घुटनों पर आएगा चीन, भारत ने कर दी है मुकम्‍मल व्‍यवस्‍था, ज्‍यादा फड़फड़ाया तो मचेगा त्राहिमाम – malabar naval exercise india america japan australia china on target


नई दिल्‍ली. चीन को अब मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी चल रही है. पड़ोसी देश बंगाल की खाड़ी से लेकर हिंद महासागर तक के क्षेत्र में लगातार अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है. इसे देखते हुए भारत QUAD के सदस्‍य देशों के साथ मिलकर सैन्‍य अभ्‍यास करने जा रहा है. इसमें भारत के साथ ही अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया और जापान की नेवी भी हिस्‍सा लेगी. बंगाल की खाड़ी के ब्लू वाटर में 8 अक्टूबर से QUAD समूह का मलाबार वॉर ट्रेलर शुरू होगा. चीन की लाइफलाइन एनर्जी ट्रेड रूट को चोक करने के लिए नौसैन्य अभ्यास किया जाएगा.

समुद्र में चीन की दादागिरी पर लगाम लगाने और फ़्रीडम ऑफ़ नेविगेशन के बेजा इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ आए हैं. चारों ही देश फ्री और ओपन इंडो-पैसिफिक की वकालत करते रहे हैं. साल 2017 में दोबारा गठित हुई और इसके बाद से ही चारों देशों के बीच बैठकों का दौर जारी है. एक तरफ़ तो रणनीतिक और कूटनीतिक तौर पर चीन के आक्रामकता के खिलाफ चारों देश एकजुट होकर एक मेज़ पर हैं, तो इन्हीं चारों देशों की नौसेना बंगाल की खाड़ी में इसी साल का सबसे बड़ा नेवल सैन्य अभ्यास मलाबार 24 आयोजित करने जा रही है. यह अभ्यास 8 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक विशाखापत्तनम के पास बंगाल की खाड़ी में चलेगा. ये वही इलाक़ा है जहां से थोड़ा नीचे अंडमान निकोबार के 10 डिग्री चैनल के पास से होता हुआ चीन का 80 फ़ीसदी एनर्जी ट्रेड गुजरता है.

दो चरण में एक्‍सरसाइज
मालाबार नौसैन्‍य अभ्यास दो चरण में आयोजित होगा. पहले फेज में टेबल पर अभ्यास की रणनीति और चुनौतियों पर चर्चा होगी. वहीं, सी फेज में सामूहिक तरह से उन रणनीतियों को रियल वॉर अभ्यास की शक्ल दी जाएगी. भारतीय नौसेना के इस्टर्न नेवल कमांड के सभी एसेट को इस अभ्यास में शामिल किया जाएगा. अमूमन अमेरिका अपने एयरक्राफ़्ट कैरियर के साथ मलाबार अभ्यास में शामिल होता रहा है, लेकिन इस बार अभ्यास में कोई एयरक्राफ़्ट कैरियर नहीं होगा. लंबी दूरी तक टोह लेने वाली P8i को लेकर चारों देश अभ्यास में शामिल रहेंगे.

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कैसा होगा अभ्‍यास
चार देशों के नेवी के सैन्‍य अभ्‍यास में डिस्‍ट्रॉयर, फ़्रीगेट, मिसाइल बोट, हेलीकॉप्टर, सपोर्ट वेसल और सबमरीन एक साथ मिलकर नौसैन्य अभ्यास करेंगे. ऑस्ट्रेलिया अपने HMAS Stuart, Anzac Class फ़्रिगेट, MH-60R हेलीकॉप्टर और P8i मैरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ़्ट के साथ शामिल हो रहा है. अमेरिकी नौसेना USS Dewey, an-Arleigh Burke-Class डिस्ट्रायर और हेलीकॉप्टर के साथ शिरकत कर रहा है. वहीं, जापान JS Ariake, a Murasame-class Destroyer के साथ बंगाल की खाड़ी में सैन्य अभ्यास को अंजाम देगा. चारों देशों के मरीन कमांडो भी इस अभ्यास का हिस्सा होंगे. इस मल्टी नेशनल अभ्यास में सभी देशों की नौसेना के बीच तालमेल और समन्वय को आगे बढ़ाया जाता है. एडवांस्‍ड सर्फेस एंड सबमरीन वॉरफेयर अभ्यास और लाइव फ़ायरिंग ड्रिल को अंजाम दिया जाएगा.

ब्लू वॉटर में चीन के घुटन की वजह
नंबरों के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना फ़्रीडम ऑफ़ नेविगेशन का बेजा इस्तेमाल करने पर तुला है. लगाम लगाने के लिए कई छोटे-बड़े देश उठ खड़े हुए हैं. चीन की कमर आर्थिक तौर पर तोड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उसके एनर्जी ट्रेड को चोक करना. हिंद महासागर क्षेत्र से होकर चीन की 80 फ़ीसदी एनर्जी ट्रेड गुजरता है और उसी को ध्यान में रखते हुए मलक्का स्ट्रेट पर चोक करने का प्लान तो पहले ही तैयार किया जा चुका है. अगर युद्ध या तनाव की स्थिति में मलक्का स्ट्रेट से चीनी एनर्जी ट्रेड को चोक किया तो वह ऑस्ट्रेलिया के पास से लेकर जाने को बाध्य हो जाएगा. हालांकि, वह चीन के लिए काफ़ी महंगा सौदा होगा.

मालाबार नेवल एक्‍सरसाइज का इतिहास
मलाबार नौसैन्य अभ्यास की शुरुआत साल 1992 में भारत और अमेरिका के बीच हुई थी. उसके बाद साल 2015 में जापान और फिर 2020 में ऑस्ट्रेलिया इसमें शामिल हुआ. पिछले साल पहली बार ऑस्ट्रेलिया ने इस मल्टीनेशनल सैन्य अभ्यास को होस्ट किया था. पहले ही चीन की हरकतों का आभास को देखते हुए भारत और अमेरिका जापान के साथ मिलकर मालाबार अभ्यास को अंजाम देता आया है. चार साल पहले ही ऑस्ट्रेलिया भी इस मलाबार नौसैन्य अभ्यास का हिस्सा बना. हर साल अब ये क्वाड समूह अलग-अलग समुद्री इलाक़े में अभ्यास को अंजाम दे रहे हैं. बंगाल की खाड़ी में शुरू होने वाला मालाबार नौसैन्य अभ्यास का यह 28वां संस्करण है.

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