कूहल जो जिला कांगड़ा के किसानों के लिए हुआ करती थी वरदान, आज उनका आज हो गया है बुरा हाल


कांगड़ा. कूहल जो किसानों के लिए फसल की सिंचाई में वरदान हुआ करती थी, आजकल एक बुरे दौर से गुजर रही हैं. कृषि के माध्यम से किसानों की आर्थिकी मजबूत करने वाली कूहल तीन साल बाद भी बहाल नहीं हो पाई है. जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर यह कूहल वर्ष 2021 में मांझी खड्ड में आई बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी. ग्राम पंचायत पंतेहड़ पासू में क्षतिग्रस्त हुई इस कूहल को आज तक नहीं बनाया जा सका है. अब हालात ऐसे हैं कि किसानों को किसी अन्य कूहल से पानी सिंचाई के लिए प्रयोग करना पड़ रहा है, जिसके लिए उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

जुलाई, 2021 में आई बाढ़ में बही इस कूहल के निर्माण के लिए क्षेत्र के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से लेकर तत्कालीन भाजपा और मौजूदा कांग्रेस सरकार से भी गुहार लगाई. आज तक इस कूहल का निर्माण कार्य ही शुरू नहीं हो पाया है. रबी फसल की बिजाई तो किसी तरह किसान कर देते हैं, लेकिन धान की फसल को बीजने के लिए उन्हें बारिश के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अगर जल्द ही कूहल का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो उन्हें गेंहू की फीस की बिजाई करने के बाद सिंचाई के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. सरकार और प्रशासन जल्द इस कूहल की मरम्मत करवाए.

क्या बोले स्थानीय
अरविंद चौधरी ने कहा- “कूहल को टूटे साढ़े तीन साल का समय बीत गया है, लेकिन आज तक न तो पंचायत ने इस कूहल को बनाने में कोई दिलचस्पी दिखाई और न प्रशासन ने. किसानों को भूमि की सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ रहा है.”

अनुज पाल ने कहा “एक तरफ प्रदेश सरकार किसानों की आय को बढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी ओर कूहलों की खस्ता हालत पर कोई ध्या नहीं दिया जा रहा है. साढ़े तीन साल बाद भी कूहल को ठीक करने के लिए किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की है.”

सुरेश कुमार ने कहा- “कूहल टूटी होने के कारण किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों की हजारों कनाल भूमि इस कूहल पर निर्भर है, लेकिन पंचायत और प्रशासन काम करने की बजाय गहरी नींद में सोई हुई है. किसान परेशान हैं और सरकार आराम फरमा रही है.”

निशांत चौधरी ने बताया- “पंचायत का कार्यकाल अगले साल समाप्त होने को है, लेकिन आज तक पंतायत प्रतिनिधियों में कूहल को ठीक करवाने के लिए कोई कार्य नहीं किया है. इसका खामियाजा किसानों को झेलना पड़ रहा है. कूहल में पानी न आने के कारण अन्य कूहलों से पानी लाना पड़ता है, जिस वजह से कई बार लड़ाई भी हो जाती है.”

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