जज्बे को सलाम! टोहाना की नेहा दिव्यांग बेटियों की जिंदगी संवारने का कर रही हैं काम

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परमजीत सिंह/टोहाना: शहर में अपूर्वा फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट एक ऐसी संस्था है, जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से दिव्यांग बेटियों को शिक्षित करने और उनको समाज में एक अलग पहचान दिलाने में सहायता करती है. अब तक अपूर्वा फाउंडेशन 100 से अधिक दिव्यांग बेटियों का जीवन संवारने का काम कर चुकी है.

फाउंडेशन की संस्थापक वीना नेहा वर्मा ने बताया कि उनकी खुद की बच्ची दिव्यांग है. एक दिव्यांग बेटी की मां होने पर उन्हें यह आभास हुआ कि दिव्यांग बच्चों का पालन पोषण किसी चुनौती से कम नहीं है. अगर प्रयास किया जाए तो दिव्यांग बच्चे भी एक साधारण जीवन व्यतीत कर सकते हैं.

उन्होंने अपनी बेटी अपूर्वा के नाम पर ही संस्था का नाम रखा और 22 सालों से वह दिव्यांग बच्चियों को सेवा देने में जुटी हुई हैं. अपूर्वा फाउंडेशन ट्रस्ट में दिव्यांग बच्चियों को शिक्षा देने के अलावा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जाता है. बच्चियों को सिलाई, बुनाई, कुकिंग, वोकेशनल कोर्सेज, आर्ट एंड क्राफ्ट, योग, संगीत, डांस सीखाने के साथ-साथ विभिन्न तरह की एक्टिविटीज़ कराई जाती है.

टीचर्स भी दिव्यांग
अपूर्वा फाउंडेशन की पाठशाला में टीचर्स भी दिव्यांग भर्ती किए गए हैं और यहां बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने का काम किया जाता है. बच्चों द्वारा बनाए गई चीज़ों जैसे मास्क, रुमाल, बैग, कागज़ के लिफ़ाफ़े और कपड़ों की प्रदर्शनी लगाई जाती है. इसके अलावा त्योहारों पर राखी, कलात्मक दीये, रुई की बाती और फूलों की लड़ियां बनाना भी दिव्यांग बच्चों को सिखाया जाता है.

थेरेपी से ठीक हुए बच्चे
इसके अलावा समय समय पर ट्रस्ट द्वारा हेल्थ चेकअप कैंप लगाया जाता है और बेटियों को जरूरत के हिसाब से थेरेपी भी करवाई जाती है. कुल मिलकर ये संस्था बच्चियों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भरपूर प्रयास करती है. थेरेपी के माध्यम से कई बच्चे ठीक भी हुए हैं.

इसलिए शुरू किया फाउंडेशन
नेहा वर्मा बताती हैं कि जब वह टोहाना आई थी, तब उन्होंने एक दिव्यांग केंद्र में बतौर टीचर के रूप में सेवा देने की शुरुआत की थी, लेकिन माता-पिता दिव्यांग बेटों को तो छोड़ जाते थे पर अनहोनी के डर से दिव्यांग बेटियों को घर से बाहर नहीं भेजते थे. इसी बात को देखते हुए उन्होंने खासतौर पर बेटियों के लिए अपूर्वा फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से संस्था का गठन किया. वर्तमान में करीब 20 वालंटियर इस फाउंडेशन में अपनी सेवा दे रहे हैं.

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