कैलाश मानसरोवर यात्रा पर कैसे मान गया चीन? 3750 दूर लिखी गई पटकथा, जानिए पर्दे के पीछे की कहानी


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India-China News: भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरने लगे हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी. पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात ने संबंधों को नया मुकाम दिया.

कैलाश मानसरोवर यात्रा पर कैसे मान गया चीन? 3750 दूर लिखी गई पटकथा, जानिए कहानी

Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत-चीन रिश्तों में नई शुरुआत है.

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सालों तक रिश्तों पर जमी बर्फ अब पिघलने लगी है. भारत और चीन अब नए सिरे से दोस्ती का हाथ बढ़ा चुके हैं. पुरानी बातें भूलकर दोनों रिश्तों की नई पटकथा लिखने में जुट चुके हैं. इसका असर भी जमीन पर दिखने लगा है. पहले तो एलएसी पर सीमा विवाद सुलझा. दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे. जहां-जहां तनाव था, वहां से डिसइंगेजमेंट हो गया. अब कैलाश मानसरोवर यात्रा पर सफलता हाथ लगी है. जी हां, भारत और चीन फिर से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू करेंगे. दोनों देश सीधी उड़ान पर भी सहमत हो चुके हैं. भारत और चीन ने सोमवार को अपने रिश्तों के पुननिर्माण की दिशा में यह अहम घोषणा की. इसके तहत इस साल गर्मी के मौसम में कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू होगी.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत भारत और चीन के रिश्तों में मील का पत्थर है. 2020 के बाद से ही कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बंद हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद शुरू होगी. साल 2020 में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील के पास झड़पें हुई थीं. इन झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था. तनाव इतना था कि दोनों देशों ने सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी. हर तरह के संबंध तोड़ दिए थे. कैलाश मानसरोवर की यात्रा बंद हो गई थी. भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान की सेवा बंद हो गई थी. मगर अब सब पहले की तरह नॉर्मल होने जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर कैसे चीन मान गया. आखिर इस फैसले के पर्दे के पीछे की कहानी क्या है?

क्या है पर्दे के पीछे की कहानी
भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरने की सबसे अहम वजह है वार्ता यानी बातचीत. जी हां, 2020 में रिश्तों में दरार पड़ने के बाद भी दोनों देशों ने लगातार बातचीत की है. इन्हीं बातचीत का नतीजा है कि अब दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने लगे हैं. हालांकि, इसकी पटकथा दिल्ली से 3750 किलोमीटर दूर स्थित रूस के कजान शहर में लिखी गई. जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई. पिछले साल अक्टूबर महीने पीएम मोदी और शी जिनपिंग कजान शहर में थे. मौका था ब्रिक्स समिट का. ब्रिक्स समिट के इतर पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात हुई थी. दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई. इस मुलाकात में ही सीमा पर शांति और दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने पर सहमति बनी थी. इसी दौरान सीमा पर तनाव कम करने, कैलाश मानसरोवर यात्रा और डायरेक्ट फ्लाइट की बहाली पर पीएम मोदी ने जिनपिंग को समझाया था. यही वह मुलाकात थी, जिसके बाद भारत और चीन के बीच बातचीत का चैनल सक्रिय हो गया था.

मुलाकातों से बनी बात
खुद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी माना है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा की फिर से बहाली और सीधी उड़ानों को शुरू होने के पीछे पीएम मोदी और शी जिनिपंग के बीच मुलाकात ही है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अक्टूबर में कजा में हुई बैठक में सहमति बनी थी, विदेश सचिव मिसरी और चीनी उप विदेश मंत्री सुन ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की ‘व्यापक’ समीक्षा की और संबंधों को ‘‘स्थिर करने और पुनर्निर्माण’ करने के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी चीन से संबंधों को और बेहतर करने के लिए रविवार को बीजिंग के दौरे पर गए.

मोदी-जिनिपंग ने सेट किया एजेंडा
पीएम मोदी और जिनपिंग की उस मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी समकक्ष वांग यी की मुलाकात हुई थी. दोनों के बीच भारत-चीन सीमा पर सैनिकों की वापसी पर चर्चा हुई थी. साथ ही भारत और चीन के रिश्तों को 2020 से पहले वाली स्थिति में करने पर भी बातचीत हुई थी. इतना ही नहीं, पिछले महीने एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया था. सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता के ढांचे के तहत उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की थी. इन बातचीत और मुलाकातों ने भारत और चीन के बीच रिश्तों को नया मुकाम दिया. इसका असर हुआ कि अब भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरते दिख रहे हैं. इसका एक और उदाहरण यह भी है कि चीन अब भारत का सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार बन चुका है. पहले यह तमगा अमेरिका के पास था.

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