छह साल से निर्माण की बाट जोह रहा है यह अंग्रेजों के जामने का पुल, 20 हजार की आबादी है प्रभावित


गौरव सिंह/भोजपुर : आरा और सैकड़ों गांवों को जोड़ने वाला पुल 6 वर्षों से अर्द्धनिर्मित है. 20 हजार से ज्यादा की आबादी पिछले 6 साल से इस पुल की वजह से प्रभावित है. पूर्व में ये लोहा का पुल था, जो अंग्रेजों के द्वारा निर्मित कराया गया था. दशकों से पुल जर्जर अवस्था में था, लेकिन 2017 के अंतिम में ये पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया. उसके बाद काफी प्रतीक्षा के बाद वर्ष 2020 में निर्माण कार्य शुरू किया गया था. अंग्रेजों के जमाने का बना लोहा पुल पूरी तरह जर्जर स्थिति में पहुंच गया था. कई बार दुर्घटना भी हो चुकी थी. लोहा पुल ध्वस्त होने के बाद इसे तोड़कर आरसीसी पुल बनाने का काम शुरू किया गया था, ताकि लोगों को सुविधा हो सके.

2019 में शुरू हुआ काम आज तक अधूरा
कुछ स्थानीय लोगों की मानें तो2019 में लगे काम के बाद आज चार वर्ष बाद भी पूरा नहीं हुआ. काफी प्रयास के बाद वर्ष 2020 में इस पुल के निर्माण का कार्य शुरू किया गया, ताकि आरसीसी पुल बन जाने से लोगों को काफी सुविधा होगी. लापरवाही का आलम यह है कि एक छोटा सा पुल चार वर्षों के बाद भी तैयार नहीं हो पाया. यह संबंधित विभाग एवं जिला प्रशासन की कार्यशैली को समझने के लिए काफी है. लोगों की सुविधा के प्रति कितनी संवेदनशीलता इन सरकारी विभागों में है, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है.

50 हजार की आबादी को है समस्या
पुल नहीं बनने की वजह से लगभग 50 हजार की आबादी पिछले 4 साल से प्रभावित है. पुल का निर्माण अगर हो जाएगा तो आरा-सलेमपुर रोड से जुड़े सैकड़ों गांवों के ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा. इनमें सनदिया, सलेमपुर, बखरिया समेत लगभग 100 गांव आदि शामिल है. इसके बावजूद इसके निर्माण कार्य में लापरवाही से लोग वर्षों से परेशान होते आ रहे हैं. कई वर्ष ती लोहा पुल के समय इसकी स्थिति जर्जर ही जाने से परेशान होते रहे, अब आरसीसी पुल के बनने में देर होने से लोग परेशान हो रहे हैं.

टूट गया है डायवर्सन
पुल के निर्माण को लेकर आवागमन चालू रखने के लिए विभाग द्वारा डायवर्सन बनाया गया था. वह भी अब टूट चुका है और खतरनाक हो गया है. उस पर चलना मुश्किल हो रहा है. कभी भी हादसा होने की संभावना है. विभाग द्वारा डायवर्सन को भी नहीं बनाया जा रहा है, ऐसे में लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

2.39 करोड़ की लागत से होगा निर्माण
आरा-सलेमपुर को जोड़ने वाले इस पुल का टेंडर 2019 में ही हुआ था. बिहार के मधेपुरा के रहने वाले सुधीर कुमार सिंह नाम के सवेंदक को पुल का टेंडर मिला है. फोन से संपर्क कर लोकल 18 ने जब निर्माण में देरी का कारण पूछा तो सवेंदक ने बताया कि मेरी मां बीमार थी और लंबे बीमारी के बाद उनका देहांत हो गया. जिसवजह से पुल निर्माण का कार्य बाधित हुआ है. हालांकि एक-दो दिन में दोबारा काम लगेगा और दो माह के अंदर पुल का निर्माण पूरा कर आरा के लोगों को सपुर्द कर दिया जाएगा.

पुल का टेंडर करवाने और काम लगवाने में मुख्य भूमिका सनदिया के तत्कालीन मुखिया राजेश्वर पासवान की रही है. अब जब पुल का कार्य बाधित होने के वजह से राहगीरों को परेशान हो रही है, तो ऐसे में पूर्व मुखिया राजेश्वर पासवान ने बताया कि 28 अप्रैल को हम जिला प्रसाशन के खिलाफ आरा-सलेमपुर सड़क को जाम करेंगे. पहले भी इस तरह के आंदोलन के बाद ही पुल का टेंडर हुआ था, अब दोबारा करना पड़ेगा, तब ही इसका निर्माण कार्य पूरा होगा.

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