कूकर नहीं पतीले में भी गलेगी ये दाल! गांव वाला स्‍वाद, उगाने वाले किसानों की मेहनत भी कम, पैदावार होगी अधिक


RARI PUSA- होटल में खाना खाने जाते हैं या फिर घर पर खाना खाते हैं. सभी जगह एक चीज लगभग कॉमन होती है वो है अरहर की दाल. घरों में रोजाना एक समय यह दाल बनती ही है. इसी तरह बाहर रेस्‍त्रां में खाना खाने जाते हैं तो सब्‍जी और पनीर के साथ अरहर (पीली) जरूर मंगाते हैं. यानी इसके बगैर खाना अधूरा होता है. अगर इस दाल में दादी-नानी के हाथों वाला स्‍वाद आ जाए तो कहने क्‍या हैं. तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है. यह दाल आपको शहरों में मिल सकेगी.

पहले दाल पतीले में बनती थी. इसका स्‍वाद गजब का होता था. इसे पकने में समय जरूर लगता था. कूकर आने के बाद इस तरह दाल बनना कम हो गयी. लोग कूकर में दाल पकाने लगे. इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आरएआरआई-पूसा) लोगों को दाल का वही स्‍वाद देने के लिए पूसा अरहर दाल तैयार की है.

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अरहर दाल विभाग के प्रभारी डा. आर राजे ने बताया कि यह ऐसी उन्‍नत किस्‍म की दाल है, जो सामान्‍य दाल के मुकाबले जल्‍दी पकेगी. इसे कम समय में भी पतीले में पकाया जा सकता है. इसका रंग गहरा पीला होता है और स्‍वाद में बहुत अच्‍छी होती है. यानी दाल गांव की याद जरूर दिला देगी.

यह दाल खाने में स्‍वादिष्‍ट होने के साथ साथ किसानों के लिए लाभदायक है. यह जल्‍दी तैयार होने वाली फसल है. सामान्‍य दाल की फसल को तैयार होने में 200 दिन के करीब लग जाते हैं, लेकिन यह केवल 120 में तैयार हो जाती है. यानी इसकी बुआई 1 जून को करो और 1 अक्‍तूबर को काट लो, अगली फसल लगा दो. इसकी पैदवार 20 कुंटल प्रति हेक्‍टेयर के करीब होती है. यह दाल पंजाब,हरियाण और पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के वरदान से कम नहीं है.

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किसान यहां से ले सकते हैं बीज

किसान इसका बीज इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आरएआरआई) पूसा, दिल्‍ली से ले सकते हैं, इसके अलावा आईएआरआई करनाल से भी इसका बीज प्राप्‍त किया जा सकता है.

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