जानिए कैसे होती है लोको पायलट की ट्रेनिंग, कितना मु​श्किल होता उनका चयन



<div>अक्सर हम जब <span class="spellred">रेलगाड़ी</span> के इंजन में बैठे चालक को देखते हैं तो में उनका काम उनका काम बेहद आसान लगता <span class="spellred">है.</span> हालांकि सच्चाई इससे इतर है क्योंकि एक <span class="spellred">रेलगाड़ी</span> को सही स्पीड पर सही तरीके से सही फैसला लेकर चलाना बहुत ही मुश्किल काम होता <span class="spellred">है.</span></div>
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<div>लोको पायलट यानी इंजन के ड्राइवर की जिम्मेदारी सिर्फ इतनी नहीं होती कि वह एक ट्रेन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाए, बल्कि उसके जिम्मे ट्रेन में सवार हजारों मुसाफिरों या लदे हुए सामान को सुरक्षित एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की भी होती <span class="spellred">है.</span> यही वजह है कि लोको पायलट बनने के लिए निश्चित पात्रता मानदंडों को पूरा करने के अलावा मुश्किल मेडिकल टेस्ट और प्रशिक्षण से होकर गुजरना <span class="spellred">पड़ता</span> <span class="spellred">है.</span> आइये जानते हैं कैसे बनते हैं लोको पायलट…</div>
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<div><strong>ये पात्रता पूरी करना है जरूरी</strong></div>
<div>लोको पायलट बनने के लिए कम से कम दसवीं की परीक्षा पास किया हुआ होना जरूरी <span class="spellred">है.</span> इसके अलावा गणित या विज्ञान जैसे विशेष विषय में भी अच्छा ज्ञान होना जरूरी होता <span class="spellred">है.</span> लोको पायलट के पद पर चयन के लिए सामान्य तौर पर 18 से 30 वर्ष के बीच ही आयु होनी जरूरी होती <span class="spellred">है.</span></div>
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<div><strong>शारीरिक क्षमता का महत्व</strong></div>
<div>लोको पायलट की नौकरी में शारीरिक क्षमता का हम महत्व होता <span class="spellred">है.</span> ऐसा इसलिए है क्योंकि कई-कई घंटे <span class="spellred">खड़े</span> रहने अथवा <span class="spellred">मु​श्किल</span> <span class="spellred">हातात</span> में बैठने की जरूरत होती <span class="spellred">है.</span> इसलिए इस नौकरी का विकल्प चुनने वाले को आवेदन करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वह सामान्य शारीरिक स्थिति में <span class="spellred">हो.</span> साथ ही उसकी दृष्टि और सुनने की क्षमता बेहद अच्छी है ताकि वह मेडिकल टेस्ट पास कर सके जिसे सबसे कठिन माना जाता <span class="spellred">है.</span></div>
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<div><strong>तीन चरण का होता है प्रशिक्षण</strong></div>
<div><strong>बेसिक ​शिक्षण</strong></div>
<div>लोको पायलट की भर्ती पास करने के बाद फौरन ही किसी युवा को पैसेंजर ट्रेन या <span class="spellred">मालगाड़ी</span> के इंजन में बैठने का मौका नहीं मिलता, बल्कि वहां बैठने से पहले उन्हें <span class="spellred">कड़ी</span> ट्रेनिंग लेनी <span class="spellred">पड़ती</span> <span class="spellred">है.</span> सबसे पहले युवाओं को <span class="spellred">रेलगाड़ी</span> की तकनीकी जानकारी, संचालन, रेल नियमों, इंजन और यातायात नियमों के बारे में पढ़ाया जाता <span class="spellred">है.</span></div>
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<div><strong><span class="spellred">प्रै​क्टिकल</span> ट्रेनिंग</strong></div>
<div>प्रैक्टिकल ट्रेनिंग <span class="spellred">प्र​शिक्षण</span> का दूसरा चरण होता <span class="spellred">है.</span> इसमें युवाओं को ट्रेन में लोको पायलट व को-पायलट और इंस्ट्रक्टर की मौजूदगी में ट्रेन के इंजन में बैठकर चलने और उसे चलाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के बारे में बताया जाता <span class="spellred">है.</span></div>
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<div><strong>सिम्युलेटर <span class="spellred">प्र​शिक्षण</span></strong></div>
<div>इस इसके साथ ही लोको पायलट को सिम्युलेटर प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जाता <span class="spellred">है.</span> इसमें वास्तविक जीवन में आने वाली परेशानियों और चुनौतियां से रूबरू कराते हुए उन्हें पहले से ही तैयार किया जाता <span class="spellred">है.</span> साथ ही उन्हें ज्यादा से ज्यादा <span class="spellred">परि​स्थितियों</span> से रूबरू कराया जाता है ताकि असल में वैसी दिक्कत आने पर वह खुद को अपनी <span class="spellred">रेलगाड़ी</span> को संभाल सकें.</div>
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