनका इलाज करीब पांच महीने तक अस्पताल में चला. इस मुश्किल वक्त में जब उन्हें अपने पति और अपनो का सहारा चाहिए था, उनके पति ने उन्हें छोड़कर दूसरी शादी कर ली. लेकिन जिंदगी से हार नहीं मानी और आज अपने जैसी या नॉर्मल लड़कियों इन कामों की ट्रेनिंग दे रही हैं.

जीवन में ठहराव और संघर्ष की शुरुआत
मौसमी हल्दर के इस कठिन दौर ने उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी झकझोर दिया. अस्पताल से घर लौटने के बाद उन्होंने अपने मायके में रहना शुरू किया. उनकी बड़ी बहन और माता-पिता ने उन्हें सहारा दिया, लेकिन ससुराल और समाज ने उन्हें ठुकरा दिया. चेहरा और शरीर की खूबसूरती खोने के बाद उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे सब उनसे दूर हो गए हैं. पास आने की वजह उन्हें एक अलग नजर से देखने लगे. मौसमी ने बताया कि उनके पास न तो कोई आय का साधन था और न ही भविष्य की कोई दिशा. उनका जीवन ठहर-सा गया था. उन्हें अपनी बेटी की चिंता भी सता रही थी. उनके पति ने बेटी को यह झूठ बताया कि मौसमी की मृत्यु हो चुकी है और इस वजह से बेटी आज भी अपने पिता के साथ है.

छांव फाउंडेशन से मिली नई राह
मौसमी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि अपने मायके में रहकर मौसमी ने ऑनलाइन छांव फाउंडेशन के बारे में जानकारी हासिल की. यह संस्था एसिड सर्वाइवर्स के लिए काम करती है. भाषा की समस्या के बावजूद पड़ोस के एक वोलेंटियर की मदद से उन्होंने फाउंडेशन से संपर्क किया और 2021 में नोएडा पहुंचीं. यहां उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया. मौसमी ने छांव फाउंडेशन में हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं के बारे में सिखा. इसके अलावा उन्होंने हैंडीक्राफ्ट और नेल आर्ट की ट्रेनिंग ली. अब वो नोएडा के शीरोज कैफे में एसिड अटैक सर्वाइवर्स और अन्य महिलाओं और लड़कियों को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रही हैं.

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माता-पिता के लिए सहारा बनीं बेटी
मौसमी का कहना है कि वह अब न केवल एक बेटी हैं, बल्कि अपने माता-पिता के लिए बेटे का भी फर्ज निभा रही हैं. वह हर महीने अपने माता-पिता को पैसे भेजती हैं. मौसमी की बेटी अब 9 साल की हो चुकी हैं. अपने पिता के साथ रहती है. उसे अब भी यह नहीं पता कि उसकी मां जीवित है. मौसमी का कहना है कि जब उनकी बेटी बड़ी हो जाएगी और सच्चाई समझने लायक होगी, तब वह उसे अपनी कहानी बताएंगी. मौसमी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उनकी शादी 2013 में बहुत कम उम्र में करदी थी. दो साल बाद ही उनकी एक बेटी हो है और फिर 2019 में रसोई में खाना बनाते समय प्रेशर कुकर फटने के कारण उनके साथ ये हादसा हो गया.

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