क्यों बच्चा होने के बाद बिगड़ जाती है महिलाओं की मानसिक सेहत? पोस्ट डिलीवरी परिवार का साथ क्यों जरूरी?


हर महिला की प्रेग्नेंसी अलग होती है. मां बनने का यह 9 महीने का सफर बहुत कठिन होता है. कुछ महिलाएं डिलीवरी के बाद अक्सर डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं. मेडिकल की भाषा में इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है. आलिया भट्ट, इलियाना, मीरा कपूर, शिल्पा शेट्टी जैसी सेलेब्रिटीज भी प्रेग्नेंसी के बाद इससे जूझीं. लेकिन उन्होंने सही समय पर थेरेपी मिल गई.  बच्चा होने के बाद महिलाओं की काया पलट जाती है. हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव की वजह से मूड स्विंग होते हैं. ऐसे में पोस्ट डिलीवरी महिला का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. 

हर किसी को नहीं होता पोस्टपार्टम डिप्रेशन
क्लीवलैंड क्लिनिक सर्वे के अनुसार डिलीवरी के बाद महिलाओं की मेंटल हेल्थ जरूर प्रभावित होती है लेकिन सब पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार नहीं होतीं. 70% नई मां को बेबी ब्लूज होते हैं. इसके लक्षण बच्चा होने के 1 से 4 दिन बाद ही दिखने लगते हैं जो 2 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं. वहीं, 10 में से 1 महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार होती है. इसके लक्षण 3 से 6 महीने में दिखने लगते हैं. सही समय पर इलाज हो जाए तो महिला पूरी तरह ठीक हो सकती है.

हल्के लक्षण का मतलब है बेबी ब्लूज
दिल्ली के सीके बिरला हॉस्पिटल में ऑब्स्ट्रेटिक्स और गायनेकोलॉजी में लीड कंसल्टेंट डॉ.तृप्ति रहेजा कहती हैं कि डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाएं बेबी ब्लूज की शिकार हो जाती हैं. इसमें मूड स्विंग,  एंग्जाइटी, चिड़चिड़ापन, उदासी, नींद ना आना, रोने का मन होना, बार-बार भूख लगना, किसी काम में मन ना लगना और अकेलापन महसूस होना जैसे लक्षण दिखते हैं. हालांकि यह लंबे समय तक नहीं रहते. लेकिन अगर कोई महिला महीनों तक ऐसा महसूस करे तो इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन माना जाता है. अगर महिला का इलाज शुरू ना हो तो वह खुद को और अपने बच्चे को नुकसान तक पहुंचा सकती है. 

depression 1 2024 10 43ac9974ecf43afceca58d613fc12893 क्यों बच्चा होने के बाद बिगड़ जाती है महिलाओं की मानसिक सेहत? पोस्ट डिलीवरी परिवार का साथ क्यों जरूरी?

नई मां को आराम देते हुए बच्चे को पूरे परिवार को संभालना चाहिए (Image-Canva)

हॉर्मोन्स देते स्ट्रेस?
प्रेग्नेंसी में हॉर्मोन्स का स्तर अचानक बढ़ जाता है लेकिन जब डिलीवरी होती है तो इनका लेवल कम हो जाता है. महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का घटता लेवल उन्हें थका हुआ और सुस्त बना देता है. ऐसे में जब उन्हें बच्चा संभालने की नई जिम्मेदारी मिलती है तो वह स्ट्रेस में आ जाती हैं क्योंकि उनकी बॉडी पहले ही स्ट्रेस में होती है. महिला को पोस्ट डिलीवरी स्ट्रेस ना हो, इसके लिए जरूरी है कि उसे परिवार का सपोर्ट मिले. अगर नई मां को एंग्जाइटी हो तो परिवार को उसे खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए. 

नींद पूरी लेना जरूरी
जब महिला मां बनती है तो सबसे ज्यादा उनकी नींद प्रभावित होती है. नवजात के साथ सोने का वक्त नहीं मिल पाता. बच्चा होने के बाद उनका पूरा दिन बच्चे को दूध पिलाने, नैप्पी बदलने और उसे सुलाने में बीत जाता है और जब नई मां को नींद आती है तो बच्चा रोने लगता है. ऐसे में उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती. नींद पूरी नहीं होगी तो किसी भी व्यक्ति को डिप्रेशन घेर सकता है. ठीक ऐसा ही नई मां के साथ होता है. 

अगर पहले से हो डिप्रेशन
डॉ.तृप्ति रहेजा कहती हैं कि अगर कोई महिला पहले से डिप्रेशन से पीड़ित हो या मां कभी डिप्रेशन का शिकार हुई हो तब भी डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन का ज्यादा खतरा रहता है. इसके अलावा किसी महिला की प्रेग्नेंसी में कोई मुश्किल आई हो, सिजेरियन डिलीवरी हो, अनप्लान्ड या अनचाही प्रेग्नेंसी हो या महिला रेप या घरेलू हिंसा की शिकार हो, तब भी उसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है. 

depression 2024 10 b93b165766975766dea978d19cbabd61 क्यों बच्चा होने के बाद बिगड़ जाती है महिलाओं की मानसिक सेहत? पोस्ट डिलीवरी परिवार का साथ क्यों जरूरी?

डिलीवरी के बाद महिलाओं को हरी सब्जियां और नट्स खूब खाने चाहिए ताकि हैप्पी हॉर्मोन्स रिलीज हों (Image-Canva)

मोटापा बनता मेंटल हेल्थ का दुश्मन
प्रेग्नेंसी में बच्चे की ग्रोथ के साथ जो वजन बढ़ना शुरू होता है, वह डिलीवरी होने के कई महीनों तक खत्म नहीं होता. महिला अपना शरीर बेडौल देखकर दुखी रहने लगती है. नई मां बॉडी फैट से इतनी परेशान हो जाती हैं कि डिप्रेशन का शिकार होने लगती हैं. बच्चे के पैदा होने के बाद यूट्रस को अपने पुराने आकार में आने में 6 हफ्ते का समय लगता है. ऐसे में बच्चा होने के बाद तुरंत अपनी पुरानी बॉडी शेप में आना संभव नहीं है. अमेरिका की इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन वेट गेन की स्टडी के अनुसार डिलीवरी के बाद महिलाओं को अपने पुराने वजन में लौटने में 18 महीने लग जाते हैं. 

पोस्ट डिलीवरी केयर की लें क्लासेज
पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए जरूरी है कि हर महिला डिलीवरी और उसके बाद होने वाली चीजों के लिए खुद को पहले से ही तैयार कर ले. आजकल पोस्ट डिलीवरी केयर सर्विस और क्लासेज का खूब ट्रेंड है. इन क्लासेज में महिलाओं को बेबी केयर, स्लीप मैनेजमेंट, एक्सरसाइज, ब्रेस्ट फीडिंग, बच्चे को पकड़ने का तरीका, डायपर पहनाने का ढंग, नहलाने का तरीका, मसाज और बेबी को कपड़े पहनने का तरीका बताया जाता है. खत्म होतीं जॉइंट फैमिली और एकल परिवार होने की वजह से आजकल कई पोस्टपार्टम सेंटर नर्स की सुविधा भी मुहैया कर रहे हैं और नई मां को खुश रखने के लिए बॉडी मसाज, स्पा सेशन, ग्रूमिंग, डिनर, लंच, मूवी आउटिंग जैसी एक्टिविटी ऑफर कर रहे हैं ताकि वह 24 घंटे बच्चे का संभालने का स्ट्रेस ना लें. 

Tags: Female delivery, Female Health, Health, Pregnant Women



Source link

x