जब नरसिम्हा राव को निधन के 10 साल बाद मिली थी दिल्ली में स्मारक की जगह, मोदी सरकार ने लिया था फैसला



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नई दिल्‍ली:

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर कराए जाने का आग्रह किया था, जहां उनका स्मारक बनाया जा सके, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. कांग्रेस अब इसे लेकर बीजेपी पर मनमोहन सिंह का अपमान करने का आरोप लगा रही है. लेकिन कांग्रेस शायद ये भूल गई कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्‍हा राव के निधन के बाद 10 साल तक उनके स्‍मारक के लिए जगह नहीं दी गई थी. तब देश में यूपीए की सरकार थी. नरसिम्‍हा राव के स्‍मारक के लिए दिल्‍ली में जगह तब मिल पाई, जब मोदी सरकार सत्‍ता में आई थी.    

एम. वेंकैया नायडू ने किया था साइट का दौरा

बात साल 2014 की है, जब मोदी सरकार सत्‍ता में आई. सत्ता में आने के तुरंत बाद, एनडीए सरकार ने नरसिम्‍हा राव के नाम पर स्मारक बनाने का प्रस्ताव दिया था. तत्‍कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इस पर तेजी से काम किया, जिन्होंने साइट का दौरा भी किया था. नायडू ने इंजीनियरों से नरसिम्‍हा राव के स्‍मारक को शीघ्र पूरा करने को कहा था, ताकि इससे महान नेता को श्रद्धांजलि दी जा सके. 

मोदी सरकार ने दिल्‍ली में बनवाया नरसिम्‍हा राव का स्‍मारक 

नरसिम्‍हा राव को उनकी पार्टी कांग्रेस द्वारा ही सालों तक उपेक्षित किया गया था. लेकिन मोदी सरकार ने नरसिम्‍हा राव का पूरा सम्‍मान दिया और उनके नाम का स्‍मारक दिल्‍ली में बनाया. नरसिम्‍हा राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को हुआ था. उनका अंतिम संस्‍कार भी दिल्‍ली में नहीं किया गया था. नरसिम्‍हा राव का पार्थिव शरीर आंध्र प्रदेश ले जाया गया था, जहां उनका अंतिम संस्‍कार किया गया था. 

एकता स्‍थल पर नरसिम्‍हा राव का स्‍मारक 

निधन के 10 साल बाद आखिरकार राष्ट्रीय राजधानी में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नाम पर एक स्मारक बना  था. यह स्मारक राजघाट में ‘एकता स्थल’ पर बनाया गया, जिसे राष्ट्रीय स्मृति के साथ जोड़ दिया गया है और अब ये पूर्व राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और अन्य गणमान्‍य लोगों के स्मारक बनाने के लिए एक विशेष जगह है. नरसिम्‍हा राव का स्‍मारक संगमरमर पत्‍थर से बनाया गया, जिस पर एक पट्टिका लगी हुई है, जिसमें उनके योगदान पर संक्षेप में प्रकाश डाला गया है. 

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