क्या रोहिंग्या मुसलमानों को भी मिल सकती है भारत की नागरिकता? जान लीजिए नियम
<p>बांग्लादेश में हिंदुओं पर जारी हमलों के बाद देश में आक्रोश का माहौल बना हुआ है. इतना ही नहीं अवैध रोहिंग्या मुसलमानों को देश से निकालने की मांग हो रही है. लेकिन अब सवाल ये है कि क्या रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में नागरिकता मिल सकती है? आज हम आपको बताएंगे कि भारतीय संविधान में इसको लेकर क्या नियम हैं.</p>
<h2>कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान? </h2>
<p>अब सवाल ये है कि रोहिंग्या मुसलमान कौन हैं? बता दें कि रोहिंग्या मुसलमानों का एक समुदाय है. म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी आबादी रहती है. लेकिन दशकों से म्यांमार में इन्हें भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार होने पड़ रहा है. वहीं रोहिंग्या मुसलमान दावा करते हैं कि वे म्यांमार के मुस्लिमों के वंसज है, मगर म्यांमार इन्हें बंग्लादेशी घुसपैठिया बताता है. वहीं अंग्रेजी शासन के दौरान बंग्लादेश से इनके म्यांमार आकर बसने का दावा किया जाता है। दूसरी तरफ म्यांमार की सीमा से सटा बांग्लादेश रोहिंग्या समुदाय को अपना मानता ही नहीं है, जिस कारण इन्हें किसी भी देश की नागरिकता नहीं मिल पाई है.</p>
<h2>रोहिंग्या मुसलमानों को मिलेंगी नागरिकता? </h2>
<p>बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुए रोहिंग्या रिफ्यूजियों को अगर यहां रुकने दिया गया, तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं. भारत विकासशील देश होने के साथ दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाली देश भी है. ऐसे में हमें अपने नागरिकों को प्राथमिकता देने की जरूरत है.</p>
<h2>केंद्र सरकार ने बताई वजह</h2>
<p>बता दें कि देश में CAA लागू होने के बाद रोहिंग्या को लेकर छिड़ी बहस देश में सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (<a title="CAA" href="https://www.abplive.com/topic/caa" data-type="interlinkingkeywords">CAA</a>) लागू होने के बाद से रोहिंग्या रिफ्यूजियों को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है. इस कानून के तहत 2015 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। वहीं कानून के तहत रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता नहीं मिलेगी।</p>
<h2>संविधान के मुताबिक नहीं मिलेगी नागरिकता</h2>
<p>केंद्र सरकार ने जानकारी देते हुए बताया है कि भारत ने 1951 के रिफ्यूजी कन्वेंशन और 1967 के स्टेटस ऑफ रिफ्यूजी से जुड़े प्रोटोकॉल पर साइन नहीं किया था. इसलिए ये तय करना कि किस श्रेणी के व्यक्ति शरणार्थी माने जाएंगे या नहीं, ये पूरी तरह से केंद्र का अधिकार होगा. वहीं रोहिंग्या को नागरिकता देना आर्टिकल 19 के खिलाफ है. बता दें किये साफ है कि आर्टिकल 19 सिर्फ भारतीय नागरिकों पर लागू हो सकता है, विदेशी नागरिकों पर नहीं. बता दें भारत रोहिंग्या मुसलमानों को रिफ्यूजियों के तौर पर स्वीकार नहीं करती है. </p>
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