घर सपना, कभी ना टूटे… बुल्डोजर एक्शन पर ‘सुप्रीम’ टिप्पणी, जज पढ़ रहे हैं फैसला
नई दिल्ली. अपराधियों और अवैध निर्माण को लेकर ‘बुलडोजर’ एक्शन काफी पॉपुलर है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बाद देश की कई राज्यों ने क्रिमिनल्स के खिलाफ नकेल कसने के लिए ‘बुलडोजर’ एक्शन को अपनाया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रैक्टिस को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज फैसला आने वाला है. जब डीवाई चंद्रचूड़ चीफ जस्टिस थे, तब भी अवैध रूप से तोड़फोड़ करने पर सुप्रीम कोर्ट कड़ी आपत्ति जताई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की एक भी घटना को “संविधान के मूल्यों के खिलाफ” बता चुका है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों में अखिल भारतीय दिशा-निर्देश तैयार करने की जरूरत है. आज इस मामले में फैसला जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच सुनाएगी.
LIVE: सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. वही, फैसला पढ़ते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है. सिर्फ आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो सकता है.
LIVE: बिना मुकदमे के घर तोड़कर सजा नहीं दी जा सकती है. गाइडलाइन्स पर हमने विचार किया है. अवैध तरीके से घर तोड़ा तो मुआवजा दें. मनमानी करने वाले अधिकारियों पर एक्शन की सख्त जरूरी है.
LIVE: जस्टिस बीआर गवई बुलडोजर एक्शन पर पैसला पढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘घर होना एक ऐसी लालसा है जो कभी खत्म नहीं होती… हर परिवार का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो… एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका को दंड के रूप में आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए…? हमें विधि के शासन के सिद्धांत पर विचार करने की आवश्यकता है जो भारतीय संविधान का आधार है.
LIVE: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया.
बुलडोजर एक्शन पर पहले के फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
6 नवंबर को फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘कानून के शासन के तहत यह पूरी तरह अस्वीकार्य है.’ सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि कानून के शासन के तहत “बुलडोजर न्याय” पूरी तरह अस्वीकार्य है क्योंकि नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्ति नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता. जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा था, ‘कानून के शासन के तहत बुलडोजर न्याय पूरी तरह अस्वीकार्य है. अगर इसकी अनुमति दी जाती है, तो अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता समाप्त हो जाएगी.
17 सितंबर: ‘हमारी अनुमति के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं’
सुप्रीम ने 17 सितंबर को बुलडोजर न्याय पर फैसला सुनाते हुए कहा कि बिन हमारे (सुप्रीम कोर्ट) की अनुमति बिना कोई तोड़फोड़ नहीं कर सकते हैं. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि उसका आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, जल निकायों और रेलवे ट्रैक पर अनधिकृत संरचनाओं पर लागू नहीं होगा.
जजों की पीठ ने क्या कहा?
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा, ‘बाहरी शोर हमें प्रभावित नहीं कर रहा है. हम इस समय इस सवाल में नहीं पड़ेंगे कि कौन सा समुदाय…’ जस्टिस गवई ने कहा, ‘ये स्टोरी हमें प्रभावित नहीं कर रही है. हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम अनधिकृत निर्माण के बीच में नहीं आएंगे… लेकिन, सरकार अदालत नहीं हो सकती.’
Tags: Supreme Court, UP bulldozer action
FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 10:04 IST