कौन हैं बाबा आढाव? ज‍िनकी भूख हड़ताल से महाराष्‍ट्र में मचा बवाल, शरद पवार, उद्धव ठाकरे तक पहुंचे मनाने



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महाराष्‍ट्र की सियासत में इन दिनों हलचल मची हुई है. एक ओर महायुत‍ि में मुख्‍यमंत्री का चेहरा तय नहीं हो पा रहा है, तो वहीं बाबा आढाव की भूख हड़ताल से सियासी पारा गर्म है. बाबा आढाव EVM के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं. उनका मानना है क‍ि ईवीएम की वजह से ही महाराष्‍ट्र के नतीजे ऐसे आए हैं. वे इतने गुस्‍से में हैं क‍ि पानी पीने तक को तैयार नहीं हैं. हालात यहां तक आ पहुंचे क‍ि महाराष्‍ट्र के चाणक्‍य माने जाने वाले शरद पवार, उद्धव ठाकरे और अज‍ित पवार तक उन्‍हें मनाने पहुंच गए.

95 साल के बाबा आढाव पुणे के एक सोशल वर्कर हैं. उनका जन्‍म 1 जून 1930 को हुआ. उनका पूरा जीवन आंदोलनों की एक कहानी कहता है. 1943 से 1950 तक राष्ट्र सेवा दल के संयोजक रहे. 1952 में महंगाई के ख‍िलाफ सत्याग्रह किया. तब पहली बार जेल गए. 1953 में नाना पेठ में उनके निवास पर एक दवा की दुकान खोली गई. गोमांतक मुक्‍त‍ि आंदोलन में वे सक्रिय रूप से शामिल रहे है.1957 में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में भाग लिया. बुजुर्गों को साक्षर बनाने के ल‍िए कई अभ‍ियान चलाए.

बात चाहे 1959 ‘झोपड़ी संघ’ के गठन की हो या फ‍िर झुग्गी झोपड़‍ियों में रहने वाले लोगों के ल‍िए काम करने की, बाबा बाढाव सबसे आगे रहे. कई आंदोलनों की वजह से उन्‍हें जेल जाना पड़ा. फ‍िर 1961 से वे राजनीत‍ि में आए और 1967 तक नाना पेठ निर्वाचन क्षेत्र से पुणे नगर निगम के लिए चुने गए. मेयर का चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ एक वोट से हार गए. बाद में खुद ही इस्‍तीफा दे द‍िया. एक गांव, एक जल आंदोलन को महाराष्‍ट्र के लोग अभी भी याद करते हैं, ज‍िसकी वजह से कई इलाकों को पानी मिला. 1984 भिवंडी दंगे की बात हो या फ‍िर मराठवाड़ा भूकंप पीड़ितों के ल‍िए पैसे जुटाने का मामला, वे हमेशा आगे रहे. पुणे में ‘रिक्शा पंचायत’ बनाने के लिए 50,000 ऑटो ड्राइवर को जुटाकर उन्‍होंने इत‍िहास रच द‍िया था. इनकी वजह से संसद को एक बिल पास करना पड़ा.

अब क्‍यों चर्चा में
महाराष्‍ट्र चुनाव के नतीजे जब से आए हैं तब से बाबा आढाव काफी नाराज हैं. उन्‍हें लगता है क‍ि ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से ऐसे नतीजे आए हैं. वे ईवीएम को चुनावों से हटाने के ल‍िए आंदोलन कर रहे हैं. तीन द‍िन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. उनका कहना है क‍ि इस चुनाव में ज‍िस तरह धन और सत्‍ता के बल पर प्रभाव‍ित क‍िया गया, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. उनका कहना है क‍ि जब तक ईवीएम नहीं हटेगी, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

मनाने पहुंचे शरद पवार
बाबा आढाव को मनाने के ल‍िए शरद पवार और उद्धव ठाकरे पहुंचे. शरद पवार ने उनसे कहा, ज‍िस तरह आपके मन में इन नतीजों को लेकर सवाल है, उसी तरह पूरे महाराष्‍ट्र में यह बेचैनी है. बाबा आढाव ने शरद पवार से सवाल क‍िया क‍ि लोकसभा और विधानसभा के नतीजों में इतना अंतर कैसे हो सकता है. इस पर शरद पवार ने सीधे तौर पर ईवीएम पर सवाल उठाए. शरद पवार कहा, हमने नहीं सोचा था कि इस चुनाव में इतना बड़ा खेल हो जाएगा. इसके ख‍िलाफ जनविद्रोह करना होगा, वरना यह लोकतंत्र के ल‍िए खतरनाक संकेत है.

उद्धव ने मिलकर क्‍या कहा
शरद पवार के मिलने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी बाबा आढाव के पास पहुंचे और उन्‍हें मनाने की कोश‍िश की. लेकिन देवेंद्र फडणवीस कई कार्यक्रमों में व्‍यस्‍त होने की वजह से नहीं गए. उद्धव ठाकरे ने कहा, बाबा आढाव जो मुद्दा उठा रहे हैं, वह बहुत जरूरी है. देशभर में इसके ख‍िलाफ आवाज उठनी चाहिए. हर गली से आवाज उठनी चाहिए. यह लोकतंत्र के ल‍िए जरूरी है. अज‍ित पवार ने उन्‍हें चुनाव आयोग की बातें समझाई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में बताया. यह समझाने की कोश‍िश की क‍ि ईवीएम में कोई खराबी नहीं है.

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