क्या कहता है विज्ञान: जंगल की आग का धुंआ कैसे बदल देता है हवा का रंग?



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हाइलाइट्स

अमेरिका के न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन जैसे शहरों में हवा का रंग लाल हो रहा है.
इसका कारण कनाडा में लगी जंगलों की आग का धुआं बताया जा रहा है.
जंगल की आग का धुआं, शहरी प्रदूषण और सूर्य की रोशनी मिलकर ऐसा हालात बनाते हैं.

र्वी कनाडा के जंगलों में लगी आग के धुंए ने पूरे अमेरिका में कहर मचा दिया है. पहले न्यूयॉर्क शहर की हवा का ही रंग बदला था अब वॉशिंगटन डीसी के अलावा दूसरे शहर भी इसी चपेट में आने लगे हैं. इस आग के धुएं से शहरों में बने धुंधलके ने देखने की क्षमता को बहुत कम किया ही है, बदबू ने भी लोगों का घर से निकलना दूभर कर रखा है. यह सब किसी सामान्य शहरी प्रदूषण की वजह से नहीं है. लेकिनआखिर जंगल की आग किसी शहर की हवा का रंग कैसे बदल सकती है. आइए जानते हैं कि इस सवाल के जवाब में क्या कहता है विज्ञान ( What does Science Say)?

पूर्वी अमेरिका में अभूतपूर्व
वैसे तो पश्चिमी अमेरिका और पश्चिमी कनाडा में ही पिछले कुछ सालों से जंगल की आग का कहर देखने को मिलता है, लेकिन यह पहली बार पूर्वी कनाडा में ऐसी आग लगी है और पूर्वी अमेरिका इसके असर से झुलस रहा है. और न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन डीसी जैसे शहर दुनिया के सबसे प्रमुख शहरों में गिने जाते है. बड़े शहरों में प्रदूषण भी अधिक होता है, लेकिन उससे शहर की हवा का रंग इस तरह से नहीं बदल जाता है जैसा कि अभी देखने को मिल रहा है.

स्मॉग की भूमिका
शहर में इस तरह का असामान्य प्रदूषण स्मॉग की वजह से होता है. स्मॉग शब्द स्कोम यानी धुआं और फॉग यानि कोहरा शब्द से बना है. जंगल की आग हो या कोई औद्योगिक प्रदूषण जब भी धुंआ शहर के प्रदूषण से मिलता है तो शहर के वायुमडंल में रासायनिक प्रक्रियाएं ऐसी होने लगती हैं जिससे हवा में ऐसा रसायन बनने लगते हैं जिनकी वजह से हवा के रंग में लालिमा आने लगती है.

कैसी दिखती है सामान्य हवा
वायुमंडल में मौजूद छोटे छोटे कण जैसे कि नाइट्रोजन और ऑक्सीजन आसमान से आने वाले प्रकाश को फैलाने का काम करते हैं जिसे रेलिग स्कैटरिंग कहते हैं. इसी प्रक्रिया से प्रकाश की तरंगो छितराव होने लगता है जिनमें नीले रंग की तरंगें ज्यादा बिखरती हैं और सामान्य तौर पर आकाश इसी वजह से नीला दिखता है. लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में  इस प्रक्रिया में बदालव आ जाता है.

शहरी प्रदूषण और फोटोकैमिकल स्मॉग
शहरी प्रदूषण में नाइट्रोजन की ऑक्साइड की प्रमुखता होती है जिसकी वजह जीवाश्म ईंधन वाले वाहन होते हैं. ये ऑक्साइड धुएं के बड़े कणों से मिलकर खास तरह के रासायनिक प्रतिक्रियाओं की शृंखलाएं बनाती हैं जिससे खास तरह के स्मॉग का निर्माण होता है जिसे फोटोकैमिकल स्मॉग कहते हैं. इसके बनने में नाइट्रोजन की ऑक्साइड, सूर्य की रोशनी और वाष्पशील जैविक यौगिक का योगदान होता है.

वाष्पशील जैविक पदार्थ
अमूमन शहरी प्रदूषण में वाष्पशील जैविक पदार्थ बहुत कम होते हैं. इसलिए ऐसे स्मॉग कम देखने को मिलते हैं. जंगल की आग का धुआं इस समीकरण वाष्पशील जैविक पदार्थों की कमी को पूरा कर फोटोकैमिकल स्मॉग के निर्माण की आदर्श स्थिति बना देते हैं. जंगल की आग के धुएं के साथ हवा में जली हुई राख के कण होते हैं जो आकार में बड़े होते है. ये ही वाष्पशील जैविक पदार्थ होते हैं जिनकी वजह से प्रकाश की तरंगों के बिखराव में फर्क आ जाता है.

लाल रंग कैसे
बड़े कणों की वजह से, जो आकार के कारण पार्टिकुलेट मैटर कहे जाते हैं  और रासायनिक तौर पर वाष्पशील जैविक पदार्थ होते हैं, आकाश से आने वाली सूर्य की रोशनी में लाल औरउसके आसपास तरंगों का बिखराव ज्यादा होने लगता है और इसी वजह से हवा का रंग पीला नारंगी और लाल दिखने लगता है. इस बिखराव को मी (Mie) स्कैटरिंग या बिखराव कहते हैं जो रेलिग बिखराव पर हावी हो जाता है.

इस तरह की प्रक्रिया जंगल की आग, बहुत ज्यादा औद्योगिक प्रदूषण और ज्वालामुखी विस्फोट के हालात में देखने को मिलता है. 1950 के दशक का मशहूर लंदन स्मॉग इसका सबसे लोकप्रिय उदाहरण है.  लंदन केअलावा अमेरिका के शिकागों मे औद्योगिक कारणों से स्मॉग बन चुका है. वहीं इंडोनेशिया के शहर ज्वालामुखी की राख के कारण अपने शहरों में ऐसी प्रक्रिया देख चुके हैं. इस तरह के हालात बनने के लिए हवा की दिशा का बहुत महत्व है. अमूमन पूर्वी अमेरिका में अटलांटिक से आने वाली नम हवा ऐसे हालात बनने नहीं देती है, लेकिन इस बार यह हवा कमजोर है.

Tags: Canada, Climate, Environment, Pollution, Research, USA



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