जानें क्या है सरसों में लगने वाला सफेद रतुआ रोग, बनाने नहीं देता पत्तियों को भोजन
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Agency:News18 Uttar Pradesh
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Wheat crop white rust disease prevention : किसान भाइयों को सबसे पहले अपनी फसल में लगने वाले इस संक्रमण के लक्षणों को पहचानना होगा. अगर पत्ते पीले हो रहे हैं या उन पर किसी तरह के छल्ले बन रहे हैं तो तुरंत पुराने…और पढ़ें
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सफेद रतुआ रोग से सरसों को बचाने के लिए ये करे उपाय
हाइलाइट्स
- देर से बोई सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग का खतरा.
- पत्तियों पर छल्ले बनने से पौधे का रुक जाता है विकास.
- मेंकोजेब या सल्फर 80 डब्ल्यूडीजी से करें छिड़काव.
सहारनपुर. पश्चिमी यूपी में देर से बोई गई सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग का संक्रमण देखने को मिल रहा है. इसे लेकर किसान काफी परेशान हैं. उन्हें इस रोग से उत्पादन कम होने का डर सता रहा है. सफेद रतुआ को White rust भी कहते हैं. इस रोग में सरसों के पत्तों पर छल्ले बनने लगते हैं. पत्तियों में पीलापन दिखाई देने लगता है, जो अधिकतर सरसों की पुरानी पत्तियों से शुरू होता है. अगर किसान भाइयों ने समय से बचाव नहीं किया तो ये रोग धीरे-धीरे पूरी फसल में फैल जाएगा.
पौधों की पत्तियों का काम उनके लिए भोजन बनाना है. अगर सरसों की पत्तियों पर छल्ले बनने लगे, तो भोजन कम बनता है. इससे पौधे का विकास रुक जाता है और फली में दाने भी कम बनते हैं. ऐसे में किसानों को सरसों की ऐसी पुरानी पत्तियों को तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.
ऐसे होगा खत्म
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी प्रोफेसर डॉ. आईके कुशवाहा बताते हैं कि किसान सबसे पहले अपनी फसल में होने वाले इस संक्रमण के लक्षणों को पहचाने. अगर सरसों की फसल के पत्ते पीले हो रहे हैं या उन पर छल्ले बन रहे हैं तो तुरंत पुराने पत्तों को तोड़कर नष्ट कर दें. इसके बाद फफूंदी नासिक रसायन मेंकोजेब को दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.
तुरंत इलाज
प्रोफेसर आईके कुशवाहा के अनुसार, अगर सरसों की फसल में कोई और रोग भी दिखाई दे रहा है तो मेंकोजेब की जगह सल्फर 80 डब्ल्यूडीजी दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर सात दिन के अंदर दो बार छिड़काव करें. ऐसा करने से किसान की फसल पर आने वाले सभी कीटनाशक रोग तुरंत खत्म हो जाएंगे.
Saharanpur,Uttar Pradesh
January 25, 2025, 14:50 IST
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