खैबर पखतूनख्वा होगा अफगानिस्तान का हिस्सा? डूरंड लाइन खत्म करने की तैयारी, तालिबान ने पाकिस्तान को बताई हैसियत
नई दिल्ली. पाकिस्तान का बनाया तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अब उसके लिए ही नासूर बन रहा है. दुनिया में आतंकवाद को फैलाने वाला पाकिस्तान खुद अपने घर में इसे फैलने से रोकने में नाकाम हो गया है. नौबत ये आ गई की कहीं उसे ख़ैबर-पखतूनख्वा और बलूचिस्तान से ही हाथ ना धोना पड़ जाए. पाकिस्तानी सरकार और फौज की नीतियों से पैदा किए संगठन टीटीपी पाकिस्तान की चूलें हिलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा और जब इसमें बलूचिस्तान के विद्रोही (बीएलए) और खोरासान (आईएसकेपी) भी शामिल हो, तो यह पाकिस्तान के लिए किसी घुटन से कम नही है.
ये घुटन तब और बढ़ने लगी जब टीटीपी, बीएलए और आईएसकेपी ने मिलकर पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर हमले तेज कर दिए हैं. पाकिस्तान के थिंक टैंक ‘पाकिस्तान इंस्टिट्यूट फ़ॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडी’ की तरफ से पाकिस्तान में आतंकी हमले पर एक रिसर्च पेपर जारी किया गया है. इसके मुताबिक़ साल 2024 के पहले पांच महीने में हुए आतंकी हमले और इसमें मारे गए सुरक्षाबलों और आम नागरिकों के आंकड़े जारी किए गए.
रिपोर्ट के मुताबिक़ इस साल मई तक आतंकी हमलों में पिछले साल के मुक़ाबले 83 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिसमें अब तक 409 आतंकी हमलों में 414 लोगों के मारे जाने और 474 लोगों के घायल होने का दावा किया गया है. अगर इस रिपोट में दिए गए मई महीने के आंकड़ों पर नज़र डालें, तो 83 आतंकी हमलों की बात कही गई है और इन हमलों में 90 की जान गई और 87 घायल हुए. ये ज़्यादातर हमले एफएटीए, ख़ैबर पखतूनख्वा और बलूचिस्तान में हुए. ख़ैबर पख़्तूनख्वा के ट्राइबल डिस्ट्रिक्ट जिसे एफएटीए भी कहा जाता है, वहां मई के महीने में 31 हमले हुए, जिसमें 37 की जान गई तो 24 हमले ख़ैबर पखतूनख्वा में जिसमें 15 की जान गई. इसी तरह से बलूचिस्तान प्रांत में कुल 23 हमलों में 30 की मौत हुई.
ऑपरेशन अज़म-ए-इस्तेकाम
पाकिस्तान में लगातार हो रहे सुरक्षाबलों पर हमले के बाद पाकिस्तान ने बलोच विद्रोहियों और तहरीके तालिबान के खिलाफ जून 2024 में एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया, इसे नाम दिया गया ऑपरेशन अज़म-ए-इस्तेकाम और इसके जरिए पाकिस्तान की तरफ़ से इस बात को भी साफ़ कर दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो अफ़ग़ानिस्तान में घुसकर भी ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा. इस बयान के बाद तालिबान की तरफ़ से भी तीखा जवाब दिया गया और कहा गया जो भी अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता पर हमला करेंगे, उसे उसका अंजाम भुगतना होगा.
मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में हालात और भी ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं. माना जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से शुरू किए गए इस ऑपरेशन के पीछे चीन का दबाव हो सकता है क्योंकि सीपेक (CPEC) का पूरा प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है. एक तरफ़ से केपीके में चल रहे प्रोजेक्ट, तो दूसरी ओर बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट का भविष्य ख़तरे में है.
अफ़ग़ानिस्तान का नया नक़्शा
पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े को लेकर जश्न मना रहा था. पाकिस्तान की प्लानिंग थी कि वह तालिबान के जरिए अफ़ग़ानिस्तान में अपने प्रभाव को बढ़ा देगा और बड़े भाई की भूमिका निभाएगा, लेकिन पाकिस्तान के सारे प्लान पर मानो पानी ही फिर गया. तालिबानी विचारधारा वाले टीटीपी ने पाकिस्तान के लिए ऐसी मुसीबत खड़ी कर दी कि उससे बाहर निकल पाना उसके बस से बाहर दिख रहा है.
जिस तरह से तालिबान पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान बॉर्डर पर अपने तेवर दिखा रहा है, उससे तो ये साफ़ लग रहा है कि 1893 को अफ़ग़ानिस्तान और ब्रिटिश इंडिया के बीच खींची गई तकरीबन 2670 किलोमीटर लंबी सीमा जिसे डूरंड लाइन के नाम से जाना जाता है, उसे वह ख़त्म करने की ही तैयारी में है.
और उसके निशान काबुल में भी दिखाई देने लगे हैं. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक़ काबुल में कुछ बिलबोर्ड नज़र आए जिसमें अफ़ग़ानिस्तान का नया मैप दिखाई दिया. इस मैप में पूरा ख़ैबर पखतूनख्वा और बलूचिस्तान का कुछ इलाक़ा अफ़ग़ानिस्तान में दिखाया गया है … और शायद ये पहली बार होगा कि खुलेआम एसा हो रहा है.
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FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 05:32 IST