क्या वैगनर आर्मी के विद्राेह से बदल सकती है रूस में सत्ता? पुतिन के लिए अगले 24 घंटे अहम
मॉस्को. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले 23 वर्षों में सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए इन दिनों सबसे गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं. इसमें अब चौंकाने वाली बात यह है कि उन्होंने अब तक पूर्ण नियंत्रण का जो लिबास बनाए रखा है रातोंरात उखड़ गया. वैगनर ग्रुप के विद्रोह के बाद पुतिन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. रूस के लिए अगले आने वाले एक दो दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं. विद्रोही वैगनर ग्रुप की ओर से दो शहरों पर कब्जा और आगे कूच करने के दावों से मॉस्को पर बढ़ रहे खतरे पर पुतिन हरकत में तो दिख रहे हैं, लेकिन सैनिक विद्रोह से निपटना उनके लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं लग रहा. इसी लिए जानकारी अगले एक या दो दिन रूस के लिए बेहद अहम मान रहे हैं. विद्रोह की यह नई खबर यूक्रेन को राहत देने वाली है.
दरअसल, यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के सेना के भीतर से कई तरह की बातें पहले भी सामने आती रही हैं. यह अपरिहार्य और असंभव दोनों था. अपरिहार्य, क्योंकि युद्ध के कुप्रबंधन का मतलब केवल क्रेमलिन जैसी सजातीय रूप से बंद और आलोचना से प्रतिरक्षित प्रणाली ही ऐसे जघन्य दुस्साहस से बच सकती थी. और यह असंभव है क्योंकि पुतिन के आलोचक गायब हो जाते हैं. या खिड़कियों से बाहर गिर जाते हैं या उन्हें बुरी तरह जहर दे दिया जाता है. फिर भी अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सेना को एक सप्ताहांत का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें भाईचारा, अपने साथी सैनिकों पर बंदूकें चलाना, एकमात्र चीज है जो मॉस्को अभिजात वर्ग को पतन से बचा सकती है.
वैगनर प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन की अवज्ञा के शुरुआती दौर को कभी कभी दिखावा के रूप में आंका जाता था. पुतिन द्वारा अपने जनरलों को अपने मुखर आलोचक के रूप में एक वफादार गुर्गे के साथ किनारे पर रखने का प्रयास रहा, लेकिन आज हम जो देख रहे हैं कि पुतिन को यह स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि रोस्तोव.ऑन.डॉन उनका मुख्य सैन्य केंद्र उनके नियंत्रण से बाहर है.
वैगनर ग्रुप के शिविर पर हवाई हमला किसने किया?
हालांकि, वैगनर ग्रुप की इकाइयों ने कुछ समय के लिए इसमें से कुछ की योजना बनाई है. इस विद्रोह का औचित्य तत्काल और सहज दिखाई दिया. जंगल में वैगनर शिविर पर एक स्पष्ट हवाई हमला हुआ जिसे रूसी रक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया है. प्रिगोज़िन द्वारा युद्ध के पीछे तर्क के उल्लेखनीय बिंदुओं के कुछ घंटों बाद दिखाई दिया. उन्होंने आंशिक रूप से युद्ध की विनाशकारी शुरुआत के बारे में सच्चाई बताई. रूस नाटो हमले से खतरे में नहीं था और रूसियों को सताया नहीं जा रहा था.
तेजी से एक्टिव हुआ वैगनर ग्रुप
उन्होंने जिसे एक धोखा कहा, वह यह सुझाव देना था कि आक्रमण की योजना के पीछे रूस के शीर्ष अधिकारी थे. न कि पुतिन खुद. वैगनर की सेनाओं ने खुद को बहुत तेजी से एक साथ खींचा है और जल्दी से रोस्तोव में चले गए हैं. शायद प्रिगोज़िन ने सपना देखा था कि वह पुतिन को रक्षा मंत्रालय के शीर्ष पर बदलाव के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जिसे वैगनर प्रमुख ने महीनों से सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई है, लेकिन शनिवार सुबह पुतिन के संबोधन ने उस संभावना को खत्म कर दिया है.
यह अब रूस के अभिजात वर्ग के लिए एक अस्तित्वगत विकल्प है. राष्ट्रपति के लड़खड़ाते शासन और अंधेरे भाड़े के फ्रैंकनस्टीन के बीच जो उसने अपना गंदा काम करने के लिए बनाया था, जिसने अपने आकाओं को चालू कर दिया है. यह रूस की सेना के लिए भी स्पष्टता का क्षण है. कुछ साल पहले प्रिगोज़िन की हल्की आलोचनाओं ने बालाक्लावास में कुलीन विशेष बलों को उन्हें दूर ले जाने के लिए प्रेरित किया होगा. लेकिन अब वह स्वतंत्र रूप से घूमता है. मॉस्को के लिए मार्च करने पर खुले तौर पर अपनी नजर रखता है.
यह पहली बार नहीं है जब इस वसंत में हमने मॉस्को को कमजोर देखा है. मई में क्रेमलिन पर ड्रोन हमले ने पुतिन के आसपास के अभिजात वर्ग को सवाल करने के लिए प्रेरित किया होगा कि पृथ्वी पर राजधानी की सुरक्षा इतनी कमजोर कैसे थी. कुछ दिनों बाद कुलीन देश के घरों को और अधिक यूक्रेनी ड्रोन द्वारा लक्षित किया गया था. रूसी अमीरों के बीच शुक्रवार की घटनाएं इस सवाल को दूर कर देंगी कि क्या उन्हें सत्ता पर पुतिन की पकड़ पर संदेह करना चाहिए.
यूक्रेन संभवतः रूस के भीतर इस विद्रोह के विनाशकारी समय का जश्न मना रहा होगा. यह संभवतः कीव के पक्ष में युद्ध का रुख बदल देगा, लेकिन रूस में या कहीं भी विद्रोह शायद ही कभी उन परिणामों के साथ समाप्त होते हैं जिन्हें वे प्राप्त करना चाहते हैं. 1917 में रूस में ज़ार निकोलस द्वितीय का निष्कासन बोल्शेविक क्रांति, लेनिन और फिर सोवियत साम्राज्य में बदल गया.
जैसा कि रूसी बुनियादी मानवीय कमज़ोरी का यह दुर्लभ जैकोबीयन नाटक चल रहा है. यह अपरिहार्य नहीं है कि सुधार होंगे. प्रिगोझिन जीत नहीं सकते और क्रेमलिन के नियंत्रण की नींव ढह नहीं सकती. लेकिन कमज़ोर पुतिन अपनी ताकत साबित करने के लिए अतार्किक बातें कर सकते हैं. वह आने वाले महीनों में यूक्रेन में अग्रिम मोर्चों पर हार के तर्क को स्वीकार करने में असमर्थ साबित हो सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2023, 17:39 IST