चुनाव के दौरान नेताओं के उल्टे सीधे बयानों पर क्या एक्शन ले सकता है चुनाव आयोग? जानें हर नियम
<p>भारत में हर साल कहीं ना कहीं चुनाव होता ही रहता है. ऐसे में चुनावों के दौरान नेताओं के बिगड़े बोल भी काफी सुनाई देते हैं. हाल ही में देश के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में वोटिंग पूरी हुई. इन राज्यो में भी चुनावों के दौरान कई उल्टे सीधे बयान दिए गए. हालांकि, ऐसा नहीं है कि नेताओं के उल्टे सीधे बयान सिर्फ चुनावों के दौरान ही आते हैं. एक दूसरे को लेकर नेता उल्टी सीधी टिप्पणियां अक्सर करते रहते हैं. जैसे हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिस पर उन्हें चुनाव आयोग की ओर से कारण बताओ नोटिस भी मिल गया. चलिए अब आपको बताते हैं कि चुनाव के दौरान नेताओं के उल्टे सीधे बयानों पर चुनाव आयोग क्या एक्शन ले सकता है और इसके लिए क्या नियम कायदे हैं.</p>
<h3>चुनाव आयोग क्या कर सकता है</h3>
<p>बीते साल ही चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई राजनीतिक दल या उसके सदस्य की ओर से घृणापूर्ण यानी धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा जैसे मुद्दों पर कोई ऐसा बयान दिया जाता है जो दो पक्षों के बीच शत्रुता को बढ़ाता है तो वह इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकता. चुनाव आयोग का कहना कि इस आधार पर उसके पास किसी भी राजनीतिक दल की मान्यता वापस लेने या उसे निरस्त करने या फिर उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. हालांकि, इसके बाद भी चुनाव आयोग के पास कुछ ऐसे तरीके हैं जिनकी मदद से वो ऐसे नेताओं पर कार्रवाई कर सकता है जो उल्टे सीधे बयान देते हैं.</p>
<h3>चुनाव के दौरान क्या कर सकता है आयोग</h3>
<p>दरअसल, बीते साल ही चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के दौरान उल्टे सीधे बयानों पर रोक लगाने के लिए अपने आदर्श आचार संहिता में संशोधन किया है. अब चुनाव के दौरान अगर कोई उम्मीदवार या उसका एजेंट किसी भी भाषण के दौरान धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा जैसे मुद्दों पर ऐसा बयान देता है जिससे दो पक्षों के बीच शत्रुता बढ़ती है तो वह इस पर सख्ती से कार्रवाई कर सकता है. इस कार्रवाई में चुनाव आयोग उम्मीदवार को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है या फिर उसके चुनाव प्रचार पर एक अवधि के लिए रोक लगा सकता है.</p>
<h3>आईपीसी की भी ले सकता है मदद</h3>
<p>इसके अलावा चुनाव आयोग आईपीसी की कुछ धाराओं की मदद से भी ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. जैसे धारा 153ए, इसके अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति धर्म, जाति, निवास, जन्म स्थान, भाषा, आदि के आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देता है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है. इसी तरह 153बी (राष्ट्रीय एकता के लिए पूर्वाग्रही दावे), 295ए (दुर्भावनापूर्ण कृत्य यी फिर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से दिए गए भाषण) और 505 (शरारती बयान देना). ये ऐसी धाराएं हैं जिनकी मदद से चुनाव आयोग उल्टे सीधे बयान देने वाले नेताओं पर नकेल कस सकता है.</p>
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