चीन को पहले फोन में अमेरिका टोन हाई, विदेश मंत्री रूबियो ने इशारों इशारों में समझा दिया

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टैमी ब्रूस के अनुसार विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने चीनी विदेश मंत्री और सीसीपी केंद्रीय विदेश मामलों के आयोग के निदेशक वांग यी से कहा कि ट्रम्प प्रशासन “अमेरिकी लोगों को पहले” रखेगा और चीन के साथ अपने संबंधों में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाएगा. आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के बतौर राष्ट्रपति शपथ लेने के बाद रूबियो और वांग के बीच हुई यह पहली बैठक थी.  

उन्होंने आगे कहा कि रूबियो ने क्षेत्र में हमारे सहयोगियों के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धता और ताइवान और दक्षिण चीन सागर में चीन की जबरदस्त कार्रवाइयों पर गंभीर चिंता पर भी जोर दिया. ब्रूस ने कहा कि सचिव ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की. वांग ने रुबियो से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह अच्छे से पेश आएंगे और चीनी और अमेरिकी लोगों के भविष्य और विश्व शांति और स्थिरता में रचनात्मक भूमिका निभाएंगे.उन्होंने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही चीन के साथ रिश्तों को और बेहतर बनाने की दिशा में काम करना शुरू क दिया है. 

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वांग ने आगे कहा कि दोनों पक्षों की टीमों को दोनों राष्ट्राध्यक्षों की महत्वपूर्ण सहमति को लागू करना चाहिए, संचार बनाए रखना चाहिए, मतभेदों का प्रबंधन करना चाहिए, सहयोग का विस्तार करना चाहिए, चीन-अमेरिका के स्थिर, स्वस्थ और सतत विकास को बढ़ावा देना चाहिए. चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए नए युग में साथ आने का सही रास्ता खोजें.

पहले क्वाड देशों के विदेश मंत्री से की थी बात थी

अमेरिका के विदेश मंत्री ने बीते दिनों फिलीपींस के विदेश मंत्री को फोन करने से पहले क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की थी. आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के तहत यह पहली ऐसी बैठक थी. इस बैठक में शामिल हुए तमाम देशों ने मिलकर आपसी सहयोग को दोबारा और मजबूत किए जाने पर जोर दिया था. इस बैठक में फिलीपींस ने चीन की बढ़ती ताकत पर चिंता भी जाहिर की थी. ऐसे में ये माना जा सकता है कि ट्रंप के शपथ लेते ही क्वाड के सदस्य देशों के साथ बैठक कर अमेरिका चीन को एक बड़ा संकेत देने चाह रहा था.

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चीन को ट्रंप ने दी थी चेतावनी

आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को चेतावनी देते हुए कुछ दिन पहले कहा था कि वह 1 फरवरी से 10 फीसदी आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं. इसके साथ-साथ उन्होंने यूरोपीय संघ पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. शपथ लेने के बाद ट्रंप ने कहा था कि व्यापार असंतुलन को दूर करने और फंटानाइल तस्करी से निपटने के लिए ऐसे कदम उठाने जरूरी हैं.  


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