‘जब कुवैत में भी रुपया…’ पीएम मोदी ने सुनाई भारत-कुवैत की दोस्ती से जुड़ी ये खास बात, आपने पढ़ी क्या
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों कुवैत के दौरे पर हैं. पीएम मोदी का यह कुवैत दौरा भारत और इस खाड़ी देश के बीच के रिश्ते को और मजबूती देगा.आपको बता दें कि भारत और कुवैत के की बीच का रिश्ता सदियों पुराना रहा है. इन दोनों देश के बीच का रिश्ता समुद्री व्यापार से शुरू हुआ था जिसने धीरे-धीरे मजबूत संबंधों की नींव रखी. आज स्थिति ये है कि भारत से कुवैत को होने वाला निर्यात 2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है वहीं बात अगर भारत में कुवैत के निवेश की करें तो ये आज की तरीख में 10 बिलियन डॉलर से भी अधिक है. पीएम मोदी ने अपने इस दौरे पर कुवैत के अमीर शेख मेशल अल अहमद अल जबर अल सबाह के साथ-साथ वहां के क्राउन प्रिंस से भी मुलाकात करेंगे.
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पीएम मोदी ने अपने संबोधन में क्या कुछ कहा
कुवैत पहुंचने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. पिछले 43 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है. कुवैत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और कुवैत का रिश्ता. सभ्यताओं का है. सागर का है. व्यापार-कारोबार का है. भारत और कुवैत, अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं. हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ने ही नहीं, बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है. हमारा वर्तमान ही नहीं, बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है.एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे. और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है. भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी. भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे. कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है. गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था. खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे. तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था. सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं.
पीएम मोदी ने दिलाई कुवैत में रुपये के चलन की याद
पीएम मोदी ने कहा कि कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं. गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी. यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी. कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं. कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं. बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी. 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं. यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे. तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था.
‘स्किल्ड कैपिटल बनने की दिशा में भारत’
भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है. आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है. ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है. और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है. भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं. इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं. दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं. आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है. इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है. इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं. ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है. भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे. कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है.
उन्होंने कहा कि हम दुनिया में कहीं भी रहें,उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है. अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं. आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है. आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है. आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है. आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है. आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है.
एक समय तक कुवैत में भी चलता था भारतीय रुपया
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक कुवैत में एक समय तक भारतीय रुपया चला करता था. 20वीं सदी के मध्यतक भारतीय रुपया का इस्तेमाल कुवैत, बहरीन, कतर और आसपास के कई देशों में होता था.