खेती का कचरा मत जलाइए, इससे लाखों की कमाई कर सकते हैं! जानिए कैसे?
Agency:Local18
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Farming tips: खेती का कचरा जलाने की बजाय जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट, बायोगैस और मल्चिंग में उपयोग करें. इससे मिट्टी उपजाऊ बनेगी, खेती की लागत घटेगी और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलेगा.
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कई किसान खेती के दौरान निकलने वाले कचरे को जला देते हैं या बेकार समझकर फेंक देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही कचरा खेत की मिट्टी को उपजाऊ बना सकता है और आपको आर्थिक फायदा भी पहुंचा सकता है? सही तरीके से इसका उपयोग करके आप न केवल अपनी खेती की लागत कम कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी बचा सकते हैं. आइए जानते हैं खेती के कचरे का सही इस्तेमाल करने के तरीके.
खेती के कचरे में छुपा है पोषण का खजाना
फसल से निकलने वाले सूखे पत्ते, जड़ें, डंठल और अन्य अवशेष पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. इन्हें जलाने की बजाय खेत में सही तरीके से इस्तेमाल करने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है.
सही तरीके से करें कचरे का इस्तेमाल
बोटाद जिले के कृषि विशेषज्ञ हीरजीभाई भींगराडिया का कहना है कि यदि खेत के कचरे को जैविक तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो इससे खेती का खर्च कम होगा और प्राकृतिक संसाधनों की भी बचत होगी. जैविक विधियों से कचरे का इस्तेमाल करने से पर्यावरण सुरक्षित रहता है और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता है.
मिट्टी की ताकत बढ़ाने का आसान तरीका
खेती के कचरे से जैविक खाद बनाई जा सकती है. इसके लिए एक गड्ढा बनाकर उसमें कचरा डाला जाता है और जैविक जीवाणुनाशक या गोमूत्र मिलाया जाता है. दो-तीन महीने में यह खाद बनकर तैयार हो जाती है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और रासायनिक खादों की जरूरत को कम करती है.
केंचुओं से बनाएं बेहतरीन खाद
वर्मी कंपोस्ट एक जैविक खाद है, जिसे खेत के नरम कचरे को केंचुओं की मदद से बनाया जाता है. यह खाद मिट्टी की उर्वरता को कई गुना बढ़ा देती है और फसलों को प्राकृतिक पोषण प्रदान करती है. साथ ही, यह मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता को भी बढ़ाती है, जिससे सिंचाई की जरूरत कम हो जाती है.
बायोगैस और जैविक ईंधन: मुफ्त में पाएं गैस और बिजली
खेती के कचरे से बायोगैस बनाई जा सकती है, जिसका उपयोग खाना पकाने और बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है. बायोगैस प्लांट से निकलने वाली स्लरी को जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा, गन्ने और मक्के के ठूंठ से बायोफ्यूल बनाया जाता है, जो पेट्रोल और डीजल का सस्ता विकल्प हो सकता है.
मल्चिंग तकनीक: नमी बनाए रखे, खरपतवार से बचाए
खेती के सूखे कचरे को पौधों के आसपास बिछाने से मिट्टी की नमी बनी रहती है और खरपतवार को बढ़ने से रोका जा सकता है. यह तकनीक विशेष रूप से सूखा प्रभावित इलाकों में बहुत फायदेमंद होती है और फसल की पैदावार को बढ़ाने में मदद करती है.
February 11, 2025, 17:43 IST