गिरफ्तारी से बचने के लिए भागा था दुबई, डेढ़ साल बाद पुलिस के हाथ लगी बड़ी खबर, और फिर हो गया यह ‘कांड’


Airport Crime News: महज 24 साल की उम्र में इस युवक ऐसे-ऐसे गुल गिलाए कि दिल्‍ली सहित कई राज्‍यों की पुलिस उसके पीछे लग गई. करीब डेढ़ साल तक इसके और पुलिस के बीच में मैं डाल-डाल और तू पात-पात का खेल चलता रहा. आखिर में, इसे लगा कि यदि वह देश में रहा तो एक ना एक दिन पकड़ा जाएगा. लिहाजा, उसने विदेश में पनाह लेने का फैसला कर लिया.

मौका मिलते ही यह युवक भाग कर दुबई पहुंच गया. बीते डेढ़ साल से यह युवक दुबई में छिपा हुआ था. वहीं इस युवक के दुबई भागने की भनक इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुलिस तक पहुंच चुकी थी. लिहाजा, एयरपोर्ट पुलिस इसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर देश के तमाम एयरपोर्ट को अलर्ट कर दिया. इसी बीच, आरोपी को लेकर एयरपोर्ट पुलिस को बड़ी खबर मिली.

खबर मिलते ही एयरपोर्ट पुलिस त्रिवेंद्रम के लिए रवाना हो गई. दरअसल, करीब डेढ़ साल तक दुबई में रहने के बाद आरोपी के पास इतना रुपया नहीं बचा था कि वह अब वहां रह सके. उसे यह भी पता था कि वह दिल्‍ली पहुंचा तो एयरपोर्ट पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. लिहाजा, उसने त्रिवेंद्रम के रास्‍ते भारत वापस आने की योजना तैयार की और वहां पहुंचा गया.

लेकिन उसे क्‍या पता था कि आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने उसके लिए पूरा इंतजाम कर रखा है. त्रिवेंद्रम में लैंड होते संदीप के साथ ‘कांड’ हो गया और उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. आपको बता दें कि त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट से गिरफ्तार हुए इस युवक की पहचान संदीप सिंह के तौर पर हुई है. 24 वर्षीय संदीप सिंह मूल रूप से सिरसा (हरियाणा) के साहुवाला गांव का रहने वाला है.

क्‍या है पूरा मामला
पुलिस उपायुक्‍त (आईजीआई एयरपोर्ट) उषा रंगनानी ने बताया कि यह मामला करीब डेढ़ साल पुराना है. बीते साल 29-30 अप्रैल की रात ब्‍यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने 20 वर्षीय बलराम को आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले किया था. मूल रूप से सिरसा (हरियाणा) के पान जुआना गांव के रहने वाले बलराम को दुबई से फर्जी वीजा के चलते आईजीआई एयरपोर्ट के लिए डिपोर्ट किया गया था.

इमिग्रेशन की शिकायत के आधार पर एयरपोर्ट पुलिस ने बलराम के खिलाफ आईपीसी की धारा 420/468/471 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की. पूछताछ के दौरान बलराम ने खुलासा कि विदेश में नौकरी की चाहत लेकर वह अपने एक दोस्‍त की मदद से वह संदीप कुमार तक पहुंचा था. बलराम ने अपने सहयोगियों की मदद से उसे दुबई भेजने और नौकरी दिलाने का भरोसा दिया था.

इस काम के एवज में उसने बलराम से एक लाख रुपए की मांग की थी. रुपए मिलने के बाद संदीप ने बलराम के लिए दुबई का टिकट और वर्क परमिट का इंतजाम किया था. 28 अप्रैल 2023 को वह यूएई परमिट पर आईजीआई एयरपोर्ट से दुबई के लिए रवाना हो गया. लेकिन, दुबई पहुंचते ही उसकी पोल खुल गई और उसे फर्जी परमिट के चलते अगली उपलब्‍ध फ्लाइट से दिल्‍ली रवाना कर दिया गया.

अब तक 5 अरेस्‍ट
डीसीपी उषा रंगरानी के अनुसार, मामले की गहन जांच के लिए एसचओ इंस्‍पेक्‍टर सुशील गोयल के नेतृत्‍व में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें सब इंस्‍पेक्‍टर पीआर हुडा और हेड कांस्‍टेबल अशोक भी शामिल थे. जांच में पता चला कि बलराम को फर्जी वीजा दिलाने में संदीप के साथ अमरिंदर सिंह, जसविंदर कौर और सतनाम सिंह भी शामिल थे. जल्‍द ही तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया.

हालांकि, संदीप पुलिस की गिरफ्त से बचने में सफल रहा. करीब डेढ़ साल तक संदीप पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए दुबई में दुबका रहा. करीब डेढ़ साल की कवायद के बाद त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट से आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने संदीप को भी गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, संदीप ने पूछताछ में खुलासा कि वह 2021 में टूरिस्‍ट वीजा पर दुबई गया था, जहां उसकी मुलाकात कुछ एजेंट से हुई.

ये एजेंट लोगों को विदेश में नौकरी का सब्‍जबाग दिखाकर लोगों को ठगने का काम करते थे. कुछ समय के बाद संदीप भारत वापस आ गया और इन लोगों के इशारे पर लोगों को विदेश में नौकरी का सब्‍जबाग दिखाने लगा. जाल में फंसने वाले लोगों से लाखों रुपए हड़पने के बाद उन्‍हें फर्जी वर्क परमिट पकड़ा दिया जाता था.

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