खेत में लगा दी ये फसल तो नीलगाय भागेंगी दूर, गेहूं-आलू रहेगा सुरक्षित, किसानों को एक्स्ट्रा मुनाफा
पलामू: रबी फसलों का सीजन शुरू हो गया है. किसान गेहूं-आलू आदि फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार कर रहे हैं. झारखंड-बिहार के किसान बड़ी संख्या में गेहूं के अलावा तिलहन फसल करते हैं. मगर, यहां हर साल नीलगाय फसलों को तबाह कर देती हैं. जिस कारण किसानों को बड़ा नुकसान होता है. किसान नील गाय से फसल को बचाने के लिए कई जतन करते हैं, जिसमें उनको अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है.
लेकिन, कृषि विशेषज्ञ ने एक ऐसा तरीका बताया है, जिससे नील गाय तो खेत से दूर होंगी ही, किसानों की अतिरिक्त कमाई भी हो जाएगी. कुसुम की खेती के बारे में तो आपने सुना ही होगा. यह एक ऐसी फसल है, जो किसानों के लिए ऐसी स्थिति में काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. इस फसल की खूबी है कि नील गाय इसकी महक से दूर भागती हैं. साथ ही इसकी खेती से किसानों को शुद्ध मुनाफा भी मिलता है.
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश साह ने लोकल 18 को बताया कि कुसुम की खेती सभी तिलहन फसलों में महत्वपूर्ण है. इसकी परंपरागत अंकुरण के बाद इसमें कांटे निकल आते हैं, जिस कारण नीलगाय इसे नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. इतना ही नहीं कुसुम के पौधों की गंध से भी नील गाय इससे दूर भागती हैं. इस कारण किसान बेफिक्र होकर इसकी खेती कर सकते हैं. अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
ऐसे करें खेत को तैयार
आगे कहा, किसान अगर कुसुम की खेती करना चाहते हैं तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह हल या कल्टीवेटर से एक बार जुताई कर लें. इसके बाद दूसरी जुताई से पहले खेत में बीज को डाल दें. इसके बाद जुताई करें. किसान इस बात का ध्यान रखें कि खेतों में नमी हो तभी बुवाई करें.
रोपाई से पहले बीज उपचार
किसान किसी भी फसल की खेती करने से पहले बीज उपचार अवश्य करें. बीज उपचार करने के लिए फंगीसाइड का इस्तेमाल करें. इसके लिए 20 ग्राम दवा को 10 किलो बीज पर छिड़काव करें. इसके बाद इस पर हल्का पानी का छिड़काव करें. रोपनी से चार घंटे पहले बीज उपचार करें. बीज उपचार से फसल में भविष्य में होने वाले रोग व्याधियों से छुटकारा मिलता है.
इन प्रभेदों का करें चयन
आगे कहा कि हैदराबाद के रिसर्च इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिकों द्वारा कुसुम के ऐसे प्रभेद पर खोज की जा रही है, जिस पर कांटे न निकलें. क्योंकि, इसकी फसल में कांटा होने की वजह से हार्वेस्टिंग में किसानों को थोड़ी परेशानी होती है. हालांकि, 15 वर्षों से ए 400 प्रभेद की खेती देशभर के किसानों द्वारा की जा रही है. जिससे उन्हें अच्छी उपज मिल रही है.
लागत इतना शुद्ध मुनाफा
उन्होंने कहा कि किसान अगर कुसुम की खेती एक एकड़ में कर रहे हैं तो इसमें लागत खर्च लगभग 5 से 7 हजार तक आता है. फसल 140 दिन में तैयार होती है, जिससे किसानों को 12 से 15 हजार तक मुनाफा मिलता है. बाजार में कुसुम के तेल की सबसे ज्यादा डिमांड होती है. ये फसल कम बारिश में भी अच्छी तरह तैयार होती है.
FIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 11:00 IST