कुछ भी कर लें छोटे ट्रेडर, ‘कटना’ तो उन्हें ही है! एल्गो से भी गंवाए 13,000 करोड़, बड़ों ने खूब छापे नोट


Algo Trading: अगर आपको लगता है कि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करके आसानी से पैसा बना सकते हैं तो कृपया इस वहम को जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी दूर कर लें. छोटे निवेशक रात-रातभर जागने और मेहनत करने के बाद कई तरह की ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बनाते हैं, मगर कोई भी स्ट्रैटेजी काम नहीं आती. शेयर मार्केट के इस गेम में आखिरकार बड़ी पूंजी वाले लोग ही विजेता साबित होते हैं. साल-दर-साल के आंकड़े देखेंगे तो पाएंगे कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) और प्रोपराइटरी ट्रेडर (Proprietary Traders) या कहें कि ऑपरेटर ही कमाकर जाते हैं. और जो पैसा वो कमाते हैं, वह दरअसल छोटे ट्रेडरों की जेब से ही निकलता है.

कल ही हमने एक खबर छापी थी, जिसमें बताया गया था कि पिछले साल 93 प्रतिशत छोटे निवेशकों ने पैसा गंवाया है. केवल 7 लोग ही पैसा लेकर जा पाए हैं. इसी खबर के अंत में इस नुकसान को थोड़ा विस्तार से बताया गया है, उसे पढ़ना मत भूलिएगा. उसे पढ़ने के बाद ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में शायद आपके विचार बदल जाएं… तो इस लॉस के पीछे वजह क्या है? छोटे निवेशक लगातार पैसा क्यों खो रहे हैं? क्यों वे बार-बार और हर-बार हार ही रहे हैं? चलिए समझते हैं.

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आपने टर्मिनेटर (Terminator) सीरीज की फिल्में तो देखी ही होंगी. इस सीरीज की फिल्में मानव और मशीन के बीच लड़ाई पर आधारित होती हैं. मशीनें इतनी पावरफुल होती हैं कि इंसान को पलभर में खाक कर सकती हैं. शेयर बाजार में भी इन दिनों बिलकुल ऐसा ही हो रहा है. बड़ी पूंजी वाले निवेशक मशीनों के सहारे ट्रेडिंग कर रहे हैं, जिसे कि एल्गो ट्रेडिंग का नाम दिया गया है. सेबी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े निवेशकों ने अपना 95 फीसदी से अधिक मुनाफा एल्गो ट्रेडिंग से ही बनाया है.

एल्गो ने बड़े निवेशकों को बनाकर दिया माल
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) और प्रोपराइटरी ट्रेडर्स ने एल्गो ट्रेडिंग के इस्तेमाल से लगभग 59,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है. प्रोपराइटरी ट्रेडर्स ने एल्गो से करीब 32,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जबकि FIIs ने 26,900 करोड़ रुपये का लाभ बनाया है. एफपीआईज़ (Foreign Portfolio Investors) ने 97 फीसदी तो प्रोप ट्रेडर ने 96% प्रॉफिट एल्गो से ही बनाया है.

कुल मिलाकर एक वाक्य में बात यहां खत्म होती है कि भारतीय शेयर बाजार के डेरिवेटिव्स (ऑप्शन्स) सेक्टर में ट्रेडिंग का भविष्य अब बॉट्स और एल्गो (Algo) के हाथों में आ चुका है. सेबी के आंकड़ों से पता चला है कि 376 विदेशी निवेशकों में से 306 ने एल्गोरिदम के माध्यम से ट्रेडिंग की, जबकि 626 प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स में से 347 ने एल्गो का उपयोग किया.

एल्गो का यूज करने वाले छोटे निवेशकों ने किया लॉस
दूसरी ओर, 95.7 लाख व्यक्तिगत निवेशकों में से केवल 13% ने एल्गो का इस्तेमाल किया. हालांकि, रिटेल निवेशकों के लिए एल्गो का इस्तेमाल सफल साबित नहीं हुआ. वित्त वर्ष 24 में एल्गो का उपयोग करने वाले व्यक्तिगत निवेशकों ने कुल 13,900 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया. डेटा के अनुसार पिछले साल डेरिवेटिव ट्रेडिंग में रिटेल ट्रेडर्स को कुल मिलाकर 41,544 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के डॉ. वी के विजयकुमार ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां संगठित निवेशक अच्छा पैसा कमा रहे हैं, वहीं व्यक्तिगत निवेशक लगातार नुकसान में हैं. अपनी मेहनत की कमाई को बचाने और बढ़ाने की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की होती है. जितनी जल्दी यह बात व्यक्तिगत निवेशकों को समझ में आएगी, उनके लिए उतना ही बेहतर होगा.”

टाइम्स ऑफ इंडिया ने AlgoTest प्लेटफॉर्म के इंटरनल डेटा का हवाला देते हुए लिखा है कि जो रिटेल निवेशक अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को पहले बैक-टेस्ट करते हैं और फिर उन्हें एल्गो के माध्यम से लागू करते हैं, उनकी लाभ कमाने की संभावना सामान्य रिटेल ट्रेडर्स की तुलना में लगभग 5 गुना अधिक होती है. AlgoTest के संस्थापक और सीईओ राघव मलिक ने कहा, “एल्गो ट्रेडिंग ज्यादा डिसिप्लीन और स्थिर दृष्टिकोण प्रदान करता है, और जब इसे सही तरीके से किया जाता है, तो सक्सेस रेट काफी अधिक होती है.”

4 लाख लोगों ने लिया प्रति व्यक्ति 28 लाख का लॉस
वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 तक के आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि 1.13 करोड़ रिटेल F&O ट्रेडर्स ने 1.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाया है. सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, इस तीन सालों में व्यक्तिगत श्रेणी के ट्रेडर्स ने प्रति व्यक्ति औसतन 1.60 लाख रुपये का नुकसान किया. जहां नुकसान उठाने वालों के लिए औसतन नुकसान लगभग 2 लाख रुपये प्रति व्यक्ति था, वहीं लाभ कमाने वालों के लिए यह मुनाफा 3 लाख रुपये प्रति व्यक्ति रहा. लेकिन लाभ कमाने वालों की संख्या बेहद कम रही.

इस दौरान लगभग 93% रिटेल ट्रेडर्स (1 करोड़ से अधिक की संख्या में) ने प्रति व्यक्ति औसतन 2 लाख रुपये का नुकसान उठाया. वहीं टॉप 3.5% नुकसान उठाने वाले निवेशकों में से लगभग 4 लाख ट्रेडर्स ने प्रति व्यक्ति 28 लाख रुपये का औसतन नुकसान झेला, जिसमें ट्रांजेक्शन की लागत भी शामिल है.

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